हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का अत्याधिक महत्व माना जाता है. इस दौरान लोग अपने पितरों का पिंडदान करके उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करते हैं. गया के विष्णुपद क्षेत्र के रहने वाले चंदन कुमार भारती पंडा ने बताया कि पितृपक्ष में दान का अत्याधिक महत्व है. जो भी पितरों के लिए दान करता है उससे पितरों को मुक्ति मिलती है. पितृ पक्ष में कई चीजें दान करने का महत्व है लेकिन अगर आपने तिल का दान किया है तो उसका सबसे ज्यादा महत्व माना जाता है.
उनका कहना है कि यह पितरों का पर्व है जैसे हमारे लिए दीपावली, दुर्गा पूजा आदि है उसी तरह से है पितरों के लिए पितृपक्ष है. अगर इस पर्व में हम अपने पितरो के लिए तिल दान, गुड़ दान, चांदी की वस्तु का दान या तिलमिश्रित दान करे तो इससे पितरों को अक्षयमुक्ति मिलती है.
अलग-अलग दान का महत्व
पितृपक्ष अवधि में महादान अन्न दान है. इस महादान में जौ का दान स्वर्ण दान का फल देता है. जौ पृथ्वी का पहला अनाज माना जाता है. इसलिए इसके दान से पितृदोष दूर होते हैं और पितरों का आशीर्वाद भी मिलता है.
पितृपक्ष में तिल दान करने से प्रेतयोनि में वास करने वाले पितरों को मुक्ति मिलती है. हमारे कुछ पितर प्रेत स्वरूप भी होते हैं. पितरों को तिल बहुत ही प्रिय होता है. गुड़ मिश्रित जल पितरो के लिए दान करने से उन्हें अमृत और शांति मिलती है. पितरो के लिए चांदी दान का अलग ही महत्व है. चांदी दान पितरो का सबसे प्रिय दान है. चांदी स्वेत है और इससे पितरो को मुक्ति मिलती है.
क्या करें-क्या न करें
पितृपक्ष अवधि में सबसे पहले ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए और मांसाहार का सेवन नहीं करना चाहिए. स्वच्छ रहना चाहिए और एक जगह पर रहे तो और भी अच्छा है. किसी तीर्थ स्थल पर भागवत कथा कराएं. कहीं भी रहें कम से कम 15 दिन पितरों को जल अर्पण करे. इससे पितृ खुश होते है और घर के देवी- देवता और कुल के देवताओं का पूजन करना चाहिए और पितरो का पिंडदान जरूर कराये.
(पंकज कुमार की रिपोर्ट)
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