चैत्र नवरात्रि के सातवें दिन मां दुर्गा के रौद्र रूप, मां काली की पूजा अर्चना की जाती है. मां के इस रूप को कालरात्रि कहा जाता है. मां कालरात्रि दुष्टों का नाश करती हैं और भक्तों के भंडारे भरती हैं. कालरात्रि मां की पूजा करने वालों पर मां की विशेष कृपा होती है. धार्मिक मान्यता है कि देवी कालरात्रि अज्ञानता का नाश करती हैं. और जीवन को रोशनी से भरती हैं. दानव, दैत्य, राक्षस, भूत, प्रेत आदि इनकी नाम जपते ही भाग जाते हैं.
मां कालरात्रि का स्वरूप और महत्व
देवी मां कालरात्रि के स्वरूप की बात करें तो उनके चार हाथ हैं. उनके एक हाथ में तलवार, दूसरे में लौह शस्त्र है. वहीं तीसरा हाथ वरमुद्रा में है और चौथा हाथ अभय मुद्रा में है. मां कालरात्रि का वाहन गधा है. मां की पूजा करने से सभी दुख दूर होते हैं. ग्रह-बाधाओं की समस्या भी दूर हो जाती है. मां के भक्त कभी भी अग्नि, जल, जंतु, शत्रु, रात्रि आदि से नहीं डरते हैं. इनकी कृपा से सभी भक्त भय-मुक्त हो जाते हैं.
कैसे करें मां कालरात्रि की पूजा
मां की पूजा ब्रह्ममुहूर्त में की जाती है. सबसे पहले सूर्योदय से पहले उठकर स्नान आदि करके श्वेत या लाल वस्त्र धारण करें. इसके बाद एक चौकी पर मां कालरात्रि की मूर्ति स्थापित करें. अब मां को कुमकुम, लाल पुष्प, रोली आदि चढ़ाएं. मां को नींबुओं की माला पहनाई जाती है और उनके आगे तेल का दीपक जलता है. मां के मंत्रों का जाप करें या सप्तशती का पाठ करें. मां की कथा सुनने के बाद आरती करके उन्हें काली मिर्च, कृष्णा तुलसी या काले चने का भोग लगाएं.
1.'एकवेणी जपाकर्ण, पूरा नग्ना खरास्थिता. लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी, तैलाभ्यक्तशरीरिणी
वामपादोल्लसल्लोह, लताकंटकभूषणा वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा, कालरात्रिभयंकरी'
2. या देवी सर्वभूतेषु माँ कालरात्रि रूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: