Kashi Ki Holi: क्या आप जानते हैं काशी में रंगों की जगह चिता की भस्म से खेली जाती है होली, यहां जानिए मान्यता और कब है तारीख

Masan Holi: काशी में रंगभरी एकादशी से रंगोत्सव की शुरुआत होती है. इस दौरान महादेव गौरा का गौना कराकर काशी की गलियों में घूमते हैं. वह भक्तों के साथ होली खेलते हैं. इसके बाद मणिकर्णिका घाट पर चिता भस्म की होली खेली जाती है. 

काशी में चिता की भस्म से होली खेलते लोग (फाइल फोटो)
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 27 फरवरी 2023,
  • अपडेटेड 5:35 PM IST
  • मणिकर्णिका घाट पर बाबा अपने गणों के साथ खेलते हैं चिता भस्म की होली 
  • मसान होली में शामिल होना लोग मानते हैं अपना सौभाग्य 

होली की तैयारी पूरे देश में धूमधाम से की जा रही है. काशी में होली पर्व का विशेष महत्व है. यहां होली दो दिन खेली जाती है. ऐसी मान्यता है कि रंगभरी एकादशी को काशीपुराधिपति बाबा विश्वनाथ अपनी नगरी के भक्तों व देवी-देवताओं संग अबीर गुलाल संग होली खेलते हैं. इसके अगले दिन महाश्मशान मणिकर्णिका घाट पर बाबा अपने गणों के साथ चिता भस्म की होली खेलते हैं. 

काशी में रंगभरी एकादशी से रंगोत्सव की शुरुआत होती है. इस दौरान महादेव गौरा का गौना कराकर काशी की गलियों में घूमते हैं. वह भक्तों के साथ होली खेलते हैं. इसके अगले दिन मसान होली या चिता भस्म की होली खेली जाती है.

मणिकर्णिका घाट पर जुटते हैं लोग
रंगभरी एकादशी के दूसरे दिन काशी में मणिकर्णिका घाट पर चिता होली को खेलने के लिए लोग जुटते हैं. यहां लोग चिताओं की भस्म से होली खेलते हैं और फिर जब दोपहर में बाबा के स्नान का वक्त होता है तो यहां भक्तों का उत्साह चरम पर होता है. परंपरा के अनुसार सबसे पहले मसाननाथ की प्रतिमा पर अबीर-गुलाल और चिता भस्म लगाने के बाद घाट पर चिताओं की राख से होली खेली जाती है. ये परम्परा अनादि काल से यहा भव्य रूप से मनायी जाती रही हैं. इस परम्परा को पुनर्जीवित किया बाबा महाश्मसान नाथ मंदिर के व्यवस्थापक गुलशन कपूर ने जो पिछले 21 वर्षों से इस परम्परा को भव्य रूप देकर दुनिया के कोने-कोने तक पहुंचाया.

देवी-देवता, भूत-प्रेत भी होते हैं शामिल
काशी में यह मान्यता है कि रंगभरी एकादशी के दिन बाबा विश्वनाथ माता पार्वती का गौना(विदाई) करा कर अपने धाम काशी लाते हैं जिसे काशीवासी उत्सव के रूप में मनाते हैं.इस उत्सव में सभी शामिल होते हैं, जैसे देवी, देवता, यक्ष,गंदर्व, मनुष्य. उस दिन से ही सम्पूर्ण विश्व को प्रंश्नता, हर्ष-उल्लास देने वाले त्योहार होली का आरम्भ होता है जिसमें दुश्मन भी गले मिल जाते हैं.

दुनिया भर से लोग आते हैं काशी 
इस पारंपरिक उत्सव को काशी के मणिकर्णिका घाट पर जलती चिताओ के बीच मनाया जाता हैं जिसे देखने दुनिया भर से लोग काशी आते हैं. इस अद्भुत,अद्वितीय,अकल्पनीय होली को देखकर,खेलकर दुनिया की अलौकिक शक्तियों के बीच अपने को खड़ा पाते हैं और जीवन के सास्वत सत्य से परिचित होकर बाबा में अपने को आत्मशांत कर शिवोहम् हो जाते हैं. इसमें शामिल होना लोग अपना सौभाग्य मानते हैं. 

 

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