Janmashtami 2024: जन्माष्टमी की डेट को लेकर न हों कंफ्यूज, यहां जानें कब जन्म लेंगे भगवान श्रीकृष्ण और क्या है पूजा के लिए शुभ मुहूर्त 

Shri Krishna Janmashtami 2024: श्रीकृष्ण जन्माष्टमी को कृष्णाष्टमी, गोकुलाष्टमी, अष्टमी रोहिणी, श्रीकृष्ण जयंती और श्री जयंती के नाम से भी जाना जाता है. अर्धरात्रि में अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र के संयोग में कृष्ण जन्मोत्सव मनाने की परंपरा है. 

Janmashtami 2024
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 21 अगस्त 2024,
  • अपडेटेड 1:54 AM IST
  • इस साल भगवान श्रीकृष्ण का मनाया जाएगा 5251वां जन्मोत्सव 
  • जन्माष्टमी के दिन प्रभु श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप की होती है पूजा 

 Kab Hai Janmashtami 2024: भगवान विष्णु के अवतार माने जाने वाले प्रभु श्रीकृष्ण (Lord Krishna) का हिंदू धर्म में बहुत महत्व है. श्रीकृष्ण जन्माष्टमी (Shri Krishna Janmashtami) भादो मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाई जाती है.

अर्धरात्रि में अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र के संयोग में कृष्ण जन्मोत्सव मनाने की परंपरा है. इस साल जन्माष्टमी की तिथि को लेकर लोग बहुत कंफ्यूजन है. कोई 26 अगस्त तो कोई 27 अगस्त को जन्माष्टमी का त्योहार बता रहा है. आइए जानते हैं कि आखिर जन्माष्टमी किस तिथि को मनाई जाएगी और पूजा के लिए शुभ मुहूर्त क्या है?

इस दिन मनाई जाएगी जन्माष्टमी
पंचांग के मुताबिक भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत 26 अगस्त को सुबह 3:39 बजे से प्रारंभ होगी और 27 अगस्त को सुबह 2:19 बजे पर समाप्त होगी. ऐसे  इस साल श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व 26 अगस्त दिन सोमवार को मनाया जाएगा. इस साल भगवान श्रीकृष्ण का 5251वां जन्मोत्सव मनाया जाएगा. कृष्ण जन्माष्टमी के पूजन का शुभ मुहूर्त 26 अगस्त को दोपहर 12 बजे से 27 अगस्त की देर सुबह 12 बजकर 44 मिनट तक रहेगा. जन्माष्टमी के दिन रोहिणी नक्षत्र दोपहर 03 बजकर 55 मिनट से प्रारंभ होगी और 27 अगस्त को दोपहर 03 बजकर 38 मिनट पर समाप्त होगी.

बाल गोपाल का करते हैं भव्य शृंगार 
श्रीकृष्ण की जन्मभूमि मथुरा और वृंदावन में भी जन्माष्टमी 26 अगस्त 2024 को मनाई जाएगी. इस दिन यहां बांके बिहारी के दर्शन के लिए भक्तों की भीड़ लगी रहती है. मान्यता है कि जन्माष्टमी पर श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप की पूजा करने पर हर दुख, दोष और दरिद्रता दूर हो जाती है. इस दिन घरों में झाकियां सजाई जाती हैं. भजन-कीर्तन किए जाते हैं. कृष्ण भक्त व्रत कर बाल गोपाल का भव्य शृंगार करते हैं. रात्रि में 12 बजे रोहिणी नक्षत्र में कान्हा का जन्म कराया जाता है.

कैसे करें जन्माष्टमी के दिन पूजा 
1. श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन सबसे पहले सुबह उठकर ओम नमो भगवते वासुदेवा का मन में जप करना चाहिए.
2. इसके बाद स्नान करके सूर्य देव को जल अर्पित करना चाहिए.
3. इसके बाद जिस स्थान पर श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप लड्डू गोपाल की मूर्ति स्थापित हो, वहां साफ-सफाई करके गंगाजल डालकर शुद्ध करना चाहिए. 
4. इस स्थान को अशोक की पत्ती, फूल, माला और सुगंध इत्यादि से खूब सजाना चाहिए. 
5. इस स्थान पर बच्चों के छोटे-छोटे खिलौने लगाएं. पालना लगाएं. 
6. प्रसन्न मन के साथ श्री हरि का कीर्तन करें और व्रत रखें. 
7. संभव हो सके तो निराहार अथवा फलाह व्रत रखें. 
8. फिर शाम के समय भजन संध्या पूजन करें और रात्रि में भगवान श्री कृष्ण का पंचामृत से स्नान करें. 
9. प्रभु को मीठे पकवान, माखन इत्यादि का भोग लगाएं. तुलसी दल अर्पित करें.
10. अंत में जीवन में सुख-शांति की कामना करें और लोगों में प्रसाद का वितरण करें. 

जन्माष्टमी के उपाय 
1. रातभर ओम नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करें. इससे आपके सभी कष्टों का नाश होगा और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होगी.
2. सभी प्रकार के मनोवांछित फलों की प्राप्ति के लिए श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर भगवान का संपूर्ण विधि से पूजन करना चाहिए. 
3. यदि विशेष रूप से धन या संतान की प्राप्ति चाहते हैं तो कुछ विशेष उपाय जरूर कर लें. संतान प्राप्ति के लिए श्रीकृष्ण का दूध से अभिषेक करें. भगवान को पंचामृत से स्नान कराएं. 
4. धन लाभ के लिए केसर जल से भगवान का स्नान करना चाहिए. केसर, घी और चंदन उनका लेपन करना चाहिए और रात्रि जागरण करते हुए ओम नमो भगव वासुदेवाय मंत्र का जाप करना चाहिए. 
5. जहां नारायण हैं वहीं माता लक्ष्मी हैं. जब नारायण प्रसन्न होते हैं तो देवी लक्ष्मी जरूर कृपा बरसाती हैं. इस प्रकार के पूजन से मनुष्य को धन लाभ की निश्चित ही प्राप्ति होगी.

क्या करें और क्या नहीं 
1. जन्माष्टमी के दिन व्यक्ति को पूरी तरह सात्विक रहना चाहिए. 
2. ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए. 
3. झूठ, कपट, निंदा, दिखावा, क्रोध, लोभ या मोह से दूर रहना चाहिए. 
4. घर में कलेश नहीं करना चाहिए. 
5. मांस-मदिरा के सेवन से परहेज करें. तामसिक भोजन का सेवन न करें. 
6. शांतिपूर्वक और प्रेम पूर्वक मौन धारण करके मन में ओम नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करते रहना चाहिए. 
7. रात्रि में भगवान का भजन करना चाहिए. 


 

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