Barsana Mein Lathmar Holi Kab Hai: रंगों का त्योहार होली (Holi) हर साल फाल्गुन माह की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है. इस साल होली 14 मार्च 2025 को है. भगवान कृष्ण की नगरी मथुरा और उसके आस-पास के क्षेत्रों में होली का उत्सव कई दिन पहले ही शुरू हो जाता है.
बरसाना की लट्ठमार होली देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है. इस होली का इतिहास राधा रानी और भगवान कृष्ण से जुड़ा है. इसे देखने के लिए हर साल हजारों लोग देश-दुनिया से आते हैं. आइए जानते हैं इस साल कब लट्ठमार होली मनाई जाएगी और इसकी कैसे शुरुआत हुई थी?
इस कब खेली जाएगी लट्ठमार होली
होली वैसे तो दो दिन का पर्व है लेकिन ब्रज में यह 40 दिनों तक मनाया जाता है. होली की शुरुआत राधा रानी की जन्मस्थली बरसाना से होती है. इसके बाद ही देश के अन्य हिस्सों में होली खेली जाती है. इस साल लट्ठमार होली 8 मार्च को मनाई जाएगी. आपको मालूम हो कि लट्ठमार होली सिर्फ एक खेल नहीं, बल्कि श्रीकृष्ण और राधा की प्रेम कहानी की झलक है.
कैसे मनाई जाती है लट्ठमार होली
बरसाना में मनाई जाने वाली लट्ठमार होली में महिलाएं, जिन्हें हुरियारिन कहते हैं, वे लट्ठ लेकर हुरियारों को यानी पुरुषों को मजाकिया अंदाज में पीटती हैं. पुरुष सिर पर ढाल रखकर हुरियारिनों के लट्ठ से खुद का बचाव करते हैं. बरसाने की महिलाएं अपने चेहरों को पल्लू से ढककर लाठियां चलाती हैं.
यदि किसी हुरियारे को लट्ठ लग जाता है, तो उसे मजाक के तौर पर महिलाओं के कपड़े पहनकर नाचना पड़ता है. लट्ठमार होली का पहला निमंत्रण नंद गांव के नंद महल भेजा जाता है. इसके बाद ही बरसाने में नंदगांव के हुरियारे होली खेलने बरसाने आते हैं.
क्या है लट्ठमार होली की पौराणिक कथा
पौराणिक कथाओं के मुताबिक एक बार नंद गांव से जब भगवान कृष्ण राधा से मिलने बरसाना गांव पहुंचे तो वे राधा और उनकी सहेलियों को चिढ़ाने लगे. इसके चलते राधा और उनकी सहेलियां कृष्ण और उनके साथ आए ग्वालों को लाठी से पीटकर अपने आप से दूर करने लगीं. तब से ही इन दोनों गांव में लट्ठमार होली का चलन शुरू हो गया.
नंद गांव के युवक बरसाना जाते हैं तो खेल के विरुद्ध वहां की महिला लाठियों से उन्हें भगाती हैं और युवक इस लाठी से बचने का प्रयास करते हैं. बरसाने की लट्ठमार होली से जुड़ी एक मान्यता है. कहते हैं कि इस होली के दौरान ब्रज भूमि पर पड़ा गुलाल अगर शरीर की किसी चोट पर लगा लिया जाए तो शारीरिक पीड़ा दूर हो जाती है. लट्ठ खेलते हुए किसी को चोट लग जाए तो यह गुलाल दवा के काम करता है.