भाईदूज के दिन केदारनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए सुबह 8:30 बजे बंद कर दिये गये. विशेष पूजा-अर्चना के बाद चल विग्रह डोली शीतकालीन प्रवास के लिए रवाना हुई. विधि-विधान के साथ कपाट बंद होने के बाद सेना के बैंड की भक्तिमय धुनों के साथ बाबा गद्दी को भेजा गया. अब केदार धाम अगले 6 महीने के बाद ही खुलेगा. सुबह चार बजे से मंदिर के गर्भगृह में पूजा-अर्चना शुरू हुई. बाबा की चल उत्सव विग्रह डोली धाम से शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए प्रस्थान करते हुए रात्रि प्रवास के लिए पहले पड़ाव रामपुर पहुंचेगी. 17 नवंबर को बाबा केदार छह माह की शीतकालीन पूजा-अर्चना के लिए ओंकारेश्वर मंदिर में विराजमान हो जाएंगे.
लेकिन क्या आप जानते हैं कि केदारनाथ धाम के कपाट भाई दूज के मौके पर ही क्यों बंद होते हैं? दरअसल, केदारनाथ धाम के कपाट बंद होने की मान्यता महाभारत और पांडवों से जुड़ी है.
क्यों चुना भाईदूज का दिन
भाई दूज के दिन ही केदारनाथ के कपाट क्यों बंद किए जाते हैं इसके पीछे एक कहानी है. पौराणिक कथाओं के अनुसार द्वापर युग में महाभारत युद्ध के बाद पांडव द्रौपदी के साथ हिमायलय दर्शन के लिए दए थे. तब उन्होंने केदारनाथ में भगवान शिव के मंदिर का निर्माण किया था और भाई दूज के दिन अपने पितरों का तर्पण किया. तब उन्हें स्वर्ग की प्राप्ति हुई थी. एक मान्यता ये भी है कि चूंकि भाई दूज दिवाली का अंतिम पर्व है और इसके बाद ठंड भी बढ़ जाती है. इस वजह से हिमालय पर रहना संभव नहीं होता है इसलिए, भाई दूज पर केदारनाथ मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं. हर साल शिवरात्रि के दिन कपाट खुलने का दिन तय किया जाता है.पिछले साल 27 अक्टूबर 2022 को केदारनाथ धाम के कपाट बंद हुए थे और 25 अप्रैल 2023 को मेघ लग्न में सुबह 6 बजकर 20 मिनट पर खुले थे.