Mauni Mata Fast: राम की भक्ति! झारखंड की महिला 32 साल बाद 22 जनवरी को तोड़ेगी अपना मौन व्रत

मौनी माता की यात्रा त्याग और समर्पण से भरी है. मौनी माता आठ बच्चों की मां हैं. साल 1986 में अपने पति के निधन के बाद से ही उन्होंने अपने जीवन को भगवान राम को समर्पित कर दिया था.

Mauni Mata
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 10 जनवरी 2024,
  • अपडेटेड 1:44 PM IST
  • रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का इंतजार
  • कलम से करती हैं संवाद 

भारत में हर कोई अयोध्या राम मंदिर में रामलला के आने को लेकर बेताब है. अपने-अपने तरीके से सभी खुशी जाहिर कर रहे हैं. इसी तरह झारखंड के धनबाद की एक महिला अपना मौन व्रत 32 साल के  वाली हैं. सरस्वती देवी, जिन्हें प्यार से 'मौनी माता' के नाम से जाना जाता है, ने मौन व्रत के लिए 30 साल से ज्यादा समय समर्पित किया है. ये शपथ उन्होंने 1992 में अयोध्या में बाबरी मस्जिद के विध्वंस के दिन ली थी. अब राम मंदिर के बनने के बाद उनका ये व्रत पूरा होने वाला है. 

रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का इंतजार

मौनी माता अब 85 साल की हो चुकी हैं. उन्होंने प्रतिज्ञा की थी कि वह अपनी चुप्पी तभी तोड़ेंगी जब एक भव्य राम मंदिर अयोध्या की पवित्र धरती की शोभा बढ़ाएगा. उनकी प्रतिज्ञा की परिणति 22 जनवरी को होने वाली है, जो राम मंदिर के अभिषेक के लिए चुना गया शुभ दिन है.

कलम से करती हैं संवाद 

दुनिया उनके होठों से निकलने वाले पहले शब्दों का इंतजार कर रहे हैं. मौनी माता की यात्रा त्याग और समर्पण से भरी है. मौनी माता आठ बच्चों की मां हैं. साल 1986 में अपने पति के निधन के बाद से ही उन्होंने अपने जीवन को भगवान राम को समर्पित कर दिया. अपने दूसरे सबसे बड़े बेटे, नंद लाल अग्रवाल के साथ रहते हुए, वह अपने परिवार के साथ सांकेतिक भाषा और कलम और कागज की मदद से संवाद करती हैं.

1990 के दशक का अनकहा युग

मौनी माता की कहानी 1990 के उथल-पुथल भरे दशक में सामने आई. उस वक्त राम मंदिर के निर्माण की वकालत करने वाली उग्र बहस और देशव्यापी आंदोलन देश में शुरू हो गए थे. 2001 में, उन्होंने महाकाव्य रामायण में वर्णित अनुसार, भगवान राम के वनवास के दौरान उनके नक्शेकदम पर चलते हुए, मध्य प्रदेश के चित्रकूट में सात महीने की 'तपस्या' शुरू की.

आध्यात्मिक तीर्थयात्राओं के माध्यम से पूजा 

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, मौनी माता की आध्यात्मिक खोज उन्हें चार धाम, अयोध्या, काशी, मथुरा, तिरूपति बालाजी, सोमनाथ मंदिर और बाबा बैद्यनाथधाम जैसे प्रतिष्ठित स्थलों तक ले गई. उनकी हर तीर्थयात्रा पवित्र प्रतिज्ञा की पूर्ति के एक कदम करीब लेकर जा रही थी. 

85 साल की उम्र में मौनी माता अपनी मन्नत पूरी करने की कगार पर खड़ी हैं. उनके अपने शब्दों में, "मेरा जीवन पूरा हो गया है, रामलला ने मुझे प्राण प्रतिष्ठा के लिए बुलाया है. मेरी तपस्या और ध्यान सफल हुआ. 30 साल के बाद, मेरा मौन व्रत 'राम नाम' के साथ टूट जाएगा."

रामलला का भव्य स्वागत 

22 जनवरी को, अयोध्या में भव्य राम मंदिर का उद्घाटन होने वाला है. ये एक ऐतिहासिक कार्यक्रम होगा जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उपस्थित होंगे. इतना ही नहीं बल्कि कई हाई-प्रोफाइल मंत्री, उद्योगपति और मशहूर हस्तियां शामिल होने वाली हैं. 


 

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