Kankali Devi Temple: चमत्कारी है मां कंकाली का मंदिर, सिर्फ कुछ पल के लिए सीधी होती है मूर्ति की गर्दन, जानें पूरी कथा

मध्य प्रदेश के रायसेन जिले के गुदावल गांव में मां कंकाली का मंदिर है. इस मंदिर में मां कंकाली की मूर्ति की गर्दन टेढ़ी है. मान्यता है कि नवरात्रि में कुछ पलों के लिए गर्दन सीधी होती है और जो भी भक्त माता की सीधी गर्दन को देख लेता है, उसके सारे कष्ट दूर हो जाते हैं. यह मंदिर 400 साल पुराना है.

Kankali Devi Temple
gnttv.com
  • रायसेन,
  • 31 मार्च 2025,
  • अपडेटेड 3:29 PM IST

नवरात्रि में कुछ पलों के लिए कंकाली मां द‍िन सीधी हो जाती है. हालांक‍ि आज तक क‍िसी ने ऐसा होता देखा नहीं है. कहते हैं क‍ि जो भी भक्‍त मां की सीधी गर्दन देख लेता है, उसके जीवन के सभी कष्‍ट दूर हो जाते हैं. मान्‍यता है क‍ि सौभाग्‍यशाली भक्‍तों को ही मां की सीधी गर्दन के दर्शन होते हैं. नवरात्र के अवसर पर मां भवानी के दर्शनों के ल‍िए यहां पर देश के कोने-कोने से श्रद्धालु आते हैं. जिला मुख्यालय से लगभग 40 किलोमीटर दूर और जिले के भोजपुर विधानसभा के ग्राम गुदावल में मां कंकाली का प्राचीन मंदिर है. यह मंदिर 400 साल पुराना है.

भारत के अलग-अलग स्‍थानों पर देवी मां के अलग-अलग स्‍वरूपों में कई चमत्‍कार देखने-सुनने को म‍िलते हैं. कभी मंदिर में देवी की मूर्तियों की बातचीत का चमत्‍कार तो कभी मंदिर में रंग बदलती मूर्ति का रहस्‍य. इससे आज तक पर्दा नहीं उठ पाया है. ऐसा ही एक मंदिर कंकाली मंदिर है. मान्यता है कि यहां माता की मूर्ति की टेढ़ी गर्दन एक द‍िन के ल‍िए सीधी हो जाती है. आइए जानते हैं कहां है यह मंदिर और क्‍या है गर्दन के सीधे होने का रहस्‍य?

कहा है मां कंकाली मंदिर-
रायसेन जिले के भोजपुर विधानसभा के ग्राम गुदावल में मां कंकाली की 400 वर्ष पुराना मंदिर है, यहां भक्त दूर-दूर से मां कंकाली के दर्शन करने आते हैं. बताया जाता है कि यहां पर भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण होती है. इस मंदिर का निर्माण जन सहयोग के माध्यम से करीब 7 करोड रुपए की लागत से कराया जा रहा है. देश ही नहीं, विदेशों से भी भक्त यहां मां के दर्शन करने आते हैं और अपनी मनोकामना पूर्ण कराते हैं. नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा होती है, लेकिन मां कंकाली के दरबार में मांगी गई हर मनोकामना पूर्ण होती है. सुरक्षा की दृष्टि से यहां पर भक्तों की भीड़ को देखते हुए सुरक्षा की दृष्टि से यहां पुलिस की चाक-चौबंद व्यवस्था की जाती है. पार्किंग के लिए भी अलग से व्यवस्था की जाती है तो मां कंकाली के दरबार में भक्तों के लिए रुकने के लिए आश्रय स्थल भी है. वहीं जिन भक्तों का व्रत होता है, उनके लिए फलाहार की व्यवस्था की जाती और अन्य लोगों के लिए भोजन का प्रबंध भी मंदिर समिति की तरफ से किया जाता है.  भक्त अपनी हर मनोकामना पूर्ण होने के बाद फिर मां कंकाली के दर्शन करने पहुंचते हैं और अपनी श्रद्धा के अनुसार चढ़ावा चढ़ाते हैं. 

भोपाल से 25 किमी दूर है मंदिर-
मां कंकाली का मंदिर भोपाल से करीब 25 किलोमीटर दूरी पर है, जबकि रायसेन से लगभग 40 किलोमीटर की दूरी पर उमरावगंज थाना इलाके में मंदिर आता है. मां कंकाली के इतिहास के बारे में जानकार बताते हैं कि लगभग 400 साल पहले हरलाल पटेल को सपने में मां कंकाली ने दर्शन दिए थे और कहा था कि जमीन में खुदाई करके मुझे बाहर निकालो और स्थापना करो, तब से लेकर आज तक मां कंकाली का मंदिर विशाल आकार लेता ही जा रहा है और भक्तों की आस्था का केंद्र बढ़ता ही जा रहा हैं.

गुदावल गांव में है मंदिर-
कंकाली माता मंदिर रायसेन जिले के गुदावल गांव में हैं. दावा क‍िया जाता है क‍ि यहां मां कंकाली की देश की पहली ऐसी मूर्ति है, ज‍िसकी गर्दन 45 ड‍िग्री झुकी हुई है. मंदिर की स्थापना तकरीबन 1731 के आस-पास मानी जाती है. ऐसी मान्‍यता है क‍ि इसी वर्ष खुदाई के दौरान यह मंदिर मिला था. हालांक‍ि मंदिर कब अस्तित्व में आया, इसकी तारीख या वर्ष का कोई सटीक प्रमाण नहीं म‍िलता है.

कैसे हुई थी मंदिर की स्थापना-
कंकाली मंदिर की स्‍थापना को लेकर यह भी सुनने में आता है क‍ि 1731 स्‍थानीय न‍िवासी हर लाल मीणा को इस मंदिर के बारे में एक सपना आया था. इसके बाद उन्‍होंने देखे गये सपने के आधार पर उक्‍त जमीन पर खुदाई करवाई तो देवी मां की मूर्ति मिली थी. इसके बाद प्राप्‍त मूर्ति के स्‍थान पर ही देवी मां की मूर्ति स्‍थाप‍ित करवा दी गई. तब से ही मंद‍िर के विस्‍तार और पूजा-अर्चना का क्रम जारी है. बता दें क‍ि मंदिर पर‍िसर के अंदरूनी ह‍िस्‍से में 10 हजार वर्गफीट के हॉल में एक भी प‍िलर नहीं है, जो क‍ि अपने आप में ही अद्भुत कला का नमूना है. पहले भैंसे की बलि दी जाती थी, जिसे 1970 से बंद करा दिया गया.
 
मनोकामना पूरी होने पर क्या करते हैं भक्त-
भक्तों की मनोकामना को लेकर यह भी मान्‍यता है क‍ि जो भी भक्‍त यहां बंधन बांधकर मनोकामना मांगता है उसकी मुराद जरूर पूरी होती है. देश के कोने-कोने से भक्‍त यहां अपनी मुरादों की झोली भरने आते हैं. मन्‍नत पूरी होने के बाद बांधा गया बंधन खोलकर जाते हैं. कहते हैं क‍ि न‍ि:संतान दंपत्तियों की यहां गोद भर जाती है. लेक‍िन इसके लिए महिलाएं यहां उल्‍टे हाथ से गोबर लगाती हैं और मनोकामना पूरी होने के बाद सीधे हाथ का न‍िशान बनाती हैं. मंदिर में हजारों की संख्‍या में हाथों के उल्‍टे और सीधे न‍िशान नजर आते हैं. वहीं, बच्चों का मुंडन भी करते है और नाच गाकर खुशी मनाते हैं.

कब सीधी होती है मां कंकाली की गर्दन-
कंकाली देवी मंदिर में स्‍थापित मां कंकाली की टेढ़ी गर्दन दशहरे के द‍िन सीधी हो जाती है. हालांक‍ि आज तक क‍िसी ने ऐसा होता देखा नहीं है. कहते हैं क‍ि जो भी भक्‍त मां की सीधी गर्दन देख लेता है, उसके जीवन के सभी कष्‍ट दूर हो जाते हैं।. मान्‍यता है क‍ि सौभाग्‍यशाली भक्‍तों को ही मां की सीधी गर्दन के दर्शन होते हैं. नवरात्र के अवसर पर मां भवानी के दर्शनों के ल‍िए यहां पर देश के कोने-कोने से श्रद्धालु आते हैं.

(राजेश कुमार रजक की रिपोर्ट)

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