राजस्थान विधानसभा चुनाव के लिए धुंआधार प्रचार अभियान में जुटे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 21 नवंबर 2023 को राजधानी जयपुर में रोड शो करेंगे. इससे पहले पीएम मोदी प्रसिद्ध मोती डूंगरी गणेश मंदिर जाकर दर्शन करेंगे. आइए आज इस मंदिर की कहानी जानते हैं.
भगवान गणेश होता है भव्य शृंगार
मोती डूंगरी गणेश मंदिर आस्था का प्रमुख केंद्र है. इस मंदिर में दाहिनी सूंड़ वाले गणेशजी की विशाल प्रतिमा है. इतिहासकार बताते हैं कि इस मंदिर में स्थापित भगवान गणेश की प्रतिमा जयपुर नरेश माधोसिंह प्रथम की पटरानी के पीहर मावली से 1761 ई. में लाई गई थी. जयपुर के नगर सेठ पल्लीवाल यह मूर्ति लेकर आए थे और उन्हीं की देख-रेख में मोती डूंगरी की तलहटी में इस मंदिर को बनवाया गया था.
यह भी माना जाता है कि इसका निर्माण राजस्थान के उत्तम पत्थर से करीब चार महीने के अंदर पूरा हो गया था. इस मंदिर की वास्तुकला भी भक्तों को काफी आकर्षित करती है. यहां पर गणेशजी को हनुमानजी की तरह ही सिंदूर का चोला चढ़ता है और भव्य शृंगार होता है.
दर्शन करने का समय
मोती डूंगरी गणेश मंदिर बेहद ही खास है. यह जयपुर के साथ-साथ पूरे राजस्थान के सबसे बड़े गणेश मंदिरों में से एक है. इस पवित्र मंदिर में हर रोज हजारों भक्त दर्शन के लिए पहुंचते हैं. मंदिर में प्रतिदिन सुबह 5 बजे से लेकर दोपहर 1:30 तक भक्त दर्शन कर सकते हैं. इसके बाद 4:30 से लेकर रात 9 बजे के बीच में दर्शन करने पहुंच सकते हैं. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि मंदिर दर्शन के लिए कोई प्रवेश शुल्क नहीं देना होता है. इसके अलावा यह भी बता दें कि गणेश चतुर्थी के मौके पर यहां दर्शन करना खास माना जाता है.
वाहनों की पूजा के लिए लगती हैं लंबी कतारें
जयपुर में मोती डूंगरी स्थित गणेश मंदिर जयपुरवासियों के लिए प्रथम अराध्य माने जाते हैं. मान्यता है कि यदि कोई भी व्यक्ति नया वाहन खरीदता है तो उसे सबसे पहले मोती डूंगरी गणेश मंदिर में लाने की परंपरा है. ऐसे में नवरात्रा, रामनवमी, दशहरा, धनतेरस और दीपावली जैसे खास मुहूर्त पर वाहनों की पूजा के लिए यहां लंबी कतारें लग जाती हैं. मान्यता है कि नए वाहन की यहां लाकर पूजा करने से वाहन का एक्सीडेंट नहीं होता.
शादी का निमंत्रण देने पहुंचते हैं श्रद्धालु
इसके अलावा मोती डूंगरी गणेश मंदिर में शादी के समय पहला निमंत्रण-पत्र मंदिर में चढ़ाने की परंपरा है. मान्यता है कि निमंत्रण पर मोती डूंगरी गणेश उनके घर आते हैं और शादी-विवाह के सभी कार्यों को शुभता से पूर्ण करवाते हैं. ऐसे में इस मंदिर में जयपुर के आसपास से भी लोग दूर-दूर से शादी का निमंत्रण देने पहुंचते हैं.