Chhath Puja 2022 : बिहार का देव सूर्य मंदिर है बेहद खास, छठ पर्व पर उमड़ता है श्रद्धालुओं का सैलाब

बिहार व यूपी ही नहीं बल्कि देश के हर हिस्सों में इस वक्‍त छठ महापर्व की धूम है. बिहार में चारों ओर सजे-धजे घाट व मंदिर इस त्‍योहार की खूबसूरती को और भी बढ़ा रहे हैं. यहां कुछ प्रमुख सूर्य मंदिर जहां छठ पर्व बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है. इन सभी मंदिरों के पीछे कई प्रकार की पौराणिक कथाएं हैं. ऐसा ही एक मंदिर है औरंगाबाद में. यह मंदिर देव नाम से प्रसिद्ध है. इस मंदिर का अपना एक अलग इतिहास है और माना जाता है कि यहां सूर्यदेव की माता ने स्‍वयं छठ का व्रत किया था. आइए जानते हैं इस मंदिर के बारे में…

dev temple, bihar
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 28 अक्टूबर 2022,
  • अपडेटेड 5:01 PM IST
  • यहां भगवान सूर्य तीन रूपों में हैं विराजमान
  • मान्यता है कि सूर्यदेव की माता ने स्‍वयं छठ का व्रत किया था
  • देव सेना षष्‍ठी देवी के नाम पर इस धाम का नाम देव पड़ा

 बिहार व यूपी ही नहीं बल्कि देश के हर हिस्सों में इस वक्‍त छठ महापर्व की धूम है. बिहार में चारों ओर सजे-धजे घाट व मंदिर इस त्‍योहार की खूबसूरती को और भी बढ़ा रहे हैं. यहां कुछ प्रमुख सूर्य मंदिर जहां छठ पर्व बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है. इन सभी मंदिरों के पीछे कई प्रकार की पौराणिक कथाएं हैं. ऐसा ही एक मंदिर है औरंगाबाद में. यह मंदिर देव नाम से प्रसिद्ध है. इस मंदिर का अपना एक अलग इतिहास है और माना जाता है कि यहां सूर्यदेव की माता ने स्‍वयं छठ का व्रत किया था. आइए जानते हैं इस मंदिर के बारे में…

पूरे देश का एकलौता सूर्य मंदिर जिसका मुख पूर्व में न होकर पश्चिम में है ः

छठ पर्व के अवसर पर इस मंदिर का महत्‍व और भी बढ़ जाता है और इस वक्‍त यहां मेला भी लगता है. इस मंदिर में छठ की पूजा करने का विशेष महत्‍व माना जाता है. मानते हैं कि यहां भगवान सूर्य तीन रूपों में विराजमान हैं। यह पूरे देश का एकलौता सूर्य मंदिर है जिसका मुख पूर्व में न होकर पश्चिम में है. मंदिर के गर्भगृह में भगवान सूर्य की मुख्य प्रतिमा विराजमान है, जो कि ब्रह्मा, विष्‍णु और महेश के रूप में है. गर्भगृह के बाहर मुख्‍य द्वार पर भगवान सूर्य की प्रतिमा है तो दाईं ओर भगवान शंकर की प्रतिमा है.

छठी मैया ने सर्वगुण संपन्‍न पुत्र के प्राप्‍त होने का दिया था वरदान ः


मान्‍यता है कि असुरों और देवताओं के संग्राम में जब असुर हार गए थे तब देव माता अदित‍ि ने सूर्यदेव से मदद की गुहार की और कड़ी तपस्‍या पर बैठ गईं. तब माता अदिति ने तेजस्‍वी पुत्र की प्राप्ति के यहीं देवारण्‍य में आकर तपस्‍या की. तब उनका आराधना से प्रसन्‍न होकर छठी मैया ने उन्‍हें सर्वगुण संपन्‍न पुत्र के प्राप्‍त होने का वरदान दिया. इसके बाद सूर्यदेव ने माता अदिति के गर्भ से जन्‍म लेने का वरदान दिया. माता अदिति के गर्भ से जन्‍म लेने के कारण सूर्यदेव का नाम आदित्‍य पड़ गया और आदित्‍य ने ही असुरों का संहार किया. उसी समय से देव सेना षष्‍ठी देवी के नाम पर इस धाम का नाम देव हो गया.

मंदिर का शिल्‍प और वास्‍तु कोणार्क के सूर्य मंदिर जैसा ः


यहां के अभिलेखों में बताया गया है कि इस मंदिर का निर्माण आठवीं और नौवीं सदी के बीच में हुआ है. मंदिर का शिल्‍प और वास्‍तु कोणार्क के सूर्य मंदिर जैसा बताया जाता है.


भारत के प्रमुख सूर्य मंदिर

देव सूर्य मंदिर, औरंगाबाद

सूर्य मंदिर, गया
उलार्क सूर्य मंदिर
कोणार्क सूर्य मंदिर
मोदेरा सूर्य मंदिर
कटारमल सूर्य मन्दिर
रनकपुर सूर्य मंदिर
सूर्य पहर मंदिर
सूर्य मंदिर, प्रतापगढ़
दक्षिणार्क सूर्य मंदिर
औंगारी सूर्य मंदिर
बेलार्कसूर्य मंदिर
सूर्य मंदिर, हंडिया
सूर्य मंदिर, महोबा
रहली का सूर्य मंदिर
सूर्य मंदिर, झालावाड़
सूर्य मंदिर, रांची
सूर्य मंदिर, जम्मू
मार्तंड मंदिर, कश्मीर
सूर्य मंदिर, कंदाहा

Read more!

RECOMMENDED