Godar Akhada: संगम नगरी प्रयागराज (Prayagraj) में महाकुंभ मेला (Mahakumbh Mela) लगा हुआ है, जिसका समापन 26 फरवरी 2025 को होगा. अभी तक करोड़ों श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगा चुके हैं. महाकुंभ में विभिन्न अखाड़ों के साधु-संत भी हिस्सा लेने आए हैं, जो श्रद्धालुओं के बीच आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं.
हर कोई अखाड़ा के नागा साधुओं के बारे में जानना चाहता है. हम आज पंच दसनाम गोदड़ अखाड़ा के बारे में आपको बताने जा रहे हैं. यह अखाड़ा दान में मिले साधुओं से बना है. इस अखाड़े से जुड़े साधु-संत कुंभ में अमृत स्नान नहीं करते हैं जबकि साधु-संतों के लिए अमृत स्नान काफी अहम होता है. ऐसी मान्यता है कि अमृत स्नान करने से एक हजार अश्वमेघ यज्ञ के बाराबर का पुण्य मिलता है.
सनातन धर्म की रक्षा करना है मकसद
पंच दसनाम गोदड़ अखाड़ा दान में मिले साधुओं से बना है. इस अखाड़े की स्थापना ब्रह्मपुरी महाराज ने की थी. ये अखाड़ा अपना इष्टदेव भगवान गणेश और दत्तात्रेय को मानता है. इस अखाड़े की स्थापना का मुख्य मकसद सनातन धर्म की रक्षा करना है. इस अखाड़े का मुख्य केंद्र जूनागढ़ है.
यह अखाड़ा शैव संप्रदाय के सातों अखाड़ों से संबंधित है. शैव संप्रदाय के अखाड़े जहां भी हैं, वहां गोदड़ अखाड़ा भी है. इस अखाड़े के संत शैव अखाड़ों के देह त्याग चुके संतों को समाधि दिलाते हैं. साधु-संतों के अंतिम संस्कार में भी गोदड़ अखाड़े की भूमिका होती है. सनातन धर्म की रक्षा और लोगों को धार्मिक रास्ता दिखाने के रूप में इस अखाड़े की पहचान होती है.
इस अखाड़े से जुड़े हैं सबसे ज्यादा विदेशी भक्त
महाकुंभ में सबसे अधिक विदेशी भक्त पंच दसनाम गोदड़ अखाड़ा से जुड़े हैं. रूस, जापान, इंग्लैंड से लेकर अमेरिका तक के लोग इस अखाड़े से जुड़े हुए हैं. गोदड़ अखाड़ा के प्रमुख सत्यानंद गिरी ने बताया कि हमने इस अखाड़े के माध्यम से बरसों से चली आ रही परंपरा को जीवित रखा है.
इस अखाड़े से जुड़े साधु-संत कुंभ में अमृत स्नान नहीं करते हैं. सिर्फ जनसेवा व दान करने के लिए महाकुंभ में आते हैं. शिष्यों को शिक्षा देने के बाद वापस अपने स्थान चले जाते हैं. इस अखाड़े से जुड़े साधु-संत सांसारिक सुखों को भूलकर भगवान की भक्ति में लगे रहते हैं.