ओडिशा का जगन्नाथ मंदिर न सिर्फ अपनी भव्यता के लिए जाना जाता है बल्कि अपने साथ कई रहस्यों को भी समेटे हुए है. इनमें से ही एक रहस्य है मंदिर में लगा झंडा जो हमेशा हवा के विपरीत दिशा में लहराता है. इसके अलावा मंदिर के शिखर पर एक सुदर्शन चक्र है जिसको किसी भी दिशा से देखा जाए तो लगता है कि चक्र का मुंह आपकी तरफ है. आखिर इसके पीछे का रहस्य क्या है और मान्यता क्या है चलिए जानते हैं.
हर दिन बदला जाता है झंडा
जगन्नाथ पुरी मंदिर के ऊपर लगे झंडे को हर दिन बदला जाता है.ये झंडा मंदिर के शिखर पर मौजूद सुदर्शन चक्र के पास लगा होता है. इस झंडे को पतित पावन बाना तो वहीं बाकी झंडे को मानसिक बाना कहा जाता है. बता दें कि बाकी अन्य झंडे श्रद्धालु देते हैं और पतित पावन बाना को मंदिर के पुजारी लगाते हैं. झंडे पर शिवाजी का चंद्र बना होता है. यही झंडा हवा के विपरीत दिशा में लहराता है. मान्यता है कि अगर इस झंडे को एक दिन भी नहीं बदला गया तो 18 साल बाद मंदिर बंद हो जाएगा.
ये है पौराणिक मान्यता
भगवान विष्णु के अवतार श्री कृष्ण को समर्पित जगन्नाथ मंदिर 800 साल से भी ज्यादा पुराना है. न सिर्फ झंडा बल्कि मंदिर से जुड़ी ऐसी कई रहस्यमयी बातें हैं जो दुनियाभर के लोगों को हैरान करती है. विज्ञान भी इन रहस्यों को सुलझा नहीं पाया है. पौराणिक कथा के अनुसार भगवान विष्णु को समुद्र की आवाज के कारण आराम करने में कठिनाई होती थी. जैसे ही ये बात हनुमान जी को पता चली तो उन्होंने समुद्र से अपनी आवाज रोकने के लिए कहा. लेकिन समुद्र ने कहा कि वह आवाज के नहीं रोक सकते क्योंकि यह उनके वश में नहीं है. हवा की वजह से ही आवाज वहां तक जाती है. अगर आप आवाज को बंद करना चाहते हैं तो अपने पिता पवन देव से विनती करें. इसके बाद हनुमान जी ने अपने पिता से कहा कि आप मंदिर की दिशा में न बहे. लेकिन पवन देव ने इसे असंभव बताते हुए एक उपाय बताया.
हनुमान जी ने किया था ये उपाय
पिता ने जो उपाय बताया था उसके अनुसार हनुमान जी ने अपनी शक्ति को दो हिस्सों में बांट लिया. और फिर हवा से भी तेज गति से मंदिर के चारों तरफ चक्कर लगाने लगे. ऐसा करने के बाद मंदिर के आसपास ऐसा वायु चक्र बना कि समुद्र की आवाज मंदिर के भीतर न आ सकी. इसी वायु चक्र के कारण झंडा विपरीत दिशा में बहता है. मान्यता है कि भगवान श्री जगन्नाथ जो कि विष्णु के ही रूप हैं उनको फिर सोने में दिक्कत नहीं हुई.