Naga Sadhu in Mahakumbh: हर तरह की मोह माया त्याग देते हैं... गर्मी हो या सर्दी हर मौसम में रहते हैं निर्वस्त्र… जानें कैसे बनते हैं नागा साधु? 

नागा संन्यासी वे तपस्वी साधु हैं, जो सनातन धर्म के विभिन्न अखाड़ों यानी संगठनों से संबंधित होते हैं और वस्त्र, मोह-माया आदि का त्याग कर तपस्वी जीवन व्यतीत करते हैं. इन नागाओं में महिला नाग संत भी होती है, उनको भी दीक्षा दिलाई जाती है.

Naga Sadhu (Photo/GettyImages)
gnttv.com
  • प्रयागराज ,
  • 31 दिसंबर 2024,
  • अपडेटेड 1:33 PM IST
  • सारी मोह माया को त्याग कर बनते हैं
  • हर मौसम में रहते हैं निर्वस्त्र

संगम नगरी प्रयागराज में लगने वाले महाकुंभ में देश विदेश से साधु संत और श्रद्धालु आते हैं. इस महाकुंभ में आकर्षण का केन्द्र रहने वाले नागा सन्यासियों का भी आना शुरू हो गया है. नागा संन्यासी न केवल अपनी विशेष वेशभूषा और रहन-सहन के लिए प्रसिद्ध हैं, बल्कि उनकी आध्यात्मिक तपस्या और धर्म की रक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका भी रहती है. 

नागा साधु कौन हैं?
नागा संन्यासी वे तपस्वी साधु हैं, जो सनातन धर्म के विभिन्न अखाड़ों यानी संगठनों से संबंधित होते हैं और वस्त्र, मोह-माया आदि का त्याग कर तपस्वी जीवन व्यतीत करते हैं. इन नागाओं में महिला नाग संत भी होती है, उनको भी दीक्षा दिलाई जाती है लेकिन महिला होने के नाते ये प्रक्रिया बहुत गुप्त रखी जाती है. इन महिला साधुओं को ब्रह्मगाथी दिया जाता है जो सिले हुए कपड़े नहीं पहनती हैं.

हर तरह का मोह त्यागना होता है 
इस महाकुंभ में नागा संन्यासियों का आना इस पर्व को और भी रहस्यमय और अद्वितीय बनाती है. नागा संन्यासी अलग-अलग अखाड़ों यानी संगठनों से संबंधित होते हैं. ये वस्त्र, मोह-माया आदि का त्याग कर तपस्वी जीवन बिताते हैं. इनके शरीर मे भगवान भोलेनाथ की भष्म इन्हें सर्दी गर्मी का अहसास नही होने देती, अखाड़ों में ये सबसे आगे चलते हैं, ये भगवान भोलेनाथ का रूप भी माने जाते हैं.

अलग-अलग तरह के होते हैं नागा साधु 
अखाड़ों में अवहान ,जूना ,अटल, निरंजनी ,महानिर्वानी में नागा संप्रदाय है. प्रायागराज में जो नागा सन्यासी बनते हैं उनको राज राजेश्वरी नागा कहा जाता है और उज्जैन में बनने वाले नागा खुनी नागा कहलाते हैं. वहीं हरिद्वार में बनने वाले नागा बर्फ़ानी नागा कहलाते हैं और काशी में खिचड़ी नागा बनते हैं. 

फोटो-गेटी इमेज

सन्यासी बनने की प्रक्रिया क्या होती है?
नाग सन्यासी बनने की प्रक्रिया भी बेहद कठिन होती है. नागा सन्यासी नग्न रहते हुए भी महाकुंभ में अपने शरीर के ऊपर भस्म, फूल, तिलक, रुद्राक्ष, चिमट, रोली, चन्दन, डमरू, काजल, जटा, लोहे का छल्ला, अर्द्धचन्द्र तथा त्रिशूल, तलवार, गदा जैसे शस्त्र आदि धारण कर सबका ध्यान अपनी ओर आकर्षित करते हैं. 

हर समय निर्वस्त्र रहते हैं नाग संत  
परम्पराओं के अनुसार नागा सन्यासियों को सर्दी हो या गर्मी, हर समय निर्वस्त्र ही रहना पड़ता है. तन पर धूनी लपेटे, अपने मन को दीक्षा लेने के पश्चात् ये अनुशासित कर लेते हैं तथा तप, ध्यान और ब्रह्मचर्य का कठोर पालन करते हैं. नागा साधु प्राचीन काल से धर्म, समाज और संस्कृति की रक्षा के लिए समर्पित रहे हैं. नागा साधु सांसारिक जीवन और उसके सुखों का त्याग करते हैं. ये साधु अधिकतर जंगलों, गुफाओं, और पर्वतों में रहते हैं. 

(पंकज श्रीवास्तव की रिपोर्ट)
 

 

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