800 साल पुराना है कर्नाटक का यदुगिरी यथिराज मठ, जानिए क्या है पूरी कहानी

यदुगिरी यथिराज मठ के पीठाधीश्वर श्री श्री यदुगिरि यतिराज नारायण रामानुज जीयर स्वामीजी को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सुरक्षा दी है. सूत्रों की मानें तो रामानुज जीयर स्वामीजी को कई रेडिकल ग्रुप और PFI के हिट स्क्वाड से खतरे की आशंका है.

यदुगिरी यथिराज मठ
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 08 फरवरी 2023,
  • अपडेटेड 1:55 PM IST

कर्नाटक के यदुगिरी यथिराज मठ के पीठाधीश्वर श्री श्री यदुगिरि यतिराज नारायण रामानुज जीयर स्वामीजी को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने Y कैटेगरी की सुरक्षा दी है. बता दें कि इंटेलिजेंस ब्यूरो की थ्रेट परसेप्शन रिपोर्ट के आधार पर उन्हें ये सेंट्रल सिक्योरिटी दी गई है. सूत्रों की मानें तो रामानुज जीयर स्वामीजी को कई रेडिकल ग्रुप और PFI के हिट स्क्वाड से खतरे की आशंका है, जिसके बाद उन्हें ये सुरक्षा दी गई है. ये सुरक्षा उन्हें तेलंगाना, आंध्र प्रदेश सहित दूसरे राज्यों में मिलेगी. गौरतलब है कि Y कैटेगरी की सुरक्षा में कुल 8-10 सुरक्षाकर्मी 24 घंटे तैनात रहते हैं. आप में बहुत कम लोग शायद कर्नाटक के यदुगिरी यथिराज मठ के बारे में जानते होंगे. दरअसल इस मठ का इतिहास काफी पुराना और दिलचस्प है, तो चलिए आपके इस मंदिर के इतिहास के बारे में बताते हैं.

ऐसे हुई यदुगिरी यथिराज मठ की स्थापना
मेलकोट में यदुगिरी यथिराज मठ एक तेनकलाई श्री वैष्णव मठ है जिसकी स्थापना रामानुजाचार्य ने चेलुवनारायण स्वामी मंदिर के प्रबंधन और रामानुज विशिष्टाद्वैत दर्शन के प्रचार के लिए की गई थी. रामानुज का दूसरा नाम यतिराज भी है.

जब रामानुजाचार्य होयसला साम्राज्य के राजगुरु बने तो उन्हें एक दिन भगवान विष्णु ने सपने में दर्शन देकर मेलकोट जाने का आदेश दिया. यात्रा का उद्देश्य था श्रीविष्णव ऊर्ध्व पुंद्रा के लिए नम मिट्टी की खोज करना था, जो मेलकोट में प्रचुर मात्रा में थी. यात्रा करने पर, उन्हें एक चींटी की पहाड़ी के नीचे पवित्र पृथ्वी और भगवान का एक विग्रह मिला, जिसे बाद में बहुधन्या वर्ष, पुष्यमास, शुक्ल पक्ष, चतुर्दशी में पंचरात्र आगम के अनुसार मेलकोट के देवता तिरुनारायण के रूप में स्थापित किया गया था. 

रामानुज ने तीन दिनों तक इसकी पूजा की, उसके बाद कुंभाभिषेकम और तमिल वेदों का पाठ किया. इसके बाद, सन्यासी के रहने और मंदिर के मामलों का प्रबंधन करने के लिए यदुगिरी यथिराज मठ की स्थापना की गई. मठ के जीयरों ने भक्तों को आकर्षित किया और अपनी विद्वता, भक्ति और अन्य गुणों से शाही संरक्षण प्राप्त किया. 

 

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