Mohini Ekadashi 2024: कब है मोहिनी एकादशी, क्या है शुभ मुहूर्त और पूजा विधि, भगवान विष्णु ने क्यों धारण किया था मोहिनी रूप, यहां जानिए 

Mohini Ekadashi के दिन व्रत रखने से भगवान विष्णु की विशेष कृपा भक्त पर बनी रहती है. घर में मां लक्ष्मी का वास रहता है. इस बार मोहिनी एकादशी व्रत के दिन हस्त नक्षत्र का निर्माण हो रहा है. इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग का संयोग भी बन रहा है. 

Mohini Ekadashi
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 16 मई 2024,
  • अपडेटेड 10:22 PM IST
  • मोहिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की होती है पूजा
  • भगवान श्रीराम ने भी रखा था मोहिनी एकादशी का व्रत

हिंदू धर्म में हर एकादशी का विशेष महत्व बताया गया है. इस दिन भक्त भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की आराधना करते हैं. हिंदू पंचाग में वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को मोहिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है.

ऐसी मान्यता है इस दिन व्रत रखने से भगवान विष्णु की विशेष कृपा भक्त पर बनी रहती है. घर में मां लक्ष्मी का वास रहता है. घर में खुशहाली आती है. व्रत करने वाले को सौभाग्य, सुख, सफलता और समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है. आइए जानते हैं इस साल मोहिनी एकादशी किस दिन मनाई जाएगी और क्या शुभ मुहूर्त है?

हिंदू धर्म में उदया तिथि होती है मान्य
पंचांग के अनुसार वैशाख माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 18 मई 2024 को सुबह 11:22 बजे शुरू हो रही है. इसका समापन 19 मई 2024 को दोपहर 01:50 बजे होगा. हिंदू धर्म में उदया तिथि मान्य होती है. ऐसे में मोहिनी एकादशी व्रत 19 मई 2024 दिन रविवार को रखा जाएगा. इस व्रत का पारण 20 मई को सुबह 05:28 से सुबह 08:12 के बीच किया जाएगा. इस बार मोहिनी एकादशी व्रत के दिन हस्त नक्षत्र का निर्माण हो रहा है, जो पूर्ण रात्रि तक रहेगा. इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है, जो सुबह 05:28 से पूरी रात तक रहेगा.

मोहिनी एकादशी पर शुभ मुहूर्त 
1. विष्णु पूजा मुहूर्त: सुबह 07:10 बजे से दोपहर 12:18 बजे तक.
2. ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 04:05 बजे से 04:47 बजे तक.
3. अभिजित मुहूर्त: सुबह 11:50 बजे से दोपहर 12:45 बजे तक.
4. अमृत काल: रात 08:33 बजे से रात 10:20 बजे तक.

क्या है पूजा विधि
1. मोहिनी एकादशी तिथि पर सुबह जल्दी उठकर स्नान करके सूर्यदेव को अर्घ्य दें. 
2. इसके बाद भगवान विष्णु के मोहिनी स्वरुप को मन में ध्यान करते हुए रोली, मोली, पीले चन्दन, अक्षत, पीले पुष्प, ऋतुफल, मिष्ठान भगवान विष्णु को अर्पित करें. 
3. फिर धूप-दीप से श्री हरि की आरती उतारें और मोहिनी एकादशी की कथा पढ़ें. 
4. मोहिनी एकादशी के दिन ॐ नमो: भगवते वासुदेवाय का जप और विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें. 
5. मोहिनी एकादशी के दिन परनिंदा, छल-कपट, लालच, द्धेष की भावनाओं से दूर रहकर श्री नारायण को ध्यान में रखते हुए भक्तिभाव से उनका भजन करना चाहिए.
6. द्वादशी के दिन ब्राह्मणों को भोजन करवाने के बाद स्वयं भोजन करें. 
7. मोहिनी एकादशी पर स्वर्ण दान, भूमि दान, अन्नदान, गौदान, जलदान, जूते, छाता, फल के दान से अधिक पुण्य फलों की प्राप्ति होती है. 

भगवान विष्णु ने क्यों धारण किया था मोहिनी रूप
पौराणिक मान्यता के अनुसार देवताओं और राक्षसों ने अमृत कलश की प्राप्ति के लिए मिलकर समुद्र मंथन किया था. समुद्र मंथन के बाद अमृत कलश की प्राप्ति हुई. देवता और दानव दोनों ही पक्ष अमृत पान करना चाहते थे, जिसकी वजह से अमृत कलश की प्राप्ति को लेकर देवताओं और असुरों में विवाद छिड़ गया. विवाद की स्थिति इतनी बढ़ने लगी कि युद्ध की तरफ अग्रसर होने लगी. ऐसे में इस विवाद को सुलझाने और देवताओं में अमृत वितरित करने के लिए भगवान विष्णु ने मोहिनी नामक एक सुंदर स्त्री का रूप धारण किया. असुरों को अपने माया जाल में फंसाकर रखा. इस दौरान देवताओं ने सारा अमृत ग्रहण कर लिया था और इस तरह भगवान विष्णु ने कीमती अमृत को असुरों के हाथों से बचा लिया. यह शुभ दिन वैशाख शुक्ल  एकादशी का था. इसीलिए इस दिन को मोहिनी एकादशी के रूप में मनाया जाता है. 

पौराणिक कथा के अनुसार एक बार श्रीराम ने महर्षि वशिष्ठ  से कहा कि गुरुवर जनक दुलारी सीता जी के वियोग में मैंने बहुत कष्ट भोगे हैं. इन कष्टों का निवारण कैसे होगा. इसका कोई उपाय बताएं. तब ऋषि ने भगवान श्रीराम को वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की मोहिनी एकादशी का महत्व बताते हुए इस व्रत को करने को कहा था. इस व्रत के प्रभाव से मनुष्य मोह के जाल से मुक्त हो जाता है. ऋषि ने बताया था कि दुखी मनुष्य को इस एकादशी का उपवास अवश्य ही करना चाहिए.इस व्रत के करने से मनुष्य के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं. इस व्रत को राजा युधिष्ठिर ने भी रखा था.

 

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