Mahakumbh 2025: कुंभ में ही क्यों नज़र आते हैं Naga Sadhu, Kumbh Mela के बाद कहां चले जाते हैं? जानिए नागा साधुओं से जुड़े ये रहस्य

महाकुंभ (Mahakumbh 2025) में शाही स्नान का काफी महत्व होता है. शाही स्नान में सबसे पहले नागा साधु (Naga Sadhu) स्नान करते हैं. नागा साधु सिर्फ कुंभ (Kumbh Naga Sadhu) में ही नजर आते हैं. इसके बाद नागा साधु कहीं नहीं दिखाई देते हैं.

Mahakumbh 2025 Naga Sadhu (Photo Credit: Getty Images)
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 14 दिसंबर 2024,
  • अपडेटेड 4:55 PM IST
  • महाकुंभ 2025 प्रयागराज में होगा
  • कुंभ मेले में 6 शाही स्नान होते हैं

प्रयागराज में 13 जनवरी से महाकुंभ (Prayagraj Mahakumbh 2025) शुरू होने जा रहा है. हिन्दू धर्म में कुंभ मेले का काफी महत्व माना जाता है. लाखों श्रद्धालु इस मेले में आते हैं. मेले की भव्यता देखते ही बनती है. लगभग 50 दिन तक चलने वाले इस महाकुंभ में 6 शाही स्नान (Mahakumbh Shahi Snan) होते हैं. शाही स्नान में सबसे पहले अखाड़ों के साधु-संत स्नान करते हैं.

महाकुंभ में 13 अखाड़ों से साधु-संत आते हैं. इसमें सबसे पहले नागा साधु (Naga Sadhu Shahi Snan) स्नान करते हैं. इसके बाद बाकी लोग स्नान करते हैं. कुंभ 12 साल में एक बार होता है. नागा साधु कुंभ में अपनी परंपरा और रिवाज निभाने के लिए आते हैं.

कुंभ में नागा साधुओं का काफी महत्व माना जाता है. कुंभ के बाद नागा साधु कहां चले जाते हैं? आइए इस बारे में जानते हैं.

कठिन है नागा साधु का जीवन
नागा साधुओं का जीवन काफी कठिन होता है. नागा साधु (Naga Sadhu Kumbh) समाज से दूर एकांत में रहना पसंद करते हैं. नागा साधु-संत कुंभ और माघ मेले जैसे धार्मिक मेलों में नजर आते हैं. नागा बाबा आमतौर से कोई कपड़े नहीं पहनते हैं. 

नागा बाबा प्रकृति को ही अपना कपड़ा मानते हैं. अगर पहनते हैं तो सिर्फ धोती और लंगोट पहनते हैं. नागा बाबा युद्ध के कई हथियार चलाना जानते हैं. वे हिमालय और जंगलों में कठिन तपस्या करते हैं. भोजन भी बेहद कम लेते हैं.

कुंभ में ही दिखाई देते हैं नागा साधु
नागा साधु अलग-अलग अखाड़ों से जुड़े रहते हैं. नागा साधुओं को शांति में तप करना पसंद होता है. नागा साधु भगवान शिव के भक्त होते हैं. उनके लिए कुंभ मेले काफी महत्वपूर्ण होता है. 

प्रयागराज में होने वाले कुंभ मेले में शाही स्नान का विशेष महत्व माना जाता है. नागा बाबा को इस मेले में गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम में स्नान करने का मौका मिलता है. माना जाता है कि यहां स्नान करने से आत्मा भी शुद्ध हो जाता है. नागा साधुओं का कुंभ में स्नान करने का धार्मिक महत्व है. 

कुंभ मेले में नागा साधु आपस में मिलते हैं. एक-दूसरे से बातें करते हैं. यहां पर लोगों को नागा साधुओं का आशीर्वाद भी पाने का मौका मिलता है. कुंभ ही वो जगह है जहां आम लोग नागा साधुओं से आसानी से मिल सकते हैं.

मेले के बाद कहां चले जाते हैं?
नागा साधु कुंभ मेले में शाही स्नान के लिए आते हैं. कुंभ मेला खत्म होने के बाद नागा साधु अलग-अलग जगहों पर चले जाते हैं. कुछ नागा साधु पहाड़ों और जंगलों में चले जाते हैं. वहीं कुछ साधु हिमालय की गुफाओं में कठोर तप करने लगते हैं. यहां पर नागा साधु फल और पानी पर ही जिंदा रहते हैं.

कुछ नागा साधुओं को खुले वातावरण में रहना पसंद होता है. कुंभ के बाद नागा साधु देश भर के तीर्थ स्थलों की यात्रा पर निकल जाते हैं. वहीं कुछ नागा साधु अखाड़ों के केन्द्रों में रहना पसंद करते हैं. कुल मिलाकर नागा साधु समाज से दूर रहना पसंद करते हैं.

महाकुंभ के शाही स्नान
महाकुंभ में शाही स्नान को सबसे जरूरी माना जाता है. महाकुंभ पहले शाही स्नान के साथ शुरू हो जाएगा. पहला शाही स्नान 13 जनवरी 2025 को होगा. वहीं अगले दिन 14 जनवरी को दूसरा शाही स्नान होगा.

महाकुंभ का तीसरा शाही स्नान 29 जनवरी 2025 को होगा. वहीं वसंत पंचमी पर 3 फरवरी 2025 को चौथा शाही स्नान होगा. पांचवां शाही स्नान 13 फरवरी को होगा. वहीं आखिरी शाही स्नान 26 फरवरी 2025 को होगा. महाशिवरात्रि के दिन आखिरी स्नान होगा. इसी दिन महाकुंभ 2025 का समापन हो जाएगा.

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