भगवान श्रीकृष्ण, हिंदू धर्म के प्रमुख भगवानों में से एक हैं. वे विष्णु के 8वें अवतार माने गए हैं. कन्हैया, श्याम, गोपाल, केशव, द्वारकाधीश, वासुदेव कई नामों से उनको जाना जाता है. भगवान कृष्ण का जन्म द्वापरयुग में हुआ था. महर्षि वेदव्यास की रचित श्रीमद्भागवत और महाभारत में कृष्ण का चरित्र विस्तृत रूप से लिखा गया है. कृष्ण और अर्जुन के बीच के संवाद पर लिखा गया ग्रंथ भगवद्गीता पूरे विश्व में लोकप्रिय है. देश भर में भगवान कृष्ण के कई मंदिर हैं. हर मंदिर की अपनी कुछ न कुछ खास विशेषता है. उत्तर भारत से लेकर दक्षिण भारत तक कृष्णजी के खूबसूरत और विशाल मंदिर स्थापित हैं. आइए जानते हैं ऐसे ही कुछ खास मंदिरों के बारे में.
* द्वारकाधीश मंदिर, मथुरा
श्रीकृष्ण का जन्म उत्तर प्रदेश के शहर मथुरा में एक कारागार में हुआ था. द्वारकाधीश मंदिर मथुरा के प्रमुख मंदिरों में से एक है. यहां पर भगवान कृष्ण की काले रंग की प्रतिमा की पूजा की जाती है. हालांकि, राधा की मूर्ति यहां सफेद रंग की है. इसकी वास्तुकला भारत की प्रचीन वास्तुकला से प्रेरित है. जन्माष्टमी का त्योहार यहां धूमधाम से मनाया जाता है.
* बांके बिहारी मंदिर, वृंदावन
भगवान श्रीकृष्ण ने अपना बचपन वृंदावन में ही बिताया था. भगवान कृष्ण को बांके बिहारी भी कहा जाता है इसलिए उनके नाम पर ही इस मंदिर का नाम भी बांके बिहारी रखा गया है. जन्माष्टमी के दिन मंगला आरती होने के बाद श्रद्धालुओं के लिए रात 2 बजे ही इस मंदिर के दरवाजे खुल जाते हैं. मंगला आरती साल में केवल एक बार होती है.
* द्वारकाधीश मंदिर, गुजरात
मथुरा छोड़कर भगवान कृष्ण गुजरात चले गए थे, जहां उन्होंने द्वारिका नगर बसाया था. यहां भगवान श्रीकृष्ण को द्वारकाधीश कहा जाता है. यह गुजरात का प्रमुख कृष्ण मंदिर है. इसे जगत मंदिर भी कहा जाता है. यह मंदिर चार धाम यात्रा का भी मुख्य हिस्सा है. चारों धामों में से यह पश्चिमी धाम है. द्वारकाधीश मंदिर गोमती क्रीक पर स्थित है और 43 मीटर की ऊंचाई पर मुख्य मंदिर बना है. जन्माष्टमी के दौरान मंदिर को बहुत ही खूबसूरती से सजाया जाता है.
* जगन्नाथ पुरी, उड़ीसा
उड़ीसा के पुरी में स्थित जगन्नाथ मंदिर में भगवान कृष्ण अपने बड़े भाई बलराम और बहन सुभद्रा के साथ विराजमान हैं. यहां वार्षिक रथ यात्रा के दौरान बहुत रौनक होती है. इस रथ यात्रा में भाग लेने और भगवान जगन्नाथ के रथ को खींचने के लिए दुनिया भर से श्रद्धालु पुरी पहुंचते हैं. हर साल इस रथ यात्रा का आयोजन होता है. इसके लिए तीन विशाल रथ तैयार किए जाते हैं. सबसे आगे बलराम जी का रथ रहता है, फिर बहन सुभद्रा का रथ रहता है और उसके पीछे भगवान कृष्ण अपने रथ में सवार होकर चलते हैं.
* श्रीकृष्ण मठ मंदिर, उडुपी
कर्नाटक के इस प्रसिद्ध मंदिर की खासियत यह है कि यहां भगवान कृष्ण की पूजा खिड़की के नौ छिद्रो में से ही की जाती है. यहां हर साल पर्यटकों का तांता लगा रहता है, लेकिन जन्माष्टमी के दिन यहां अलग ही रौनक देखने को मिलती है. यह मंदिर लकड़ी और पत्थर से बना हुआ है.
* श्रीकृष्ण निर्वाण स्थल, गुजरात
गुजरात के सौराष्ट्र में भालका तीर्थ भगवान श्रीकृष्ण के आखिरी लम्हों की गवाही देता है. यही वो पावन स्थान है, जहां भगवान कृष्ण ने अपना शरीर त्यागा था. भालका तीर्थ गुजरात के सौराष्ट्र में मौजूद द्वादश लिंगों में से एक सोमनाथ मंदिर से महज 5 किलोमीटर दूरी पर है. इस मंदिर में बनी भगवान श्री कृष्ण की प्रतिमा उनके आखिरी वक्त को दर्शाती है. धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, इसी जगह पर भगवान श्रीकृष्ण को एक बहेलिये के तीर मार दिया था. बाण लगने से घायल भगवान कृष्ण भालका से थोड़ी दूर पर स्थित हिरण नदी के किनारे पहुंचे और उसी जगह पर पंचतत्व में विलीन हो गए.