Kerala High Court: अनुच्छेद 25 में हिंदू पब्लिक को मंदिर में पूजा करने का अधिकार, पुजारी बनने का नहीं, Travancore Devaswom Board मामले में केरल हाईकोर्ट का फैसला

त्रावणकोर देवासम बोर्ड (Travancore Devaswom Board) ने एक नोटिस जारी किया था. जिमसें सबरीमाला अयप्पा मंदिर (Sabarimala Ayyappa Temple) के मेलशांति यानी मुख्य पुजारी के पद के लिए आवेदन करने वाले उम्मीदवार के मलयाली ब्राह्मण होने की शर्त रखी थी. इसके खिलाफ याचिका दायर की गई थी और इसे संविधान के खिलाफ बताया गया था. लेकिन केरल हाईकोर्ट ने याचिका को खारिज दर किया है.

Kerala High Court
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 29 फरवरी 2024,
  • अपडेटेड 12:16 PM IST

हिंदुओं को मंदिर में पूजा को लेकर केरल हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला दिया है. कोर्ट ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 25 में हिंदुओं को सिर्फ मंदिर में एंट्री करने और पूजा करने का मौलिक अधिकार मिला है. कोर्ट ने कहा कि संविधान के इस अनुच्छेद में हिंदू पब्लिक को मंदिरों में पुजारी की भूमिका निभाने का कोई अधिकार नहीं मिला है. हाईकोर्ट ने सबरीमाला-मलिकाप्पुरम मंदिरों के मुख्य पुजारी (मेलशांति) के तौर पर सिर्फ मलयाला ब्राह्मणों से आवेदन आमंत्रित करने वाली त्रावणकोर देवासम बोर्ड की नोटिस को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया.

भक्त 24 घंटे मंदिर खुला रखने का दावा नहीं कर सकता-
यह फैसला जस्टिस अनिल के नरेंद्रन और जस्टिस पीजी अजित कुमार की बेंच ने लिया. बेंच ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 25(2)(बी) में पूजा करने का अधिकार पूर्ण नहीं है और कोई भी श्रद्धालु 24 घंटे मंदिर खुला रखने का दावा नहीं कर सकता है. कोर्ट ने कहा कि भक्त को किसी पुजाारी की तरह पूजा कराने या धार्मिक अनुष्ठान करने की इजाजत भी नहीं है. कोर्ट ने कहा कि हिंदू समुदाय का कोई भी व्यक्ति अधिकारों के तौर पर इसका दावा नहीं कर सकता है.

कोर्ट ने कहा कि त्रावणकोर देवासम बोर्ड और उसके सदस्यों के कर्तव्य पूरी तरह से प्रशासनिक हैं, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि धार्मिक संस्थानों में मान्यता प्राप्त प्रथाओं के अनुसार नियमित पारंपरिक संस्कार और समारोह हों.

क्या था मामला-
त्रावणकोर देवासम बोर्ड ने एक नोटिस जारी किया था और कहा था कि सबरीमाला अयप्पा मंदिर के मेलशांति यानी मुख्य पुजारी के पद के लिए आवेदन करने वाला उम्मीदवार मलयाली ब्राह्मण होना चाहिए. त्रावणकोर देवासम बोर्ड की इस अधिसूचना के खिलाफ कोर्ट में याचिका दायर की गई थी.

हाईकोर्ट में याचिकाकर्ता ने कहा कि यह अधिसूचना सुप्रीम कोर्ट के फैसलों और संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 16, 17 और 21 का उल्लंघन है. याचिकाकर्ता का कहना था कि पुजारी के पद पर सिर्फ मलयाली ब्राह्मणों की नियुक्ति की शर्त संविधान के अनुच्छेद 25 और 26 का उल्लंघन है.

आपको बता दें कि अनुच्छेद 25 में धार्मिक स्वतंत्रता और अनुच्छेद 26 में धार्मिक मामलों के प्रबंधन की स्वतंत्रता का जिक्र है. याचिकाकर्ता का कहना था कि जाति के भेदभाव के बिना पुजारी के पद नियुक्ति होनी चाहिए. लेकिन हाईकोर्ट ने याचिका खारिज कर दी है.

ये भी पढ़ें:

Read more!

RECOMMENDED