हिंदू धर्म शास्त्र के अनुसार पूरे वर्ष में 12 संक्रांति होती हैं, लेकिन इनमें मकर संक्रांति का विशेष महत्व है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार भगवान सूर्यदेव प्रत्येक मास के पश्चात अपनी राशि बदलते हैं. 14 जनवरी यानी शुक्रवार को सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करेंगे. सूर्य के मकर राशि में प्रवेश को मकर संक्रांति कहते हैं और इस दिन मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है. लेकिन कोरोना जैसी महामारी की तीसरी लहर के बीच लोग स्नान को लेकर असमंजस में है. पंडित दीपक मालवीय ने बताया कि इस दौरान घर पर ही अगर कुछ बूंदे गंगा की जल में मिलाकर स्नान किया जाए तो इसका वैसा ही लाभ और पुण्य मिलता है जैसा कि गंगा स्नान से मिलता है.
इस बार 15 जनवरी को मनाई जाएगी मकर संक्रांति
जब सूर्य एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं तो उसे संक्रांति कहते हैं. ज्योतिषी और काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास ट्रस्ट के सदस्य पंडित दीपक मालवीय ने बताया कि पौष शुक्ल द्वादशी दिनांक 14 जनवरी 2022 शुक्रवार को रात्रि में 8:34 पर भगवान भास्कर मकर राशि में प्रवेश करेंगे और इसी के साथ सूर्य उत्तरायण भी हो जाएंगे और खरमास की समाप्ति हो जाएगी. क्योंकि रात्रि के समय संक्रांति लग रही है इसलिए इसका पुण्य काल अगले दिन 15 जनवरी शनिवार को मनाया जाएगा और खिचड़ी का प्रसिद्ध पर्व एवं मकर संक्रांति का स्नान-दान 15 जनवरी को प्रातः से मध्याह्न काल तक किया जाएगा.
इसी दिन मां गंगा भगीरथ के पीछे-पीछे गईं थीं गंगासागर
उन्होंने आगे बताया कि पौष मास को जब सूर्य देव शनि की राशि मकर में प्रवेश करते हैं तो मकर संक्रांति पर्व मनाया जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान सूर्य देव शनि से मिलने स्वयं जाते हैं. मकर संक्रांति के दिन मां गंगा भगीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होकर गंगासागर में जाकर मिली थी. मकर संक्रांति के दिन ही सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण होते हैं. इस तारीख से देवताओं के दिन की शुरुआत होती है. इस बार मकर संक्रांति की शुरुआत रोहिणी नक्षत्र में हो रही है जिसे उत्तम माना जाता है. मकर संक्रांति के दिन से शुभ कार्य विवाह ,मुंडन गृह प्रवेश जैसे धार्मिक कार्य प्रारंभ हो जाते हैं और ठंड का प्रभाव कम होने लगता है. इसके बाद दिन बड़े होने लगते हैं और रातें छोटी होने लगती हैं.
सूर्य को लाल वस्त्र और लाल फूल करें अर्पित
पंडित दीपक मालवीय ने आगे बताया कि मकर संक्रांति के दिन जप-तप दान और पवित्र नदियों एवं सरोवरों में स्नान का विशेष महत्व है. पंडित दीपक मालवीय ने सलाह दी कि प्रातः काल में दैनिक कार्यों से निवृत्त होकर सूर्योदय के समय सूर्य को अर्घ्य प्रदान करें एवं भगवान भास्कर को प्रणाम कर उनका पूजन करें. सूर्य को लाल वस्त्र, गेहूं, मसूर की दाल, लाल पुष्प, नारियल, दक्षिणा इत्यादि अर्पित करें. ब्राह्मणों को चावल उड़द की दाल, शीतवस्त्र (कंबल) दक्षिणा इत्यादि का दान करें. इससे भगवान सूर्य देव प्रसन्न होकर संपत्ति और वैभव प्रदान करते हैं. इस दिन दान करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है और इसका पुण्य फल जन्म जन्मांतर तक मिलता रहता है.
रोशन जायसवाल की रिपोर्ट