Karwa Chauth Vrat Katha: करवाचौथ व्रत की सामग्री की अभी से बना लें लिस्ट, जानें व्रत कथा और इसका महत्व

Karwa Chauth Vrat Katha: हिंदू धर्म में करवा चौथ का बड़ा महत्व है. इस दिन विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत करती हैं. आज हम आपको बता रहें करवा चौथ की व्रत कथा.

Karwa Chauth 2022
gnttv.com
  • नई दिल्ली ,
  • 11 अक्टूबर 2022,
  • अपडेटेड 8:54 AM IST
  • करवा चौथ का व्रत 13 अक्ट्बर 2022 को मनाया जा रहा है
  • करवा चौथ व्रत कथा सुनने का बहुत महत्व है

इस साल करवा चौथ का व्रत 13 अक्ट्बर 2022 को मनाया जा रहा है. करवाचौथ के दिन सभी सुहागिन स्त्रियां अपने पति की लंबी आयू के लिए व्रत रखती हैं. इस दिन महिलाएं बिना अन्न और पानी के पूरा दिन उपवास करती हैं. और रात को करवा चौथ (Karwa Chauth) की पूजा और चांद को अर्घ्य देकर अपना व्रत खोलती हैं. 

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, करवा चौथ का व्रत करने से महिलाओं को अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद मिलता है. हालांकि, करवा चौथ की पूजा इसकी व्रत कथा के बिना अधूरी मानी जाती है. इसलिए आज हम आपको बता रहे हैं कि करवा चौथ पूजा के लिए जरूरी सामग्री क्या है और साथ ही, करवा चौथ व्रत कथा. 

ये सब चीजें जरूरी हैं करवा चौथ की थाली में
करवा चौथ के लिए थाली को अच्छे से सजाना चाहिए. आजकल बाजार में पहले से डेकोरेटेड थालियां भी मिलती हैं. इस थाली में आपको करवा, दिए, छलनी, लोटा, सिंदूर, मिठाई, चावल, व्रत कथा पुस्तक, और फल रखने होते हैं. ये सभई सामग्री करवा चौथ की पूजा के लिए चाहिए होती है. 

करवा चौथ की पूजा इसकी व्रत कथा सुने बिना अधूरी मानी जाती है. करवा चौथ व्रत कथा सुनने का बहुत महत्व है. इस व्रत कथा को सुनने से भी देवी इंद्राणी प्रसन्न होती हैं और आपको आशीर्वाद देती हैं. 

करवा चौथ व्रत कथा
पौराणिक कथाओं के मुताबिक, एक ब्राह्मण के सात पुत्र और इकलौती पुत्री वीरावती थी. सात भाईयों की अकेली बहन वीरवती सबकी लाडली थी. कुछ साल बाद वीरावती का विवाह एक ब्राह्मण युवक से हुआ. विवाह के बाद, जब पहली करवाचौथ पड़ी तो वीरावती अपने मायके में थी. मायके में वीरावती ने अपनी सातों भाभियों के साथ करवा चौथ का व्रत रखा. 

शाम होते-होते वीरावती भूख और प्यास से व्याकुल होकर चंद्रमा के आने का इंतजार करने लगी. भाइयों से अपनी बहन की ऐसी हालत दखी नहीं गई. उन्होंने वीरावती को खाने के लिए कहा लेकिन वीरावती ने मना कर दिया. उसने कहा कि वह चंद्रमा को अर्घ्य देकर अपने पति के हाथों से ही पानी पिएगी. 

ऐसे में, कुछ समय बाद, वीरावती के एक भाई ने पीपल के पेड़ पर चढ़कर एक दीपक जलाकर चलनी की ओट में रख दिया. दूर से दिखने पर लगा की चांद निकल आया है. दूसरे भाई ने आकर वीरावती को कहा कि चांद निकल आया है. वीरावती ने खुशी-खुशी जाकर चांद को देखा और उसे अर्घ्‍य देकर खाना खाने बैठ गई. लेकिन उसने जैसे ही पहला टुकड़ा उठाया तो तो उसे छींक आ गई. दूसरे टुकड़े में बाल निकल आया. इसके बाद उसने जैसे ही तीसरा टुकड़ा मुंह में डालने की कोशिश की तो उसके पति की मृत्यु की खबर आ गई. 

वीरावती का दुख देख उसकी भाभी ने उसे बताया कि तुमने करवा चौथ का व्रत गलत तरीके से तोड़ा है. वीरावती ने रो-रोकर अपनी गलती की माफी मांगी और इंद्र देव की पत्नी इंद्राणी से अपने पति की जिंदगी की गुहार लगाई. देवी इंद्राणी ने वीरावती को पूरी श्रद्धा और विधि-विधान से करवा चौथ का व्रत करने के लिए कहा. इंद्राणी की बात सुनकर वीरावती ने वैसा ही किया. उसकी पूजा और भक्ति देख कर भगवान प्रसन्न हो गए और उन्होंनें वीरावती को अखंड सौभाग्यवती भव: का आशीर्वाद देते हुए उसके पति को जीवित कर दिया. 

 

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