Mahashivratri 2022: शिवरात्रि और महाशिवरात्रि में क्या है अंतर? क्यों मनाया जाता है ये पर्व?

भगवान शिव के भक्तों के लिए शिवरात्रि और महाशिवरात्रि का दिन काफी खास होता है. इस बार महाशिवरात्रि 1 मार्च 2022 को है. चतुर्दशी तिथि सुबह 3 बजकर 16 मिनट से शुरू होकर 2 मार्च 2022 को सुबह 1 बजे खत्म होगी.

Mahashivratri 2022
gnttv.com
  • नई दिल्ली ,
  • 23 फरवरी 2022,
  • अपडेटेड 5:05 PM IST
  • इस बार महाशिवरात्रि 1 मार्च 2022 को है.
  • महाशिवरात्रि का पर्व भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह के उपलक्ष्य में मनाया जाता है.

महाशिवरात्रि हिंदू धर्म को मानने वालों का प्रमुख धार्मिक पर्व है. ये पर्व फाल्गुन मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है. महाशिवरात्रि के ही दिन भगवान शंकर और माता पार्वती का विवाह हुआ था. पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस दिन शिव भक्त व्रत रखते हैं और भगवान भोलेनाथ की पूजा-अर्चना करते हैं. महाशिवरात्रि के दिन देशभर के सभी शिव मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है. साल में कुल 12 शिवरात्रि आती हैं, पर ऐसी मान्यता है कि सावन का सोमवार, शिवरात्रि और महाशिवरात्रि के दिन भगवान भोलेनाथ की पूजा करने से वो जल्दी प्रसन्न होते हैं. भगवान शिव के भक्तों के लिए शिवरात्रि और महाशिवरात्रि का दिन काफी खास होता है. इस बार महाशिवरात्रि 1 मार्च 2022 को है. चतुर्दशी तिथि सुबह 3 बजकर 16 मिनट से शुरू होकर 2 मार्च 2022 को सुबह 1 बजे खत्म होगी. इससे पहले चलिए जानते हैं शिवरात्रि और महाशिवरात्रि में क्या अंतर है. 

महाशिवरात्रि और शिवरात्रि में क्‍या अंतर है 

साल में कुल 12 शिवरात्रि आती हैं. हिंदू पंचांग के अनुसार हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मासिक शिवरात्रि यानि प्रदोष व्रत होता है. जबकि महाशिवरात्रि का पावन पर्व साल में एक बार फाल्गुन मास की चतुर्दशी को मनाया जाता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन भोलेनाथ ने वैराग्य जीवन त्याग कर गृहस्थ जीवन अपनाया था और भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था. महाशिवरात्रि का वर्णन श‍िव पुराण में मिलता है.  

धर्मग्रंथों के अनुसार, फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को ही भगवान शंकर ने अपने भक्तों को शिवलिंग के रूप में दर्शन दिए थे. पौराणिक कथाओं के अनुसार जब सृष्टि की शुरुआत हुई तब ब्रह्मा और भगवान विष्णु में श्रेष्ठता को लेकर विवाद छिड़ गया. अचानक करोड़ों सूर्य की चमक के साथ एक विशाल अग्नि स्तंभ प्रकट हुआ, जिसे देखकर दोनों चकित रह गए. इस अग्निस्तंभ से भगवान शंकर ने पहली बार शिवलिंग के रूप में दर्शन दिए. उस दिन फाल्गुन माह की कृष्णपक्ष की चतुर्दशी तिथि थी. 

महाशिवरात्रि का महत्व

महाशिवरात्रि का पर्व भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह के उपलक्ष्य में मनाया जाता है. इसलिए इस दिन को शिव भक्त बेहद खास मानते हैं. मान्यता है कि इस दिन विधिविधान से भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा अर्चना करने से वैवाहिक जीवन खुशहाल रहता है और विवाह में आने वाली सभी बाधाएं दूर होती हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन व्रत कर भगवान शिव की पूजा अर्चना करने से मनचाहा जीवनसाथी मिलता है. अगर आपके विवाह में अड़चन आ रही है तो महाशिवरात्रि के दिन भोलेनाथ की पूजा करने से सभी बाधाएं दूर होती हैं.इस दिन शिवलिंग का जलाभिषेक कर विधिवत भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा अर्चना करने से मनोवांछित फल मिलता है और भोलेनाथ का आशीर्वाद हमेशा बना रहता है. इस दिन आपको शहर में कई जगह शिव बारात निकालते हुए शिव भक्त दिख जायेंगे. 

 

 

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