Durga Puja: कैसे हुई सिंदूर खेला की शुरुआत...बंगाली महिलाओं के लिए क्यों खास होता है दुर्गा पूजा का ये दिन, जानिए

नवरात्रि के आखिरी दिन सिंदूर खेला होता है और इसी दिन मां दुर्गा की विदाई भी होती है. यह मान्यता है कि यह पति के सौभाग्य और उनकी लंबी उम्र की कामना के लिए किया जाता है. इस वर्ष मां दुर्गा का यह पर्व 01 अक्टूबर से 05 अक्टूबर तक मनाया जाएगा.

gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 05 अक्टूबर 2022,
  • अपडेटेड 11:43 AM IST
  • महिलाएं एक-दूसरे पर सिंदूर लगाती हैं
  • नवरात्रि के आखिरी दिन होता है सिंदूर खेला

सिंदूर खेला का शाब्दिक अर्थ है 'सिंदूर का खेल'. इसे खासतौर से बंगाली हिंदू महिलाएं नवरात्रि के आखिरी दिन मनाती हैं. परंपरागत रूप से, यह अनुष्ठान विवाहित महिलाओं के लिए होता है, जिन्हें सिंदूर खेला खेलते समय एक निर्धारित रिवाज और प्रोटोकॉल का पालन करना होता है, यह मानते हुए कि यह उनके लिए सौभाग्य और उनके पति के लिए लंबी उम्र लाएगा.

क्या है सिंदूर खेला का महत्व?
दुर्गा पूजा भारत में सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है और विजया दशमी दुर्गा पूजा उत्सव के अंत का प्रतीक है. पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजा सबसे बड़ा त्योहार है. शादीशुदा महिलाओं के लिए यह दिन खास होता है, जो साल भर इस दिन का इंतजार करती हैं. इस दिन बंगाली समुदाय के लोग मां दुर्गा को सिंदूर चढ़ाते हैं. इसके साथ ही भव्य पंडाल में मौजूद सभी लोग सिंदूर लगाते हैं और दुर्गा पूजा की कामना करते हैं. इस परंपरा को 'सिंदूर खेला' के नाम से जाना जाता है. इसके बाद शुरू होता है सिंदूर खेला. इसमें महिलाएं एक-दूसरे पर सिंदूर लगाती हैं. इस वर्ष मां दुर्गा का यह पर्व 01 अक्टूबर से 05 अक्टूबर तक मनाया जाएगा.

नवरात्रि का पर्व 9 दिनों तक मनाया जाता है. ऐसा माना जाता है कि मां दुर्गा पूरे 10 दिनों के लिए अपने मायके आती हैं और उनका स्वागत करने के लिए मां दुर्गा की मूर्ति के साथ विशाल पंडालों को सजाया जाता है. बंगाली समुदाय में मां दुर्गा की पूजा पंचमी तिथि से शुरू होती है और अंत में दशमी तिथि के दिन उन्हें सिंदूर होली खेलकर विदा किया जाता है. बंगाली समुदाय में इसे सिंदूर खेला के नाम से जाना जाता है.

सिंदूर खेला की शुरुआत कैसे हुई?
दुर्गा महोत्सव पर सिंदूर खेला का इतिहास करीब 450 साल पुराना है. बंगाली समुदाय में विजयादशमी के दिन सिंदूर खेल के साथ-साथ धुनुची नृत्य की परंपरा भी निभाई जाती है. धार्मिक मान्यता के अनुसार धुनुची नृत्य करने से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं. इसे मनाने के पीछे मान्यता यह है कि मां दुर्गा प्रसन्न होंगी और अपने बच्चे की रक्षा करेंगी.


 

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