Navratri 2024: इस मंदिर में महीने के तीन दिन नहीं मिलती पुरुषों को एंट्री... जानिए क्या है मां कामाख्या देवी की महिमा

Navratri 2024: भारत का कामाख्या मंदिर 51 शक्ति पीठों में से एक है. इस मंदिर में किसी मूर्ति या तस्वीर की नहीं, बल्कि यहां स्थित योनी-कुण्ड की पूजा की जाती है.

Navratri 2024
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 07 अक्टूबर 2024,
  • अपडेटेड 3:36 PM IST
  • कामाख्या मंदिर प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है
  • माता सती के पिता दक्ष ने रखा था यज्ञ 

असम के गुवाहाटी में मां कामाख्या के दर्शन करने लोग दूर-दूर से पहुंचते हैं. ये मंदिर 51 शक्ति पीठों में से एक है. इस मंदिर में किसी मूर्ति या तस्वीर की नहीं, बल्कि यहां स्थित योनी-कुण्ड की पूजा की जाती है. इस योनी-कुण्ड को हमेशा फूलों से ढक कर रखा जाता है. इसे देवी की योनी का दर्जा दिया गया है. इस मंदिर से जुड़ी कई ऐसी रहस्यमयी बातें हैं, जिन्हें सुनकर आप भी हैरान हो जाएंगे. 

माता सती के पिता दक्ष ने रखा था यज्ञ 
माना जाता है कि माता सती के पिता दक्ष ने एक यज्ञ रखा था. इस यज्ञ में मां सती से पति भगवान शिव को नहीं बुलाया गया था. बावजूद इसके मां सती यज्ञ में उपस्थित हुई. जिसके बाद माता सती के पिता दक्ष ने शिवजी को अपमानित किया. तब माता सती ने क्रोधित हो कर यज्ञ-अग्नि कुंड में अपने प्राणों की आहुति दे दी. इससे भगवान शिव काफी क्रोधित हुए और इस क्रोध से उनका तीसरा नेत्र खुला. शिवजी यज्ञकुंड से माता सती के पार्थिव शरीर को लेकर कई वर्षों तक दुखी हो कर इधर-उधर घूमते रहे. तब भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से माता सती के शरीर के 51 टुकड़े कर दिए. माता सती के शरीर के टुकड़े जहां-जहां गिरे वह सभी स्थान 51 शक्तिपीठ कहलाए. इसमें से माता का योनी भाग असम में गिरा. जिसे मां कामाख्या का नाम से जाना जाने लगा. तभी से इसकी पूजा की जाने लगी.

Navratri 2024

तीन दिन तक मंदिर में नहीं होता पुरुषों का प्रवेश
इस मंदिर की एक और खास बात है कि यहां तीन दिन तक पुरुषों की एंट्री नहीं होती है. कपाट 22 जून से 25 जून के बीच बंद कर दिए जाते हैं. माना जाता है कि इन दिनों माता सती रजस्वला रहती हैं. इन तीन दिन पुरुषों का प्रवेश मंदिर में नहीं होता है. साथ ही, देवी सती के तीन दिन तक चलने वाले मासिक धर्म की वजह से मंदिर में सफेद कपड़ा रखा जाता है. कहा जाता है कि तीन दिन बाद खुद-ब-खुद ये सफेद कपड़ा लाल हो जाता है. इस कपड़े को अम्बुवाची वस्‍त्र कहते हैं. इस लाल कपड़े को भक्तों को प्रसाद के रूप में दिया जाता है.

मासिक धर्म के दौरान लगता है मेला
माता के मासिक धर्म के दौरान यहां अम्बुवाची मेला लगता है. इस दौरान माता का मंदिर बंद होता है. ये मेला मां कामाख्या के वार्षिक मासिक धर्म चक्र का उत्सव के रूप में लगाया जाता है. माना जाता है कि जो भी भक्त पूरे जीवन में मंदिर का तीन बार दर्शन करता है, उसे सांसारिक मोह से मोक्ष मिल जाता है. वहीं मनोकामना पूरी होने के बाद यहां कन्याओं को भोजन कराया जाता है.

कामाख्या मंदिर

तंत्र विद्या के लिए है मशहूर 
मां कामाख्या तांत्रिकों की मुख्य देवी मानी जाती हैं. मान्यता है कि ये जगह तंत्र साधना के लिए काफी महत्‍वपूर्ण है. कई रिपोर्ट्स बताती है कि यहां काला जादू भी किया जाता है. साथ ही, अगर किसी पर बुरी शक्तियों का डेरा है तो, तांत्रिक बुरी शक्तियां को बड़ी आसानी से दूर कर देते हैं. यहां तक की पढ़े-लिखे लोग भी यहां तंत्र करवाने आते हैं.

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