Utpanna Ekadashi: उत्पन्ना एकादशी पर ऐसे करें पूजा, भगवान विष्णु आपकी हर मनोकामना करेंगे पूरी 

हिंदू धर्म में एकादशी का बहुत अधिक महत्व है. मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को उत्पन्ना एकादशी के नाम से जाना जाता है. इस दिन भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा-अर्चना करने से भक्त की हर मनोकामना पूरी होती है.

भगवान विष्णु.
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 13 नवंबर 2022,
  • अपडेटेड 8:32 PM IST
  • भगवान विष्णु के भोग में तुलसी को जरूर करें शामिल 
  • इस दिन श्रद्धालु माता लक्ष्मी की भी पूजा-अर्चना करें

हिंदू धर्म में एकादशी का बहुत अधिक महत्व है. मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को उत्पन्ना एकादशी के नाम से जाना जाता है.इस साल उत्पन्ना एकादशी 20 नवंबर को है.इस दिन भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा-अर्चना करने से भक्त की हर मनोकामना पूरी होती है.हिंदू पंचांग के अनुसार हर माह में दो बार एकादशी तिथि पड़ती है. एक कृष्ण पक्ष में और एक शुक्ल पक्ष में. साल में कुल 24 एकादशी पड़ती हैं. आइए जानते हैं उत्पन्ना एकादशी की पूजा विधि और शुभ मुहूर्त क्या है.

शुभ मुहूर्त 
एकादशी तिथि प्रारंभ : 19 नवंबर सुबह 10 बजकर 29 मिनट से 
एकादशी तिथि समाप्त : 20 नवंबर सुबह 10 बजकर 41 बजे
पारण : 21 नवंबर सुबह 6 बजकर 40 मिनट से 8 बजकर 47 मिनट के बीच

एकादशी व्रत की पूजा विधि
सुबह स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं. इसके बाद घर के मंदिर में दीप प्रज्जवलित करें. भगवान विष्णु का गंगा जल से अभिषेक करें.भगवान विष्णु को पुष्प और तुलसी दल अर्पित करें.अगर संभव हो तो इस दिन व्रत भी रखें. इसके बाद भगवान की आरती करें. भगवान को भोग लगाएं. भोग में तुलसी को जरूर शामिल करें. ऐसा माना जाता है कि बिना तुलसी के भगवान विष्णु भोग ग्रहण नहीं करते हैं. इस पावन दिन भगवान विष्णु के साथ ही माता लक्ष्मी की पूजा भी करें. 

व्रत का महत्व
इस व्रत को करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. पापों से मुक्ति मिल जाती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार एकादशी का व्रत रखने से मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है.

पूजा सामग्री 
भगवान विष्णु की मूर्ति, पुष्प, सुपारी, फल, लौंग, धूप, दीप, घी, पंचामृत, अक्षत, चंदन, मिष्ठान.

 

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