मध्य प्रदेश के रायसेन जिले में राष्ट्रीय राजमार्ग जयपुर-जबलपुर स्थित खरगोन में धाकड़ मोहल्ला में इमली के पेड़ के नीचे रखी भगवान आदिनाथ की एक मूर्ति का दर्शन करने के लिए दूर दराज से लोग आते हैं. बताया जाता है कि यह मूर्ति लोगों को खेत मे मिली थी. इस मूर्ति को जैन संतो द्वारा चौथी शताब्दी का बताया जाता है.
मान्यता है कि इस मूर्ति के सामने नारियल-फूल भेंट करके किसी भी खोई हुई वस्तु की पुकारा जाए और लगाकर 9 परिक्रमा की जाएं तो खोई हुई कोई भी चीज मिल जाती है. इसलिए इस जगह को खोना बाबा के नाम से भी जानते हैं. बताते हैं कि प्राचीन समय में कर्नाटक से पधारे आचार्य कुलरत्न भूषण महाराज ने इस प्रतिमा का शुद्धिकरण और अभिषेक आदि कर जीर्णोद्धार करवाया था.
तब से यहां जैन समाज के अनुयायी बड़ी संख्या में आने लगे हैं। यहां निवास करने वाले लोगों को कहना है कि हमारा पूरा जीवन गुजर गया, लेकिन हमारे पिता और दादा के जमाने से यह मूर्ति यहीं पर रखी हुई है.
पशुओं की सेहत के लिए करते हैं लोग पूजा
यहां रहने वाले प्रेम शंकर पटेल ने बताया कि सभी मोहल्ले वासी खोना बाबा के नाम से इनकी पूजा करते हैं. लोग यहां जल चढ़ाते हैं. कभी भी किसी को दुख तकलीफ होती है तो मात्र यहां पर प्रसाद चढ़ाने से तत्काल छुटकारा मिलता है. साथ ही यदि पशु को किसी प्रकार की तकलीफ होती है जैसे गाय के थनों से खून आता है तो यहां पर प्रसाद चढ़ाने से पशु को भी आराम मिलता है. मध्य प्रदेश सहित भारत के सभी प्रान्तों से लोग खोना बाबा के दर्शन करने आते हैं.
मिलता है मनचाहा फल
इस संबंध में सिलवानी निवासी संजीव सिंघई ने बताया कि यह प्रतिमा अतिशय कारी और प्रभावशाली है, क्योंकि मूर्ति के पीछे दोनों साइड दो सिंह हैं जैसे कि कुंडलपुर की मूर्ति में सिंह है. साथ ही यह मूर्ति पूर्व मुखी है. उन्होंने बताया कि इस मूर्ति के दर्शन मात्र से मनचाहा फल प्रदान होता है.
(राजेश रजक की रिपोर्ट)