इस साल चैत्र नवरात्रि (chaitra navratri 2022) 2 अप्रैल से शुरू होकर 11 अप्रैल को समाप्त होंगे. नवरात्रि के पांचवें दिन मां स्कंदमाता (maa skandmata) की पूजा की जाती है. धार्मिक मान्यता है कि स्कंदमाता की आराधना करने से सब मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
अगर आपकी कोई संतान नहीं हो रही है तो आपको स्ंकदमाता की आराधना जरूर करनी चाहिए. आप अपने घर के मंदिर में ही मां की पूजा कर सकते हैं लेकिन इसके लिए मां के रूप, पूजा विधि और मंत्रों के बारे में जान लें.
देवी स्कंदमाता का स्वरूप:
स्कंदमाता भगवान कार्तिकेय (मुरुगन या सुब्रमण्यम या शनमुगम के रूप में भी सम्मानित) की मां हैं. स्कंदमाता के स्वरूप की बात करें तो उनकी चार भुजाएं होती हैं. शेर पर सवार, स्कंदमाता की गोद में शिशु स्कंद (कार्तिकेय) हैं. उनके ऊपरी दाएं और बाएं हाथ में कमल होता है और निचला दाहिना हाथ अभय मुद्रा में होता है.
कमल के आसन पर स्थित रहने की वजह से इन्हें पद्मासना (Padmasana) भी कहते हैं. इनकी पूजा करने से ज्ञान की वृद्धि होती है और इसलिए इनका एक नाम विद्यावाहिनी दुर्गा देवी भी है.
स्कंदमाता की पूजा विधि:
इन मंत्रों से करें मां का आह्वान:
1. ॐ देवी स्कन्दमातायै नमः॥
2. सिंहासनगता नित्यं पद्माञ्चित करद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥
3. या देवी सर्वभूतेषु माँ स्कन्दमाता रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥