उत्तर प्रदेश (UP) के प्रयागराज (Prayagraj) में 13 जनवरी से लेकर 26 फरवरी 2025 तक महाकुंभ मेले का आयोजन होने जा रहे हैं. इसकी शुरुआत से पहले प्रयागराज में 'आज तक धर्म संसद' का आयोजन हुआ. धर्म संसद के इस मंच पर ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती (Swami Avimukteshwaranand Saraswati) भी पहुंचे. उन्होंने धर्म, राजनीति, वर्णन-जाति समेत तमाम मुद्दों से जुड़े सवालों पर अपने जवाब दिए.
सनातन तब भी वैसा ही था और आज भी वैसा ही है
शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने सबसे पहले वेद मंत्र पढ़ा. इसके बाद महाकुंभ में स्नान करने की महिमा बताई. इस दौरान भगवान राम के भाई भरत से जुड़ा एक प्रसंग के बारे में भी बताया. उन्होंने बताया कि वेदों में स्वेत और श्याम धारा का वर्णन्न है. आज भी ये धारा प्रयागराज में दिखती है. इससे पता चलता है ये जो सनातन है ये तब भी वैसा ही था और आज भी वैसा ही है. इसी सनातना का प्रत्यक्ष दर्शन इस आयोजन यानी महाकुंभ में हो रहा है.
हम यहां तपस्या करने आए हैं
महाकुंभ में की गई व्यवस्था के सवाल पर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि हम यहां व्यवस्था के लिए नहीं आए हैं, हम यहां तपस्या करने आए हैं. यदि कोई संत-साधु या गृहस्थ आदमी यहां पर आने के बाद व्यवस्था मांगता है तो इसका मतलब है कि वह इस स्थान पर आने का महत्व नहीं समझता है. हम तो जाही विधि राखे राम ताहि विधि रहिए, इस सिद्धांत को लेकर चलते हैं.
स्वामी जी ने कहा कि ऐसे दावे किए जाते हैं कि यहां पर गंगा-यमुना का जल स्नान योग्य नहीं है. आचमन योग्य नहीं है. उन्होंने कहा कि प्रशासन को गंगा जल की जांच करानी चाहिए और वैज्ञानिक दृष्टि के आधार पर बताया जाना चाहिए कि जिस जल में हम त्रिवेणी में स्नान करने आए हैं, वह स्नान करने योग्य है या नहीं. यदि यह स्नान करने योग्य है तो सारी व्यवस्था इसके आगे गौण है. ऐसा होने पर किसी भी व्यवस्था के प्रति हमारी कोई शिकायत नहीं होगी. वीआईपी घाट की व्यवस्था पर बोले स्वामी जी मां के गोद में कोई वीआईपी नहीं होता.
राजनीति के लिए न हो जाति की जनगणना
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने जातिगत जनगणना को लेकर पूछे गए सवाल पर कहा कि जातिगत जनगणना में कोई खराबी नहीं, बस यह ध्यान देना चाहिए कि जाति की जनगणना राजनीति के लिए नहीं होनी चाहिए. यदि सरकार जानना चाहती हमारे देश में कितनी जातियां हैं, उनकी क्या स्थिति है तो ये करना चाहिए और आंकड़े अपने पास रखने चाहिए. उन्होंने कहा कि आज की जो हमारी सरकार है वह जन्म से जाति तय करती है.
हालांकि जन्म से वर्ण और कर्म से जाति पर लंबी बहस हमेशा से चली आ रही है. ब्राह्मण में भी शुद्र सहित चारों वर्ण होता है. हमारे कर्म करने का निर्धारण करने का अधिकार भगवान को है क्योंकि वही हमारे सारे कर्म को जानते हैं. स्वामी जी ने कहा महकुंभ में कोई आकर देखे, हम जाति में बंटे नहीं बल्कि हम सब एक हैं, हम सब सनातन धर्म से जुड़े हैं. हम सभी परमात्मा की संतान हैं और इसी को व्यवहारिक रूप से दिखाने के लिए कुंभ पर्व है.
गौ हत्या करने वाले से नहीं रखें संबंध
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा- आज कुछ लोग कसाइयों को गाय बेचने का काम करने का आरोप हिंदुओं पर लगाकर गौ हत्या का काम हिंदुओं पर डाल देते हैं. ऐसे कर मुद्दों से भटकाया जाता है. उन्होंने कहा जो हिंदू होगा, वह कभी गौ हत्या नहीं करेगा, गौ हत्या कर रहा है तो वह हिंदू नहीं होगा. इसलिए हमारी परम धर्म संसद में एक प्रस्ताव पारित किया गया है. इसमें ये धर्मादेश जारी हुआ है कि गौ हत्या से जुड़े प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष लोगों को हिंदू धर्म से बहिस्कृत समझा जाए. ऐसे लोगों से कोई भी हिंदू संबंध न रखे. कोई सिर्फ हिंदू कहने से हिंदू नहीं होगा. ठग भी खुद को साधु कहता है.
हम हिंदुओं का इतिहास जानने के लिए कहीं पर भी खुदाई कर सकते हैं
देश में इस समय जगह-जगह खुदाई चल रही है. इस पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा है कि अब ये खोजने का सिस्टम बंद होना चाहिए, कब तक खोदते रहेंगे. स्वामी जी ने इस सवाल पर कहा कि 'पहली बात तो ये है कि उन्होंने किससे कहा. ऐसा आप कह रहे हैं कि हिंदू समाज से कहा. हिंदू समाज से कौन कह सकता है जो हिंदू समाज के लिए समर्पित हो और हिंदू समाज के लिए काम करता हो. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने कई बार यह साफ किया है हम हिंदू संगठन नहीं है.
हम अलग तरह के सामाजिक संगठन हैं. जब वह हिंदू संगठन ही नहीं है तो उनको हिंदुओं को कोई आदेश देने का अधिकार ही नहीं है. हमसे हिंदुओं से जुड़ा कोई संगठन कुछ कहेगा तो हम उनकी बात सुनेंगे. हम हिंदुओं का इतिहास जानने के लिए कहीं पर भी खुदाई कर सकते हैं. जहां तक हमारे ऊपर अत्याचार हुआ होगा, हम उसको जानेंगे. इसको जानने के लिए कहीं खुदाई करनी हो तो इसमें गलत कुछ नहीं है.
सीरिया में भी मंदिर के निशान मिले ऐसा कहा जा रहा है कि सीरिया और कजातिस्तान जैसी जगहों पर भी मंदिर के निशान मिल रहे हैं, शिवलिंग मिल रहे हैं. इस पर उन्होंने कहा, 'देखिए किसी मंदिर का मिलना और किसी मंदिर को तोड़कर उसकी रूपरेखा को बदल देना, दोनों में बहुत अंतर है. कोई प्राकृतिक घटना भूकंप या आपदा आई तो वो चीजें छिप गईं, वो एक अलग बात है. वहां खुदाई होगी तो निकलेंगे लेकिन यहां बात ये हो रही है कि बलपूर्वक हम हिंदुओं को नीचा दिखाने के लिए, हमें कमजोर साबित करने के लिए जगह के स्टेटस (पारिस्थिति) को बदला गया. दोनों अलग बातें हैं. दोनों को मिलाकर राजनीति नहीं करनी चाहिए.
...तो देश को गुमराह करने के आरोप में जेल में डाला जाएगा
कुंभ मेले की जमीन पर वक्फ कह रहा है कि हमसे छीन ली गई है, ये हमारी है. इस पर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा, 'आपसे किसने छीनी है, उसका नाम बताओ. हमारे धर्म में कहा जाता है कि यदि आपने किसी की भूमि पर बैठकर तप किया तो उस तप का कुछ फल उस भूमि के स्वामी को भी जाएगा. इसलिए यदि हमारे द्वारा किए गए पुण्यों का कुछ अंश आपको मिल रहा है तो आपको क्या दिक्कत है. यदि आपके पास कोई प्रमाण है तो कोर्ट जाएं.
यदि कोर्ट नहीं जाना चाहते तो परम धर्म संसद में आएं, यदि तुम सही साबित हुए तो हम अपने समाज से लड़कर आपको वो दिलाएंगे और अगर नहीं साबित हुए तो देश को गुमराह के आरोप में जेल में डाला जाएगा.' उन्होंने कहा कि मैं इससे समर्थन करता हूं कि सनातन बोर्ड होना चाहिए. संपत्तियां को संभालने के लिए व्यवस्था को देखने के लिए लेकिन वो सरकारी नहीं होना चाहिए. उसका गठन और संचालन भी धर्माचार्यों को करना चाहिए. सरकारी बोर्ड को हम स्वीकार नहीं करेंगे.