महाकुंभ की भव्यता को दिखाते हुए स्नान-ध्यान सबको मिलाकर दुनिया के सबसे बड़े धर्म और अध्यात्म का मेला देखने के लिए देश-विदेश से लोग पधार रहे हैं. इस संगम नगरी में आपको एक अलग ही दुनिया देखने को मिलेगी. जहां सुरक्षा के साथ हर तरह की सुविधा का भी विशेष ध्यान रखा जा रहा है.
दिखने लगे साधु-संत
13 जनवरी से शुरू हो रहे महाकुंभ को लेकर गंगा, यमुना और पौराणिक सरस्वती नदी के संगम पर सनातन परंपरा के दर्शन शुरू हो गए हैं. दुनिया के इस सबसे बड़े मेले के लिए साधु-संत के पहुंचने का सिलसिला करीब महीने भर से चल रहा है.
अलग-अलग अखाड़ों की दिव्य पेशवाई निकल रही है और साधु-संत महाकुंभ के लिए नगर प्रवेश कर रहे हैं. अब तक पांच अखाड़ों का छावनी प्रवेश हो चुकी है. बाकी बचे अखाड़ों की पेशवाई का दिव्य दर्शन भी अभी होगा.
कब होगी किस अखाड़े की पेशवाई
5 जनवरी को पंचायती अखाड़ा निरंजनी की पेशवाई हुए. तो 5 जनवरी यानी आज निर्मोही, दिगंबर, निर्वाणी की पेशवाई निकलेगी. 6 जनवरी को तपोनिधि आनंद अखाड़ा की. तो 10 जनवरी को श्रीपंचायती अखाड़ा नया उदासीन की पेशवाई निकलेगी. 11 जनवरी को श्रीपंचायती अखाड़ा निर्मल की और 12 जनवरी को श्रीपंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन की पेशवाई निकलेगी.
क्या हैं अमृत स्नान की तारीखें
पेशवाई निकलने के साथ ही इन सभी अखाड़ों के साधु-संतों का छावनी प्रवेश संपन्न हो जाएगा. इसके बाद 13 जनवरी से महाकुंभ का विधिवत शुभारंभ हो जाएगा और इसके साथ ही शुरू हो जाएगा संगम में आस्था की डुबकी लगाने का क्रम यानी अमृत स्नान.
13 जनवरी को पौष पूर्णिमा पर पहला स्नान होगा. तो 14 जनवरी को दूसरा अमृत स्नान मकर संक्रांति के दिन होगा. इसके बाद 29 जनवरी को मौनी अमावस्या के दिन तीसरा स्नान होगा. 2 फरवरी को बसंत पंचमी पर चौथा अमृत स्नान होगा. 12 फरवरी को माघ पूर्णिमा के दिन पांचवां स्नान होगा और फिर 26 फरवरी को महाशिवरात्रि के दिन महाकुंभ का छठा और अंतिम स्नान होगा.
क्या है अमृत स्नान का महत्व
महाकुंभ में अमृत स्नान का बहुत अधिक महत्व है. अमृत स्नान में सबसे पहले साधु संत स्नान करते हैं. जिसके बाद श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाते हैं. मान्यता है कि महाकुंभ में स्नान करने से सभी पापों से छुटकारा मिलता है. साथ ही सभी दुख-दर्द दूर होते हैं और मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं.
कब-कब लगता है कुंभ मेला
हर 3 साल में कुंभ मेला लगता है. तो वहीं हर 6 साल में अर्धकुंभ मेले का आयोजन होता है और हर 12 साल पर महाकुंभ मेला लगता है. प्रयागराज के अलावा हरिद्वार, नासिक और उज्जैन में कुंभ का आयोजन होता है.
12 साल बाद प्रयागराज में महाकुंभ का आयोजन हो रहा है. जिसमें देश ही नहीं बल्कि दुनिया भर से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं. इसलिए तैयारी भी बड़े और भव्य स्तर पर की गई है.
आस्था, संस्कृति और अध्यात्म के इस महाकुंभ में साधु-संतों का ऐसा अनोखा संसार भी बसा है. जो आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. ये साधु-संत महाकुंभ का संदेश पूरे देश तक पहुंचा रहे हैं.
श्रद्धालुओं के लिए सुविधा की पूरी व्यवस्था
यहां श्रद्धालुओं की सुविधा का भी पूरा ध्यान रखा जा रहा है. उनके रहने, खाने से लेकर ठहरने तक की हर तरह की व्यवस्था की गई है. कहीं टेंट सिटी बसी है तो कहीं डोम सिटी. जहां से आप महाकुंभ का अच्छे से आनंद उठा पाएंगे.
महाकुंभ नगर के अरैल क्षेत्र में बनी डोम सिटी में लग्जरी होटल की तरह सारी सुविधाएं मिलेंगी. महाकुंभ को लेकर प्रयागराज में हर उस व्यवस्था पर पूरा ध्यान दिया जा रहा है. जिससे किसी को भी किसी तरह की असुविधा का सामना नहीं करना पड़े.
प्रयागराज एयरपोर्ट से संगम तक 16 किलोमीटर लंबा VVIP कॉरिडोर भी लगभग बनकर तैयार है. इस वीवीआईपी कॉरिडोर में पड़ने वाले चौराहों नटराज, नंदी, ऋषि मुनियों की कलाकृतियां लगाई गई हैं.
यही नहीं प्रयागराज एयरपोर्ट से आधा किलोमीटर आगे 84 विशेष स्तंभ भी लगाए गए हैं. जो सृष्टि के सार का प्रतीक हैं. लाल पत्थर से तैयार किए जा रहे इन खंभों पर भगवान शिव के सहस्त्र नाम भी अंकित किए गए हैं. तो सड़कों के किनारे पौधे भी लगाए गए हैं. जिसने इसकी खूबसूरती में चार चांद लगा दिये हैं.