Ganesh Chaturthi 2022: गणेश चतुर्थी पर इस शुभ मुहूर्त में करें बप्पा की स्थापना, जानें महोत्सव के दौरान की जानें वाली चार विधि

गणेश उत्सव (Ganesh Utsav)31 अगस्त 2022 से शुरु हो रहा है. 10 दिनों की इस अवधि के दौरान, 16 अनुष्ठान (Rituals)किए जाते हैं. इसमें से सबसे जरूरी यह चार विधि हैं.

Ganesh Chaturthi 2022
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 26 अगस्त 2022,
  • अपडेटेड 8:31 PM IST
  • 10 दिनों तक चलता है गणेश उत्सव
  • 10 दिनों में किए जाते कई धार्मिक संस्कार

गणेश चतुर्थी, भगवान गणेश के जन्म का जश्न मनाने वाला त्योहार है. गणेश चतुर्थी समारोह 31 अगस्त को शुरू होगा और 9 सितंबर को समाप्त होगा. इसे विनायक चतुर्थी या विनायक चविथी के रूप में भी जाना जाता है. यह त्योहार भारत में सबसे उत्सुकता, लोकप्रियता और व्यापक रूप से मनाया जाता है. चलिए आपको बताते हैं वो धार्मिक संस्कार जो इन 10 दिनों में किए जाते हैं. 

आवाहन और प्राण प्रतिष्ठा

गणेश उत्सव की शुरुआत के दौरान दीप-प्रज्वलन और संकल्प करने के बाद आवाहन और प्राण प्रतिष्ठा सबसे पहली विधि है. इसमें मंत्र जाप के साथ, भगवान गणेश को श्रद्धापूर्वक आमंत्रित किया जाता है और पंडाल, मंदिर या घर में स्थापित मूर्ति में जीवन का आह्वान किया जाता है. यह मूर्ति को प्रतिष्ठित करने की एक जरूरी विधि है. 

षोडशोपचार पूजन विधि

मूर्ति को प्रतिष्ठित करने के बाद मूर्ति की पूजा की जाती है, जिसे षोडशोपचार पूजन विधि कहा जाता है. षोडशोपचार का मतलब है भगवान की भक्तिपूर्वक पूजा करना. गणेशजी के चरण धोकर मूर्ति को दूध, घी, शहद, दही, चीनी से स्नान कराया जाता है और उसके बाद सुगंधित तेल और फिर गंगा जल से स्नान कराया जाता है. इसके बाद उन्हें वस्त्र/कपड़े पहनाए जाते हैं और फूल, चावल, माला, सिंदूर और चंदन के साथ से उनकी पूजा की जाती है.  

उत्तरपूजा

यह विधि विसर्जन से पहले की जाती है. बहुत उल्लास और भक्ति के साथ सभी लोग उत्सव में भाग लेते हैं. पंडालों, मंदिरों या घरों में गणेश चतुर्थी को अपार खुशी के साथ मनाया जाता है. इस दौरान लोग गाते हैं, नाचते हैं और आतिशबाजी करते हैं. मंत्रों, आरती, पुष्पों के साथ गणेश जी को विदा किया जाता है. 

गणपति विसर्जन

यह भव्य उत्सव की आखिरी विधि है. गणेश की मूर्ति को श्रद्धापूर्वक जलाशयों में विसर्जित कर दिया जाता है और अगले साल भगवान की वापसी की कामना की जाती है. विसर्जन के लिए जाते समय लोग जोर-जोर से चिल्लाते हैं "गणपति बप्पा मोरया, पुरच्य वर्षि लौकारिया". 

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