Ayodhya: राम मंदिर में स्थापित होगा 4 फीट ऊंचा और 600 किलो वजनी नर्मदेश्वर शिवलिंग, जगह-जगह हो रहा भव्य स्वागत, जानें खासियत 

Ram temple Ayodhya: एमपी के उज्जैन, यूपी के कानपुर होते हुए करीब 1 हजार किमी का सफर तय करके नर्मदेश्वर शिवलिंग यात्रा 23 अगस्त 2023 को अयोध्या पहुंचेगी. अयोध्या पहुंचने पर राम जन्मभूमि न्यास को ये शिवलिंग सौंपा जाएगा. इसके बाद इसे मंदिर में स्थापित किया जाएगा.

पूजा-अर्चना के बाद शिवलिंग अयोध्या के लिए रवाना
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 19 अगस्त 2023,
  • अपडेटेड 5:24 PM IST
  • नर्मदा नदी के विशाल चट्टान से बना है शिवलिंग 
  • शिवलिंग को अयोध्या के लिए किया गया है रवाना 

अयोध्या में श्रीराम मंदिर का निर्माण कार्य जोर-शोर से हो रहा है. इसको बनाने में देश के कोने-कोने से योगदान दिया जा रहा है. श्रीराम के इस मंदिर में अन्य मंदिर भी बनकर तैयार हो रहे हैं. इन्हीं में से एक मंदिर में मध्य प्रदेश से भेजा जा रहा विशालकाय शिवलिंग भी स्थापित होगा. यह शिवलिंग प्राकृतिक है.  

शिवलिंग का किया गया पूजन 
ओंकारेश्वर के पास मौजूद बिल्लोरा खुर्द के नजर निहाल आश्रम में महामंडलेश्वर श्री नर्मदानंद जी सानिध्य में 4 फीट ऊंचे और 600 किलो प्राकृतिक शिवलिंग का पूजन किया गया. नर्मदानंद जी महाराज का कहना है कि अयोध्या में रामलला मंदिर परिसर में राम मंदिर के विग्रह के चारों ओर बन रहे 14 फीट चौड़े परकोटे के 6 मंदिरों में से एक मंदिर में मध्य प्रदेश के ओंकारेश्वर क्षेत्र के 4 फीट ऊंचे प्राकृतिक शिवलिंग को स्थापित किया जाएगा.

फूल अर्पित करके यात्रा का स्वागत
इस विशालकाय शिवलिंग को अयोध्या के लिए रवाना कर दिया गया है. खरगोन जिला मुख्यालय से 80 किमी दूर बड़वाह नगर में ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग से निकली नर्मदेश्वर शिवलिंग यात्रा के प्रवेश करने पर जोरदार स्वागत किया गया. महामंडलेश्वर श्री नर्मदानंद जी सानिध्य में शिवलिंग की पूजा की गई. इस दौरान सैकड़ों लोगों की भीड़ शिवलिंग के दर्शन के लिए मौजूद रही. यात्रा जिस-जिस रास्ते से निकल रही है, वहां-वहां भक्त फूल अर्पित करके यात्रा का स्वागत कर रहे हैं. कई भक्त यात्रा में नाचते हुए नजर आए.

23 अगस्त को अयोध्या पहुंचेगी यात्रा
एमपी के उज्जैन, ब्यावरा, शिवपुरी, कानपुर होते हुए करीब 1 हजार किमी का सफर तय करके नर्मदेश्वर  शिवलिंग यात्रा 23 अगस्त 2023 को अयोध्या पहुंचेगी. यहां पर पहुंचने के बाद शिवलिंग आगमन को लेकर भव्य कार्यक्रम की तैयारी की जा रही हैं. अयोध्या पहुंचने पर राम जन्मभूमि न्यास को ये शिवलिंग सौंपा जाएगा. 

चंपत राय ने पत्र लिखकर की थी मांग
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सरकार की ओर से गठित समिति राम मंदिर का निर्माण कार्य करवा रही है. समिति के महासचिव चंपत राय ने ओंकारेश्वर के नजर निहाल आश्रम के प्रबंधक संत श्री श्री 1008 श्री नर्मदानंद बापजी महाराज के नाम 17 जुलाई, 2023 को एक पत्र लिखा था, जिसमें नर्मदा नदी से प्राप्त नर्मदेश्वर शिवलिंग की मांग की गई थी. चंपत राय की ही मांग पर नर्मदा नदी से विशाल चट्टान निकलवाकर विशेष तौर पर इस शिवलिंग को बनवाया गया है. 

खुद भोलेनाथ अयोध्या जाने को आतुर
संत नर्मदानंद जी ने बताया है कि नर्मदा नदी से इस शिवलिंग के निर्माण के लिए पहले भी कई लोगों ने वजनी चट्टान को नर्मदा की तलहटी से निकालने की कोशिश की थी. लेकिन वे विफल रहे.उन्होंने कहा कि अब अयोध्या से मांग आने पर प्रयास के बाद यह चट्टान नर्मदा से निकाली गई है. मानो खुद भोलेनाथ अयोध्या जाने को आतुर होकर हमारा सहयोग कर रहे हैं. नर्मदा नदी की गहराई से निकाली गई इसी विशाल चट्टान से नर्मदेश्वर शिवलिंग का निर्माण करवाया गया.

जनवरी 2024 में रामलला की मूर्ति की होगी प्राण प्रतिष्ठा
श्री राम जन्मभूमि मंदिर का भूतल बनकर तैयार हो गया है. अब प्रथम तल ने भी आकार लेना शुरू कर दिया है. प्रथम तल पर खंभे भी खड़े हो चुके हैं. माना जा रहा है कि जनवरी 2024 में जब रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा मंदिर के भूतल में स्थित गर्भ गृह में होगी, उस समय तक प्रथम तल की छत भी पड़ चुकी होगी. श्रीराम जन्म भूमि मंदिर का भूतल 170 खंभों पर खड़ा है, जिसमें देवी-देवताओं की खूबसूरत नक्काशी की जा रही है. रामलला के लिए तैयार किए गए गर्भगृह का सफेद मार्बल से बनाया गया है. गर्भगृह के नक्काशी युक्त छत के नीचे भव्य सिंहासन पर रामलला विराजमान होंगे.

नर्मदा नदी के शिवलिंग को सीधा ही किया जा सकता है स्थापित 
नर्मदा नदी से निकलने वाले शिवलिंग को नर्मदेश्वर कहा जाता है. नर्मदा नदी को शिव के वरदान के कारण इससे प्राप्त होने वाले शिवलिंग को इतना ज्यादा पवित्र माना जाता है. वरदान के कारण नर्मदा नदी का कण-कण शिव माना जाता है. नर्मदा नदी के शिवलिंग को सीधा ही स्थापित किया जा सकता है, इसके प्राण प्रतिष्ठा की आवश्यकता नहीं होती है. कहा जाता है कि जहां-जहां नर्मदेश्वर का वास होता है, वहां काल और यम का भय नहीं होता है. 

 

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