Maha Shivratri 2025: इस बार महाशिवरात्रि पर श्रवण, धनिष्ठा नक्षत्र और शिवयोग, देवगुरु बृहस्पति के राशि बदलने पर 12 वर्षों बाद मिल रहा ये विशेष संयोग

Maha Shivratri: इस बार महाशिवरात्रि का पर्व इसलिए खास है क्योंकि यह महाकुंभ की महाशिवरात्रि है. इसके अलावा शिवरात्रि पर बन रहे अलग-अलग संयोग भी इस पर्व को विशेष बना रहे हैं. इस दिन भोलेनाथ और भगवान गणेश की आराधना करने से विशेष कृपा प्राप्ति होगी.

Maha Shivratri 2025
रोशन जायसवाल
  • वाराणसी,
  • 20 फरवरी 2025,
  • अपडेटेड 7:40 PM IST
  • 26 फरवरी 2025 को है महाशिवरात्रि
  • महाशिवरात्रि पर दिन ही नहीं बल्कि पूरी रात करें पूजा

हिंदू धर्म में कई पर्व-त्योहार मनाए जाते हैं. उनमें महाशिवरात्रि को विशेष स्थान प्राप्त है. महाशिवरात्रि (Maha Shivratri) के दिन भगवान शिव की आराधना की जाती है. शिव का रुद्राभिषेक किया जाता है. धार्मिक मान्यता है कि महाशिवरात्रि के दिन भोलेनाथ की पूजा-अर्चना करने से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं. इस बार महाशिवरात्रि का व्रत 26 फरवरी को रखा जाएगा.  

...तो इसलिए खास है इस बार की महाशिवरात्रि
इस बार महाशिवरात्रि का पर्व इसलिए खास है क्योंकि यह महाकुंभ की महाशिवरात्रि है. इसके अलावा शिवरात्रि पर बन रहे अलग-अलग संयोग अपने आप में इस पर्व को विशेष बना रहे हैं. इस बार न केवल श्रवण नक्षत्र, बल्कि धनिष्ठा नक्षत्र भी मिल रहा है. महाशिवरात्रि की रात 2 बजे के बाद शिवयोग भी लग जाने के चलते यह महापर्व और भी ज्यादा फलदाई साबित होने वाला है. इस बार महाशिवरात्रि का पर्व बुधवार के दिन पड़ने के चलते भगवान शिव के पुत्र गणेश जी की भी विशेष कृपा मिलेगी. ज्योतिष के मुताबिक यह सहयोग 12 वर्ष बाद प्राप्त हो रहा है.

मंगल की होगी प्राप्ति
ज्योतिषाचार्य पंडित वेद प्रकाश मिश्रा ने महाशिवरात्रि के महासंयोग के बारे में बताया कि महाशिवरात्रि फाल्गुन मास कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी इस बार अंग्रेजी कैलेंडर के मुताबिक 26 फरवरी को लग रही है. इस दिन बुधवार है, जो भगवान गणेश का दिन है, जो सकल विध्न का हरण करते हैं. इसके अलावा श्रवण नक्षत्र है. इसके स्वामी चंद्रमा हैं, जो शिव के मस्तक पर विराजमान हैं. चंद्रमा मन का कारक होते हैं और चित्त को भी शांत रखते हैं. इसके अलावा धनिष्ठा नक्षत्र भी मिल रहा है, जिसका स्वामी मंगल है. मंगल के देवता हनुमान जी हैं, जो भगवान शंकर के 12वें अवतार हैं. बजरंगबलि जीवन में हर प्रकार से मंगल भरते हैं इसलिए महाशिवरात्रि पर भगवान शिव की आराधना से न केवल भक्तों का मन-चित्त शांत रहेगा बल्कि जीवन में अभ्युदय होगा और हर प्रकार से मंगल की भी प्राप्ति होगी.

रात्रि जागरण का मिलता है विशेष फल 
ज्योतिषाचार्य पंडित वेद प्रकाश मिश्रा ने बताया कि महाशिवरात्रि पर रात्रि दो बजे के बाद शिवयोग भी मिल रहा है. महारात्रि पर यानी शिवरात्रि पर रात्रि जागरण का विशेष फल मिलता है. इस रात में सोना नहीं चाहिए. इसके अलावा सभी चार पहर में पूजन-अर्चन करते रहना चाहिए. वेद प्रकाश मिश्रा ने बताया कि तीन रात्रियों जन्माष्टमी, दीपावली और महाशिवरात्रि पर सोना नहीं चाहिए. इन तीनों रात्रि में शयन न करके रात्रि पर्यंत आराधना करनी चाहिए. इसका फल जीवन में लाभकारी साबित होता है.

ग्रहों की बदल जाती है चाल
ज्योतिषाचार्य पंडित वेद प्रकाश मिश्रा ने बताया कि प्रत्येक 12 वर्ष के बाद देवगुरु बृहस्पति वृष राशि पर आते हैं. इससे सभी ग्रहों की चाल बदल जाती है और एक नया संयोग प्राप्त होता है. इस बार महाशिवरात्रि भी इसी प्रकार हो रही है और बृहस्पति के वृष राशि पर जाने के चलते यह महासंयोग सबके लिए मंगलकारी और कल्याणकारी साबित होगा. 

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