...जब ब्रह्म हत्या के पाप का प्रायश्चित करने के लिए भगवान राम और माता सीता ने किया था छठ, जानें महापर्व से जुड़ी त्रेता युग की कहानी

छठ महापर्व को लेकर कई मान्यताएं हैं. इसी में से एक मान्यता यह है कि बह्म हत्या के पाप से प्रायश्चित करने के लिए त्रेता युग में भगवान राम ने छठ किया था. भगवान राम और माता सीता ने सूर्य की उपासना की थी.

छठ महापर्व
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 10 नवंबर 2021,
  • अपडेटेड 1:12 PM IST
  • माता सीता ने चार दिनों तक किया था यज्ञ
  • राम और सीता ने की थी सूर्य की आराधना

सूर्य को शक्ति का देवता माना जाता है और सूर्य देव की आराधना से बल, बुद्धि और आरोग्यता का आशीर्वाद मिलता है. छठ मैया की उपासना को लेकर कई मान्यताएं हैं. माना जाता है कि त्रेता युग में भगवान श्रीराम ने माता सीता के साथ सूर्य की उपासना पाप के निवारण के लिए की थी और इसकी निशानी आज भी भारत के एक हिस्से में मिलती है. यह भी मान्यता है कि छठ देवी सूर्य भगवान की बहन हैं और छठ मैया को प्रसन्न करने के लिए ही सूर्य की आराधना पवित्र जल में खड़े होकर की जाती है.

हत्या का प्रायश्चित करने के लिए किया छठ
रामायण में यह लिखा है कि भगवान राम ने रावण का वध किया था. माना जाता है कि बह्म हत्या के पाप का प्रायश्चित करने के लिए प्रभु श्रीराम माता सीता के साथ मुंगेर आए थे. यहां गंगा किनारे मुग्दल ऋषि के आश्रम में ठहरे थे. यहां मुग्दल ऋषि ने बह्म हत्या के पाप के प्रायश्चित का विधान बताया. मुग्दल ऋषि ने भगवान श्रीराम को छठ का पर्व करने के लिए कहा था. इसके बाद माता सीता ने ही यहां ऊगते और डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया था जिसका प्रमाण यहां माता सीता के चरण चिन्ह के रूप में मिलता है. आनंद रामायण में इसका विवरण मिलता है. माता सीता ने चार दिवसीय यज्ञ कर सूर्य की उपासना की थी.

माता सीता के आशीर्वाद से पूर्ण होती है मनोकामना
मुंगेर में स्थित रामायण काल का ये मंदिर ऐतिहासिक है. मान्यता है कि जो भी यहां सच्चे मन से मुराद मांगता है माता सीता के आशीर्वाद से उसकी मनोकामना जरूर पूर्ण होती है. साथ ही उसकी संतान भी दीर्घायु होती है. छठ महापर्व पर इस मंदिर में भक्तों का तांता लगा रहता है. लोग श्रद्धा भाव से यहां आते हैं, गंगा में डुबकी लगाते हैं और मन्नत मांगते हैं. छठ महापर्व में वैदिक संस्कृति की झलक देखने को मिलती है जिसमें लोगों की अटूट आस्था है. रामायण काल से चली आ रही जिस परंपरा में प्रेम और विश्वास का संगम है और साथ ही सूर्य के साथ एकाकार हो जाने की प्रेरणा भी.

 

Read more!

RECOMMENDED