Maha Kumbh Mela 2025: दीवारों से लेकर पेड़ों तक... महाकुंभ के लिए संगम नगरी को सजाया जा रहा

संगम नगरी प्रयागराज में महाकुंभ का आयोजन 13 जनवरी से 26 फरवरी तक होगा. इसके लिए जोरशोर से तैयारी चल रही है. शहर में चौराहों से लेकर पेड़ों तक को सजाया जा रहा है. फूल-पत्ती और सनातन धर्म के प्रतीकों जैसे स्वास्तिक, त्रिशूल, डमरु, त्रिपुंड को भी उकेरा जा रहा है. ताकि, महाकुंभ के दौरान प्रयागराज आने वाली युवा पीढ़ी को सनातन संस्कृति से रूबरू करवाया जा सके.

Maha kumbh
gnttv.com
  • प्रयागराज, उत्तर प्रदेश,
  • 25 दिसंबर 2024,
  • अपडेटेड 2:35 PM IST

संगम नगरी प्रयागराज में दुनिया का सबसे बड़ा आध्यात्मिक मेला शुरू होने में चंद रोज ही बाकी है. ऐसे में महाकुंभ से जुड़ी तैयारियों को तेजी से निपटाया जा रहा है. इसी के तहत मेला क्षेत्र की ओर जाने वाली सड़कों पर लगे पेड़ों को भी रंगों से सजाया जा रहा है, ताकि शहर की खूबसूरती को और निखारा जा सके. इन तैयारियों के बीच ही संगम किनारे पहुंचे अखाड़ों की धर्म ध्वजाएं भी स्थापित हो रही हैं.

प्रयागराज की सजावट-
महाकुंभ के लिए संगम नगरी प्रयागराज को सजाया जा रहा है. संवारा जा रहा है. कोने-कोने को निखारा जा रहा है. कहीं दीवारों पर खूबसूरत पेंटिंग्स हैं और कहीं पेड़ों पर रंगों की जादूगरी नजर आ रही है. ये सजावट बहुत खास है. खास इसलिए है कि पेड़ों के तनों को ना सिर्फ अलग-अलग रंगों से रंगा जा रहा है. बल्कि फूल-पत्ती और सनातन धर्म के प्रतीकों जैसे स्वास्तिक, त्रिशूल, डमरु, त्रिपुंड को भी उकेरा जा रहा है. ताकि, महाकुंभ के दौरान प्रयागराज आने वाली युवा पीढ़ी को सनातन संस्कृति से रूबरू करवाया जा सके.

चौराहों का भी कायाकल्प-
पेड़ों के रंग-रंगोन का ये काम इन दिनों बहुत तेजी से चल रहा है. साथ ही शहर के प्रमुख चौक-चौराहों का भी कायाकल्प किया जा रहा है. क्योंकि महाकुंभ के शुरू होने में अब ज्यादा वक्त बचा नहीं है. हालांकि, महाकुंभ शुरू होने से पहले ही प्रयागराज पहुंच रहे लोगों को शहर की ये खूबसूरती मंत्रमुग्ध कर रही है. 

लहरा रही हैं धर्म ध्वजाएं- 
कुंभ से जुड़ी इन तैयारियों के बीच ही मेला क्षेत्र में अखाड़ों का प्रवेश लगातार चल रहा है. इन अखाड़ों के प्रवेश के साथ ही उनकी धर्म ध्वजाएं भी लगाई जा रही हैं. संगम की रेती पर लहराती अखाड़ों की धर्म ध्वजाएं उनके वर्चस्व, प्रतिष्ठा, बल और इष्टदेव का प्रतीक मानी हैं.
 
शैव अखाड़ों की धर्म ध्वजा-
शैव अखाड़ों जैसे महानिर्वाणी, निरंजनी, जूना, अग्नि, आनंद, आवाहन, और अटल अखाड़े में स्थापित धर्मध्वजाओं का रंग भगवा है. इनमें जूना अखाड़े की धर्मध्वजा 52 हाथ ऊंची है और ये मढ़ियों का प्रतीक है. इसी तरह निरंजनी अखाड़े की धर्मध्वजा में 52 बंध हैं, जो दशनामी मढ़ियों का प्रतीक हैं.

वैष्णव अखाड़ों की धर्म ध्वजा-
वैष्णव अनी अखाड़ों की धर्मध्वजाओं के रंग अलग-अलग हैं. लेकिन सभी के इष्टदेव हनुमान जी हैं. निर्वाणी अनी अखाड़े की लाल रंग की धर्मध्वजा पश्चिम दिशा और हनुमान जी का प्रतीक है. निर्मोही अनी की सुनहली धर्मध्वजा शांति और शुभता का प्रतीक है, जो पूरब दिशा का संकेत है. दिगंबर अनी अखाड़े की पंचरंगी ध्वजा अंगद का प्रतीक है और ये दक्षिण दिशा का संकेत है.

उदासीन अखाड़ों की धर्म ध्वजा-
उदासीन अखाड़ों की धर्म ध्वजाओं में हनुमान जी और पंचदेव अंकित हैं. नया पंचायती उदासीन अखाड़े की धर्म ध्वजा में भगवान विष्णु का मोरपंख लगाया गया है. जबकि निर्मल अखाड़े की धर्म ध्वजा का रंग पीला है और इसके कामकाज पंजाबी पद्धति से संपन्न किए जाते हैं.

अर्ध कुंभ और कुंभ की शान साधु-संतों के ये अखाड़े और उनकी ये धर्म ध्वजाएं होती हैं, जो दुनिया के इस सबसे बड़े धार्मिक मेले में आने वाले श्रद्धालुओं को भी आकर्षित करती हैं.
(आनंद राज की रिपोर्ट)

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