प्रयागराज के संगम तट पर चल रहे भव्य कुंभ मेले में हर कोने से साधु-संतों की साधना और अनोखी कहानियां देखने को मिलती हैं. इन साधुओं में एक नाम विशेष रूप से चर्चा में है- महंत गिरधारी दास 1008. बाबा की साधना और पहचान का तरीका बेहद अनूठा है: वे अपने भक्तों और आगंतुकों को प्रसाद के रूप में पान खिलाते हैं.
पान बांटने की अनोखी परंपरा
राजस्थान से आए 74 वर्षीय बाबा गिरधारी दास बताते हैं कि पान खिलाने का उनका शौक दशकों पुराना है. वे कहते हैं, "पान खाने से तेरह तरह के रोग दूर होते हैं. यह न केवल स्वादिष्ट है, बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक है." बाबा का यह दावा उनके भक्तों को मंत्रमुग्ध कर देता है.
बाबा खुद भी पान खाने के बड़े शौकीन हैं. उनकी उम्र और उनके स्वास्थ्य को देखकर यह स्पष्ट होता है कि वे कितनी ऊर्जा से भरपूर हैं. बाबा कहते हैं, "मैं नशा मुक्ति के पक्ष में हूं, लेकिन मेरा पान कई बीमारियों को दूर करता है. यह आम पान वालों से अलग है.”
जन राय राधव मंदिर का शिविर और साधना
बाबा प्रयागराज में जन राय राधव मंदिर के शिविर में रहते हैं. यहां उनके शिष्य भी उसी साधना पथ पर चल रहे हैं. बाबा के शिविर में जो भी आता है, वह खाली हाथ नहीं लौटता. प्रसाद में बाबा खुद पान बनाकर खिलाते हैं. बाबा का पान प्रेम साधारण नहीं है. यह उनके जीवन का अभिन्न हिस्सा है और एक प्रकार की साधना का माध्यम भी.
पान और आध्यात्म का संगम
बाबा बताते हैं कि पान खिलाने का यह शौक उनके बचपन से है. वे कहते हैं, "मैंने पान को कभी केवल खाने की चीज नहीं माना. यह एक माध्यम है, जिससे मैं लोगों को जोड़ता हूं." उनके अनुसार, पान में तुलसी, लौंग, इलायची और कई जड़ी-बूटियों का प्रयोग होता है, जो स्वास्थ्यवर्धक होती हैं.
नशा मुक्ति का संदेश
बाबा गिरधारी दास नशा मुक्ति के पक्षधर हैं. वे कहते हैं, "नशा इंसान को कमजोर बनाता है. मेरा पान नशा नहीं, बल्कि शरीर और मन को स्वस्थ रखने का साधन है." बाबा का मानना है कि अगर पान को सही तरीके से तैयार किया जाए, तो यह औषधि का काम कर सकता है.
कुंभ मेले में बाबा गिरधारी दास के शिविर पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है. लोग न केवल उनका आशीर्वाद लेने आ रहे हैं, बल्कि उनके बनाए पान का स्वाद भी चख रहे हैं. उनके पान और उनकी साधना का यह संगम कुंभ मेले में चर्चा का विषय बना हुआ है.
(इनपुट -आनंद राज)