महाकुंभ में काफी संख्या में साधु-संत आस्था के इस संगम में डेरा जमाए हुए हैं. कोई अपनी अनूठी साधना तो कोई अनोखी कद काठी के कारण लोगों का ध्यान आकर्षित कर रहा है. ऐसे ही एक नागा बाबा है गोपाल गिरी. ये आवाहन अखाड़े के नागा संन्यासी हैं. इस नागा संन्यासी की उम्र महज 10 साल है. इनकी उम्र को देखकर जो कोई भी इस राह से गुजरता है, बाल नागा संन्यासी के दर्शन करने के लिए जरूर रुक जाता है.
कठनाईयों से भरा जीवन
गोपाल गिरी का जीवन कठिनाइयों से भरा रहा है. वह बताते हैं कि एक नागा संन्यासी को कई कठिनाइयां झेलनी पड़ती है. वे तीन भाई बहन हैं जिसमे दो भाइयों में ये बड़े हैं और इनके माता-पिता ने इनका दान कर दिया है. तभी से ये गुरु के पास रह रहे हैं और गुरु की सेवा कर रहे हैं.
साधना के लिए आंसू बहा रहे गोपाल गिरी
जहां इस उम्र के बच्चे खिलौने के लिए रोते लड़ते झगड़ते हैं और वीडियो गेम्स के लिए आंसू बहाते हैं, वहीं गोपाल गिरी साधना के लिए आंसू बहा रहे हैं. इतनी कम उम्र में जहां कई बच्चों में समझ भी विकसित नहीं होती लेकिन गोपाल गिरी की बातें किसी सिद्ध महात्मा जैसी बाते करते हैं.
छोटे नागा संन्यासी को देखकर हरकोई हैरान
गोपाल गिरी बताते हैं कि संन्यासी बनना इतना आसान नहीं है, कंपा देने वाली ठंड में बिना कपड़े के रहना होता है. वे बिना किसी चप्पल के ही पैदल चलते हैं. इतने छोटे नागा संन्यासी को देखकर हर कोई रुक जाता है और आशीर्वाद भी लेता है. साथ में फोटो भी खिंचा जाता है और सबसे खास बात यह है कि इतनी कम उम्र होने के बाद भी वह अन्य साधुओं की तरह शालीनता दिखाते हैं और सबको आशीर्वाद भी देते हैं.
गोपाल गिरी का यह पहला महाकुंभ है. नागा संन्यासी बनने के बाद वह अपने गुरु से दीक्षा लिए और अब गुरुकुल में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं. यहां पर उनके गुरु भाई आए हुए हैं. उनके साथ ही गोपाल गिरी भी कुंभ में आस्था की डुबकी लगाएंगे.
-आनंद राज की रिपोर्ट