Sri Chamundeshwari Temple: जानिए 3489 फीट की ऊंचाई पर स्थित मां चामुण्डेश्वरी मंदिर की महिमा, पीएम मोदी आज करेंगे दर्शन

glory of Maa Chamundeshwari: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 20 और 21 जून को बेंगलुरु और मैसूर का दौरा करेंगे. यहां पर वह श्री चामुंडेश्वरी मंदिर के दर्शन करेंगे. 1000 साल से भी अधिक पुराना यह मंदिर मां दुर्गा के चामुंडा रूप को समर्पित है. देशभर से लोग यहां दर्शन के लिए आते हैं.

श्री चामुंडेश्वरी मंदिर
अपूर्वा राय
  • नई दिल्ली,
  • 20 जून 2022,
  • अपडेटेड 10:43 AM IST
  • चामुंडा देवी को मैसूर की प्रमुख देवी माना जाता है
  • इस मंदिर का सबसे बड़ा आकर्षण नंदी की मूर्ति है
  • श्री चामुंडेश्वरी मंदिर का इतिहास

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज से कर्नाटक के दो दिवसीय दौरे पर जायेंगे. यहां वह कई विकास परियोजनाओं की शुरुआत करेंगे. इस दौरान वह श्री सुत्तूर मठ और श्री चामुंडेश्वरी मंदिर भी जाएंगे. क्या है इस मंदिर की महिमा और क्यों यह मंदिर इतना लोकप्रिय है चलिए जानते हैं.

मां दुर्गा के चामुंडा रूप को समर्पित है श्री चामुंडेश्वरी मंदिर

श्री चामुंडेश्वरी मंदिर प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है और चामुंडी पहाड़ियों में 3489 फीट की ऊंचाई  स्थित है. 1000 साल से भी अधिक पुराना यह मंदिर मां दुर्गा के चामुंडा रूप को समर्पित है. इस मंदिर को 12वीं शताब्दी में बनाया गया था. यहां पर नंदी की एक मूर्ति भी है, जिसे 17वीं शताब्दी में बनवाया गया था, जोकि आकर्षण का मुख्य केंद्र है. चामुंडा देवी मैसूर के महाराजाओं की कुलदेवी मानी जाती हैं. मैसूर के महाराजाओं ने समय-समय पर इस मंदिर के लिए योगदान दिए हैं. 

क्या है इस मंदिर की महिमा

श्री चामुंडेश्वरी मंदिर न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी प्रसिद्ध है. 'चामुंडी' या 'दुर्गा' 'शक्ति' का रूप है.  चामुंडा देवी ने 'चंड', 'मुंड' और 'महिषासुर' का वध किया था. 'स्कंद पुराण' और अन्य प्राचीन ग्रंथों में आठ पहाड़ियों से घिरे 'त्रिमुता क्षेत्र' नामक एक पवित्र स्थान का उल्लेख है. पश्चिम की ओर स्थित श्री चामुंडेश्वरी मंदिर आठ पहाड़ियों में से एक है. पुराणों के अनुसार जब महिषासुर ने ब्रह्माजी की तपस्या से वरदान हासिल कर लिया तो वह देवताओं पर ही अत्याचार करने लगा था. अत्याचार से तंग आकर देवतागण मां दुर्गा के पास पहुंचे. तब मां दुर्गा ने चामुंडा का रूप धारण कर महिषासुर का वध किया. 

नंदी की प्रतिमा

18 महा शक्तिपीठों में से एक है चामुंडेश्वरी मंदिर

यह मंदिर 18 शक्तिपीठों में से एक है. चामुंडेश्वरी मंदिर में माता सती के बाल गिरे थे. इस मंदिर की संरचना चौकोर आकार की है. मूल मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्दी में होयसल वंश के राजाओं द्वारा कराया गया. मंदिर के पवित्र स्थान के भीतर देवी चामुंडेश्वरी की योग मुद्रा में बैठी हुई मूर्ति स्थित है. 

द्रविड़ वास्तुशैली में हुआ है मंदिर का निर्माण
मंदिर परिसर में बाहरी और आंतरिक दीवारों पर अद्भुत नक्काशी की गई है. इसके साथ-साथ छत और स्तंभों पर भी नक्काशी की गई है. मंदिर का निर्माण द्रविड़ वास्तुशैली में हुआ है. मंदिर के द्वार पर महिषासुर की प्रतिमा लगी है. मंदिर के रास्ते में 15 फुट ऊँची विशाल नंदी की प्रतिमा स्थापित की गई है. नवरंग हॉल, अंतराल मंडप और प्रकार मंदिर के प्रमुख हिस्से हैं.

श्री चामुंडेश्वरी मंदिर प्राकृतिक सुंदरता से घिरा हुआ है. यहां के जंगल में तरह-तरह के पेड़-पौधे, पक्षी और जानवर पाए जाते हैं. दशहरे के दौरान यहां खूब रौनक देखने को मिलती है. नवरात्रि के दौरान मंदिर में लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं.

कैसे पहुंचें
यह मंदिर मैसूर से करीब 30 किलोमीटर दूर है. प्लेन और ट्रेन से सभी बड़े शहरों से मैसूर पहुंचा जा सकता है. इस स्थान का नजदीकी हवाईअड्डा बेंगलुरू में स्थित है. इसके अलावा मैसूर में भी रेलवे स्टेशन है. यहां से आप बस या कैब द्वारा मंदिर तक आसानी से पहुंच सकते हैं.

 

 

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