Mahakumbh Child Sadhvi: आईएएस बनना चाहती थी... महाकुंभ मेले से भाग जाना चाहती थी... फिर ऐसे जागा 13 साल की राखी के मन में वैराग्य... माता-पिता ने अपनी बेटी को अखाड़े को कर दिया दान

Kumbh Mela 2025: आगरा की रहने वाली राखी सिंह की उम्र महज 13 साल है. वह अभी नौवीं कक्षा में पढ़ती हैं. वह आगे की पढ़ाई कर आईएएस बनना चाहती थी. वह कुंभ मेले से भाग जाना चाहती थी. आइए जानते हैं  आखिर अचानक ऐसा क्या हुआ कि राखी साध्वी बनने को अड़ गई और उनके मा-बाप ने भी उन्हें अखाड़े को दान में दे दिया.

Child Sadhvi Gauri Giri Maharani
कुमार अभिषेक
  • लखनऊ,
  • 07 जनवरी 2025,
  • अपडेटेड 11:02 PM IST
  • आगरा की रहने वाली हैं राखी सिंह धाकरे
  • प्रयागराज महाकुंभ मेले में आईं थीं माता-पिता के साथ 

Prayagraj Child Sadhvi: महाकुंभ मेले का आयोजन 13 जनवरी 2025 से यूपी प्रयागराज में होने जा रहा है. इसमें हिस्सा लेने के लिए देश के कोने-कोने से साधु और संत आए हुए हैं. हर दिन नागा संन्यासियों से जुड़ी एक से बढ़कर एक कहानियां देखने और सुनने को मिल रही हैं.

आज हम आपको 13 साल की एक ऐसी लड़की की कहानी बताने जा रहे हैं, जो कभी साधु बनना ही नहीं चाहती थी. कुंभ मेले से भाग जाना चाहती थी लेकिन ऐसा क्या हुआ कि वह अपने जीवन से वैराग्य लेने पर अड़ गई. उनकी इस जिद को उनके मां-बाप ने भी मान लिया और अपनी लाड़ली बेटी को अखाड़े को दान कर दिया.

अब मेरा कोई परिवार नहीं
दरअसल, हम बात कर रहे हैं आगरा में पेठा का कारोबार करने वाले कारोबारी संदीप सिंह की बेटी राखी सिंह धाकरे की. जिनकी उम्र महज 13 साल है. वह नौवीं कक्षा में पढ़ती हैं. वह प्रयागराज में जूना अखाड़े में आकर इस बात पर अड़ गईं कि उन्हें साध्वी ही बनना है. उन्हें यहां से जाना ही नहीं है. अब उनका कोई परिवार नहीं. मां-बाप नहीं, भाई-बहन नहीं. वह अब इस अखाड़े से नहीं जाएंगी और साध्वी बनकर ही अपना जीवन गुजारेंगी.

दीक्षा लेने के बाद रखा गया है यह नाम 
बेटी की जिद के आगे परिवार को झुकना पड़ा. मां-बाप ने जूना अखाड़े को अपनी बेटी रखी सिंह धाकरे को दान कर दिया. अब राखी का नया नाम दीक्षा लेने के बाद गौरी गिरी महारानी रख दिया गया है. 19 जनवरी को गौरी गिरी महारानी अपना पिंडदान करेंगी और पूर्ण रूप से संन्यासी बन जाएगी.

कुंभ मेले में लाए थे घुमाने के लिए 
राखी सिंह धाकरे की मां रीमा ने बताया कि परिवार नहीं चाहता था की राखी संन्यासी बन जाए. परिवार तो बस राखी को कुंभ मेले में घुमाने लाया था. राखी की मां ने बताया राखी खुद को हमेशा अकेला रखना पसंद करती थी. शादी नहीं करने की बात कहती थी. आईएएस बनने की प्रबल इच्छा रखती थी. यही नहीं कुंभ में आने के बाद यहां के अखाड़े की फैले गंध भी उसे पसंद नहीं थी. राखी यहां से भाग जाना चाहती थी लेकिन अचानक एक दिन उसने फैसला कर लिया कि अब वह यहां से नहीं जाएगी. इसी अखाड़े में संन्यासी हो जाएगी. वह सनातन के लिए अपना जीवन आहुति देगी. 

...तो कर दिया बेटी को दान 
राखी ने अपने मां-पिता को यह बात बताई की वह संन्यासी बनना चाहती है. उसके मां-पिताजी अखाड़े में सेवादार की तरह आए हैं. फिर क्या था एक बार जिद पर अड़ गई और फैसला कर लिया तो मां-पिता ने भी अपनी बेटी का दान इस अखाड़े को कर दिया.

जूना अखाड़े से जुड़ा है परिवार
राखी आगरा के स्प्रिंगफील्ड इंटर कॉलेज में नौवीं की छात्रा है. उनके मां और पिताजी पिछले 4 सालों से जूना अखाड़े से जुड़े हैं और सेवादार की तरह सेवा करते हैं. राखी के मोहल्ले में जब कुछ साल पहले भंडारा हुआ था और भागवत कथा कहने कोशल गिरी आए थे तभी से यह परिवार जूना अखाड़े की शाखा से जुड़ा था. पिछले 26 दिसंबर से यह परिवार प्रयागराज आया है और अखाड़े में सेवा दे रहा है लेकिन बेटी साध्वी बन जाएगी इसकी उम्मीद न तो माता-पिता को थी और ना ही अखाड़े के महंत को.

 

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