महादेव की नगरी में काशी कॉरिडोर के निर्माण के बाद पर्यटकों की संख्या कई गुना बढ़ी है. ऐसे में एक नया अध्याय जल्द ही काशी के वैभव में चार चांद लगाने वाला है. यहां के प्राचीन मंदिरों की पहचान के लिए भव्य स्तम्भों का निर्माण कराया जाएगा. स्तम्भों पर बने खास चिह्न मंदिरों का पथ बताएंगे. इससे जहां काशी आने वाले पर्यटकों और श्रद्धालुओं का मार्ग सुगम होगा वहीं शहर की भव्यता भी बढ़ेगी.
काशी में अब यात्रा और सुगम होगी
दुनिया के सबसे प्राचीन पर सबसे जीवंत शहर काशी में अब यात्रा और सुगम होने वाली है. गंगा के किनारे महादेव की पवन नगरी में आने वालों का स्वागत और उनकी सहायता के लिए अब भव्य स्तम्भ होंगे. काशी के प्रसिद्ध तीर्थ मंदिरों और श्रद्धा के केंद्रों की पहचान बताने के लिए यूपी सरकार 100 भव्य स्तम्भों का निर्माण कराएगी. इससे शहर में धार्मिक यात्राएं करने वालों को मंदिरों की पहचान करने में आसानी होगी.
काशी में दस धार्मिक यात्राओं का है महत्व
दरअसल, काशी में धार्मिक यात्राओं का विशेष महत्व है. महादेव का वास तो काशी में है ही साथ ही मां अन्नपूर्णा, विनायक गणपति और भैरव भी यहां विराजते हैं. पावन पथ सर्किट में कुल दस यात्राएं शामिल हैं. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इसके अंतर्गत अष्ट भैरव यात्रा, नौ गौरी यात्रा, नौ दुर्गा यात्रा, अष्टविनायक यात्रा, अष्ट प्रधान विनायक यात्रा, एकादश विनायक यात्रा, द्वादश ज्योतिर्लिंग यात्रा, काशी विष्णु यात्रा, द्वादश आदित्य यात्रा और काशी चार धाम यात्रा शामिल हैं. इन यात्राओं के अंतर्गत पौराणिक महत्व के 120 मंदिर हैं. अब इन्हीं यात्रा पथों पर अलग-अलग मंदिरों को चिह्नित करते स्तम्भ काशी में होंगे.
रेड एंड वाइट स्टोन के बने स्तम्भों से दूर से ही पहचाने जा सकेंगे मंदिर
काशी में पावन पथों पर लगने वाले स्तम्भों की रूप रेखा तैयार कर की गई है. इसे पावन पथ परियोजना का नाम दिया गया है. पावन पथ परियोजना पर लगभग 24.35 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है. साथ ही इस योजना को दिसंबर 2023 तक मूर्त रूप देने का लक्ष्य रखा गया है. पावन पथ परियोजना का निर्माण करने वाले यूपी प्रोजेक्ट्स कारपोरेशन लिमिटेड, वाराणसी के परियोजना प्रबन्धक विनय जैन बताते हैं कि काशी यात्रा के दौरान अब मंदिरों को दूर से ही पहचाना जा सकेगा. इसके लिए हर यात्रा से संबंधित स्तंभ लगाया जा रहा है. इन स्तम्भों का निर्माण स्तम्भ रेड एंड व्हाइट स्टोन (red and white stone) से किया जाएगा.
काशी में पावन पथ यात्रा मार्ग पर लगने वाले स्तम्भ लोग दूर से ही देख सकें इसके लिए ये तय किया गया है कि इन स्तम्भों की ऊंचाई करीब 12 से 15 फिट के बीच होगी. साथ ही वाराणसी को एकरूपता और वास्तु और डिजाइन में साम्य लाने के लिए सभी स्तंभों को वाराणसी के मंदिरों से मिलती जुलती शैली में तैयार किया जाएगा. जिससे इन स्तम्भों के पास से हो कर गुजरने वाले लोगों को अलग अनुभव हो.
स्तम्भ पर नंदी और विनायक बताएंगे पहचान
हालांकि काशी आने वाले लोगों की यात्रा सुगम बनाने के लिए ये स्तम्भ लगाए जाएंगे पर इनके निर्माण में काशी की परंपरा के अनुरूप मान्यताओं का ध्यान रखा जाएगा. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार द्वादश ज्योतिर्लिंग यात्रा में स्तंभ पर नंदी और शिवलिंग, नवदुर्गा यात्रा में दुर्गा, द्वादश आदित्य ज्योतिर्लिंग में स्तंभों पर सूर्य, विनायक की अलग-अलग यात्रा में स्तम्भों पर गणेश जी की मूर्ति बनी होगी. पावन पथ परियोजना प्रबंधक ने बताते हैं कि मंदिरों में उपलब्ध जगह के अनुसार 100 स्तंभ और द्वार भी लगाए जा रहे हैं. ये द्वार (गेट) भी यात्रा विशेष की पहचान बताएंगे. यात्री सुविधाओं के लिए लाइट, कूड़ेदान, बैठने के लिए बेंच, पीने का साफ पानी, फ्लोरिंग आदि का काम भी हो रहा है. काशी की सीमा में प्रवेश करते ही आपको पवन पथ सर्किट की सम्पूर्ण जानकारी मिल जाएगी. इसके लिए पाथवे फाइंडर, इनफार्मेशन साइनेज भी लगाए जा रहे हैं.
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाओं पर काम कर रही है. इसके तहत धार्मिक पहचान वाले शहरों को और ज्यादा भव्यता देना और सुविधाओं का विकास भी शामिल है.