Jagannath Temple: जगन्नाथ रथयात्रा का क्या है महत्व, जानिए मंदिर से जुड़े चमत्कारों की कहानी

Jagannath Rath Yatra: भगवान विष्णु के स्वरूप भगवान जगन्नाथ एकांतवास पर जा चुके हैं और अब 14 दिनों के एकांतवास के बाद भगवान जगन्नाथ अपनी बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र के साथ रथ पर सवार होकर निकलेंगे.

जगन्नाथ मंदिर
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 16 जून 2022,
  • अपडेटेड 3:49 PM IST
  • एक जुलाई से शुरू होगी जगन्नाथ रथयात्रा
  • 14 दिन के एकांतवास में हैं भगवान जगन्नाथ

इस धरती पर इंसान को सही मार्ग दिखाने के लिए हर युग में प्रभु ने अवतार लिया है. कई कई रूपों आकर इंसान को मोक्ष की ओर ले गए हैं. ईश्वर का ऐसा ही एक रूप भगवान जगन्नाथ का है.

  • भगवान जगन्नाथ की लीला भूमि पुरी है 
  • पुरी को पुरुषोत्तम पुरी भी कहते है
  • राधा और श्रीकृष्ण की युगल मूर्ति के प्रतीक हैं श्री जगन्नाथ
  • श्रीकृष्ण भी उनका एक अंश हैं
  • भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की मूर्तियां लकड़ी की हैं
  • इन मूर्तियों को राजा इंद्रद्युम्न ने बनवाया था
  • भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा आषाढ़ शुक्ल द्वितीया को शुरू होती है 
  • और दशमी तिथि को खत्म होती है
  • रथयात्रा में भगवान जगन्नाथ साल में एक बार आम लोगों के बीच आते हैं
  • रथयात्रा में सबसे आगे ताल ध्वज पर श्री बलराम होते हैं
  • उसके पीछे पद्म ध्वज रथ पर माता सुभद्रा व सुदर्शन चक्र होते हैं
  • अंत में गरुण ध्वज पर श्री जगन्नाथ जी सबसे पीछे चलते हैं

भगवान जगन्नाथ की पूजा की विधि-
श्री जगन्नाथ जब अपने भक्तों के बीच होते हैं तो भक्ति अपने चरम पर होती है. उनके दर्शनों के लिए लाखों लोग जगन्नाथपुरी पहुंचते हैं. लेकिन भगवान जगन्नाथ की पूजा का एक खास विधान होता है. चलिए उसके बारे में हम आपको बताते हैं... 

  • भगवान जगन्नाथ आषाढ़ शुक्ल द्वितीया से दशमी तक आम लोगों के बीच रहते हैं 
  • इसी समय में उनकी पूजा करना, प्रार्थना करना विशेष फलदायी होता है 
  • इस बार रथयात्रा का आरंभ 1 जुलाई को होगा 
  • भगवान की रथ यात्रा में शामिल होकर उनकी उपासना करें 
  • मुख्य रथयात्रा में भाग ना ले पाएं तो किसी भी रथ यात्रा में भाग लें
  • अगर ये भी संभव ना हो तो घर पर ही भगवान जगन्नाथ की उपासना करें 
  • उन्हें भोग लगाएं और उनके मन्त्रों का जाप करें

संतान सुख दिलाएंगे प्रभु जगन्नाथ- 
भगवान जगन्नाथ की पूजा उपासना के कुछ खास प्रयोग भी होते हैं जिनके जरिए आप उन्हें खुश करके अपने मनोकामना को पूर्ण कर सकते हैं. पति-पत्नी पीले कपड़े पहनकर भगवान जगन्नाथ की पूजा करें. भगवान जगन्नाथ को मालपुए का भोग लगायें. इसके बाद संतान गोपाल मंत्र का जाप करें,संतान प्राप्ति की प्रार्थना करें. एक ही मालपुए के दो हिस्से करें, और पति-पत्नी मिलकर खाएं.

परिवार में प्रेम बढ़ाएंगे जगन्नाथ-
कुछ दिनों के लिए जब भगवान जगन्नाथ आम लोगों के बीच उनसे मिलने आते हैं. तो ज्योतिषी कहते हैं कि भगवान जगन्नाथ मिलने ही नहीं आते अपने भक्तों की चिंता का नाश करने के लिए आते हैं. इसलिए अगर आपके परिवार में प्रेम कम हो रहा हो तो... 

  • भगवान जगन्नाथ, सुभद्रा और बलभद्र के चित्र या मूर्ति स्थापित करें
  • उनको फूलों से सजाएं और उनके समक्ष घी का दीपक जलाएं 
  • इसके बाद सभी लोग मिलकर 'हरि बोल-हरि बोल' का कीर्तन करें 
  • फिर साथ में मिलकर प्रसाद ग्रहण करें 

कर्ज मिटाएंगे भगवान जगन्नाथ-
अगर आपको कर्ज से जुड़ी परेशानी हो तो उसके लिए भी खास उपाय है. 

  • हर रोज़ सुबह लाल कपड़े पहनकर सूर्य को जल अर्पित करें. इसके बाद 'ऊं मित्राय नमः' का 108 बार जाप करें. 
  • लाल चन्दन का तिलक लगायें.

जगन्नाथ रथयात्रा का महत्व- 
भगवान जगन्नाथ की भक्ति में डूबे भक्त कीर्तन करते हुए पुरी से  निकलते हैं. मान्यता ये भी है कि भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा का पुण्य 100 यज्ञों के बराबर होता है. 10 दिन के इस महोत्सव के प्रताप से इंसान जिंदगी की तमाम समस्याएं भी हल हो जाती हैं. ज्योतिषी कहते हैं कि इन प्रयोगों से भगवान जगन्नाथ की पूजा उपासना के दौरान किया जाए तो उसके सटीक और लाभदायक  परिणाम मिलते हैं. ज्योतिषी मानते हैं कि श्री जगन्नाथ अपने भक्तों कि परेशानियों को जड़ से खत्म कर देते हैं. बशर्ते आप अपनी परेशानियां उन तक पहुंचा सकें.. 

बीमार पड़ गए थे भगवान जगन्नाथ-
पुरी के भगवान जगन्नाथ धाम से परमेश्नर की बीमारी की कथा जुड़ती है. जिसका उपचार सहस्त्रधारा स्नान से हुआ था. कहते है कि इस परंपरा में 108 घड़ों के जल से भगवान जगन्नाथ का जलाभिषेक किया जाता है. कथा है कि जगन्नाथ जी ने पहली बार जब पूर्णिमा पर स्नान किया तो वे बीमार हो गए थे. तब वे 14 दिनों तक एकांत में रहे और जड़ी-बूटियों से उनका उपचार हुआ. 15 वें दिन उन्होंने सबको दर्शन दिया. तब से हर साल रथयात्रा से पहले ये घटना दोहराई जाती है. 1 जुलाई को शुरू होने वाली भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा से पहले भक्ति हिलोरें मार रही हैं. पुरी जगन्नाथमय हो चुकी है. 

14 दिन एकांतवास में रहेंगे जगन्नाथ-
ओडिशा के पुरी में ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा को भगवान जगन्नाथ को 108 घड़ों के जल से स्नान कराया गया. इसे सहस्त्रधारा स्नान कहत हैं. साथ में जगन्नाथ के भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा को भी पूरे रीति रिवाज से स्नान कराया गया. यात्री निकाली गई. अब 14 दिनों तक भगवान एकांतवास में रहेंगे. ठीक 15 वें दिन भगवान जगन्नाथ अपने भाई और बहन के साथ भक्तों को दर्शन देंगे. तब तक मंदिर के कपाट बंद रहेंगे. 
स्वास्थ्य ठीक होने के बाद भगवान जगन्नाथ आषाढ़ शुक्ल पक्ष की द्वितिया तिथि यानी कि 1 जुलाई को रथ यात्रा पर निकलेंगे. तीन रथ पर विराजमान होकर भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा अपनी मौसी के यहां गुंडिचा मंदिर जाएंगे. वहां सात दिनों के आराम के बाद दशमी तिथि पर भगवान मुख्य मंदिर लौटेंगे. भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा से पहले ही पुरी आस्था और भक्ति में डूब चुकी है.   

चमत्कारी है जगन्नाथ मंदिर-
एक ऐसा मंदिर जो साक्षात ईश्वर का चमत्कार है. उसके आगे विज्ञान के सारे नियम फेल हो जाते हैं. ये है ओडिशा के पुरी में बना भगवान जगन्नाथ का मंदिर. जगन्नाथ मंदिर का परिसर अपने आप में इतने चमत्कारों को समेटे हुए हैं कि देखे बिना इन पर यकीन करना आसान हीं है.  ये मंदिर हिंदुओं के चार प्रमुख धामों में से एक है. मान्यता है कि यहां पर भगवान श्रीकृष्ण अपने बड़े भाई बलराम और बहन सुभद्रा के साथ विराजते हैं. इस मंदिर के अध्यात्मिक चमत्कारों के अलावा यहां की वास्तुकला के अजूबे भी कम नहीं हैं. 

हवा की उलटी दिशा में लहराता है ध्वज-
जगन्नाथ मंदिर के गुंबद पर लगा झंडा दिखने में भले ही सामान्य सा लगता है, लेकिन इसकी खूबी है कि ये हमेशा हवा के विपरीत दिशा में लहराता है. अगर हवा पूरब की तरफ बह रही हो तो झंडा दक्षिण की तरफ फहराएगा. इसी मंदिर के परिसर में लगे दूसरे झंडे हवा के हिसाब से लहराते हैं, लेकिन मंदिर का मुख्य ध्वज इनके विपरीत लहरा रहा होता है. एक पुजारी मंदिर के 45 मंजिला शिखर पर लगे झंडे को रोज बदलता है.

मंदिर के ऊपर से कोई पक्षी या विमान नहीं गुजरता-
जगन्नाथ मंदिर के ऊपर से किसी पक्षी को उड़ते हुए आज तक नहीं देखा गया है. इसी तरह विमान भी मंदिर के ऊपर से उड़कर नहीं निकल पाते. यहां से गुजरने वाला विमान खुद-ब-खुद कुछ डिग्री मुड़ जाता है. यहां तक कि मंदिर के ऊपर जब ड्रोन कैमरे उड़ाने की कोशिश की जाती है तो वो भी मुख्य गुंबद के पास पहुंचने से थोड़ा पहले ही दूसरी दिशा में मुड़ जाते हैं. माना जाता है कि मंदिर के गर्भगृह का चुंबकीय क्षेत्र इतना शक्तिशाली है कि कोई भी इसे पार करके निकल नहीं सकता.

मंदिर के शिखर पर चमत्कारी सुदर्शन चक्र-
जगन्नाथ मंदिर के शिखर पर एक सुदर्शन चक्र लगा हुआ है. इसकी खूबी है कि इसे किसी भी कोने से खड़े होकर देखें तो ऐसा लगता है मानो उसका मुंह आपकी तरफ है. मंदिर का ध्वज और सुदर्शन चक्र पूरे पुरी शहर के हर कोने से साफ दिखाई देता है. दिन के किसी भी समय जगन्नाथ मंदिर के मुख्य शिखर की परछाई जमीन पर नहीं पड़ती.

मंदिर के प्रसाद में भी है चमत्कार-
जगन्नाथ मंदिर की रसोई में प्रसाद पकाने के लिए सात बर्तन एक-दूसरे पर रखे जाते हैं. यह प्रसाद मिट्टी के बर्तनों में लकड़ी पर पकाया जाता है. इस दौरान सबसे ऊपर रखे बर्तन का पकवान पहले पकता है फिर नीचे की तरफ से एक के बाद एक प्रसाद पकता जाता है. जबकि छूकर देखें तो ऊपर का बर्तन नीचे के मुकाबले काफी ठंडा होता है। मंदिर में हर दिन बनने वाला प्रसाद भक्तों के लिए कभी कम नहीं पड़ता. साथ ही मंदिर के पट बंद होते ही प्रसाद भी खत्म हो जाता है. प्रसाद के तौर पर बनने वाले अनाज का एक भी दाना बर्बाद नहीं होता है.

अनोखे तरह से साउंड प्रूफ है मंदिर-
जगन्नाथ मंदिर के मुख्यद्वार से पहला कदम अंदर रखते ही आपको पास में बहने वाले समुद्र की लहरों की आवाज सुनाई देना बंद हो जाती है. गेट से जैसे ही आप एक कदम बाहर रखते हैं आपको फिर से समुद्र की लहरों के टकराने की तेज आवाजें सुनाई देने लगती हैं. दुनिया भर के वैज्ञानिकों ने इसके पीछे का कारण जानने की कोशिश की, लेकिन कोई भी संतोषजनक जवाब नहीं दे पाया. 
जगन्नाथ मंदिर की ऐतिहासिकता उसके मौजूदा रूप से कहीं अधिक प्राचीन है. इस मंदिर का जिक्र ऋग्वेद से लेकर महाभारत युग के साहित्य तक में मिलता है. जगन्नाथ मंदिर अपने अकूत खजाने के लिए भी चर्चा में रहता है. इस बात के ऐतिहासिक दस्तावेज हैं कि मंदिर को महान सिख राजा रणजीत सिंह ने इतना सोना दान में दिया था, जितना उन्होंने अमृतसर के स्वर्ण मंदिर को भी नहीं दिया होगा. यही कारण था कि मुस्लिम हमलावरों की नजरों में जगन्नाथ मंदिर हमेशा खटकता रहा. सोलहवीं शताब्दी में यहां पर अफगान लुटेरे काला पहाड़ ने हमला किया था. इसके बाद भी यहां पर कई हमले हुए. यहां तक कि मंदिर के गर्भगृह को अपवित्र करने की भी कई कोशिशें हो चुकी हैं. यही कारण है कि जगन्नाथ मंदिर में गैर-भारतीय धर्म के लोगों के प्रवेश पर पाबंदी लगा दी गई है.
तमाम हमलों के बावजूद जगन्नाथ मंदिर आज भी पूरे शान के साथ अडिग है. इसकी वास्तुकला से जुड़े वो चमत्कार भी जस के तस हैं, जिनके कारण को समझने में आज का विज्ञान भी लाचार है.

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