Krishna Janamashtmi 2022: कृष्ण जन्मोत्सव आज, जानिए क्या है पूजा की तिथि और पूजन विधि

इस साल कृष्ण जन्माष्टमी को लेकर बड़ी दुविधा है. कुछ लोग ने इसे 18 अगस्त को मनाया तो कुछ ने 19 अगस्त को मना रहे हैं. हालांकि कृष्ण जन्मभूमि और द्वारकाधीश में 19 अगस्त को ही मनाई जा रही है.

कृष्ण जन्मोत्सव
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 19 अगस्त 2022,
  • अपडेटेड 7:31 PM IST
  • द्वारकाधीश में 19 अगस्त को ही मनाई जा रही जन्माष्टमी
  • 19 को पूरे दिन रहेगी तिथि

हिंदू शास्त्रों के अनुसार भगवान कृष्ण का जन्म भाद्रपद की अष्टमी तिथि को रात 12 बजे हुआ था. इस दिन को कृष्ण जन्माष्टमी के तौर पर देशभर में धूमधाम से मनाया जाता है. इस त्योहार को केवल कृष्ण जन्मभूमि मथुरा में ही नहीं बल्कि पूरे देश में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. लेकिन कई बार इसकी तिथि को लेकर काफी दुविधा आती है. कुछ लोगों का मानना है कि जन्माष्टमी कल यानी 18 अगस्त को थी, वहीं कुछ इसे आज यानी 19 अगस्त को मान रहे हैं. आइए जानते हैं क्या है कि कृष्ण जन्माष्टमी की सही तिथि, शुभ मुहूर्त क्या है.

कृष्ण जन्माष्टमी की सही तिथि
कृष्ण जन्माष्टमी के दिन भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था, और धर्म शास्त्रों के अनुसार रात 12 बजे भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था. लेकिन इस साल अष्टमी तिथि 18 अगस्त को रात 9 बजकर 21 मिनट पर शुरू होगी और 19 अगस्त की रात को समाप्त होगी. ऐसे में कुछ विद्वानों का मानना है कि जन्माष्टमी का व्रत और पूजा 18 अगस्त को होनी चाहिए क्योंकि कृष्ण भगवान का जन्म रात को हुआ था. 

वहीं कुछ विद्वान मानते हैं कि व्रत व पूजन हमेशा उदया तिथि के अनुसार ही की जानी चाहिए. ऐसे में जन्माष्टमी का व्रत व पूजा 19 अगस्त 2022 को ही होनी चाहिए. कृष्ण जन्माष्टमी का सबसे ज्यादा महत्व जन्मभूमि और द्वारकाधीश में है. इन दोनों जगहों पर 19 अगस्त को ही मनाया जाएगा. इसके अलावा 19 अगस्त को मनाने का एक और कारण ये भी है कि इस दिन अष्टमी तिथि पूरे दिन रहेगी और सूर्योदय भी इसी दिन होगा. 

जन्माष्टमी पूजन विधि
कृष्ण जन्माष्टमी के दिन सुबह उठकर स्नान आदि कर पूरे दिन व्रत करें, और कृष्ण का ध्यान करें. इसके अलावा खाने में फलाहार खा सकते हैं. पूजा करने में सबसे पहले भगवान कृष्ण के बाल रूप बाल गोपाल को गंगाजल या दूध से स्नान कराएं और फिर नए वस्त्र पहनाएं. उसके बाद उनका श्रृंगार भी करें. इस दिन भगवान बाल गोपाल को माखन मिश्री का भोग लगाएं. साथ ही पंजीरी का प्रसाद भी भगवान कृष्ण को चढ़ाया जाता है. साथ ही कृष्ण भगवान को झूला झूलाने की परंपरा है.


 

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