Raksha Bandhan 2023: इस बार रक्षाबंधन मनाने को लेकर क्या है भ्रम? जानिए 30 या 31 अगस्त कब मनाया जाएगा भाई-बहन का पर्व 

हिन्दू शास्त्रों के अनुसार कहा जाता है कि शूर्पणखा ने अपने भाई रावण को भद्रा काल में ही राखी बांधी थी, जिस वजह से रावण के पूरे कुल का सर्वनाश हो गया था. इसलिए ऐसा माना जाता है कि बहनों को भद्राकाल में राखी नहीं बांधनी चाहिए. 

Raksha Bandhan 2023
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 26 अगस्त 2023,
  • अपडेटेड 7:54 PM IST
  • श्रावण शुक्ल पूर्णिमा को मनाया जाता है रक्षाबंधन का पर्व
  • बहन अपने भाई की कलाई पर बांधती है राखी 

रक्षाबंधन हिंदुओं का प्रमुख त्योहार है, जो श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है. इसे भाई-बहन के प्रेम और सद्भाव के पर्व के रूप में मनाया जाता है. इस दिन बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती है, जिसके बदले में भाई अपनी बहन को भेंट देता है और आजीवन उसकी रक्षा का वचन भी देता है. 

भद्रा काल के कारण भ्रम की स्थिति
इस बार रक्षाबंधन पर राखी कब बांधी जाएगी 30 या 31 अगस्त को, इसको लेकर लोगों के बीच असमंजस की स्थिति बनी हुई है. हिंदू पंचांग में इस बार तिथियों को लेकर मतभेद है. कई लोगों का मानना है कि रक्षाबंधन 30 अगस्त को मनाया जाएगा तो कुछ लोग कह रहे हैं कि रक्षाबंधन 31 अगस्त को मनाया जाएगा. इसका कारण भद्रा काल बताया जा रहा है. इसी वजह से लोगों में भ्रम की स्थिति बनी है. इस साल पूर्णिमा तिथि दो दिन पड़ रही है. आइए जानते हैं आखिर राखी बांधने का सही मुहूर्त क्या है?

रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त
रक्षाबंधन श्रावण शुक्ल पूर्णिमा को मनाया जाता है. इस बार पूर्णिमा 30 अगस्त को प्रातः 10.59 पर आरम्भ हो रही है. इसका समापन 31 अगस्त को प्रातः 07.05 बजे होगा. 31 अगस्त को पूर्णिमा सूर्योदय के बाद 06 घटी से कम है. यानी दो घंटे 24 मिनट से कम है. ज्योतिषाचार्य के अनुसार सूर्योदय के बाद कम से कम दो घंटे 24 मिनट तक पूर्णिमा रहने पर ही यह मान्य होती है. इसलिए 30 अगस्त को ही पूर्णिमा मानना उचित होगा. 30 अगस्त को भद्रा प्रातः 10.58 से रात्रि 09.01 तक है. भद्राकाल में रक्षाबंधन का पर्व नहीं मनाया जा सकता. अतः रक्षाबंधन का पर्व 30 अगस्त को रात्रि 09.01 के बाद ही मनाना उचित होगा. विशेष स्थिति में भद्रा के पुच्छ काल में यानी सायं 05.32 से 06.32 के बीच भी राखी बांधी जा सकती है.

रक्षाबंधन पर 200 साल बाद बन रहा दुर्लभ संयोग
ज्योतिषाचार्य के अनुसार इस बार रक्षाबंधन पर 200 साल बाद दुर्लभ संयोग बन रहा है. जब गुरु और शनि ग्रह का शुभ प्रभाव रहेगा. इस बार रक्षाबंधन पर शनि और गुरु ग्रह वक्री अवस्था में अपनी स्वराशि में विराजमान रहेंगे. ज्योतिषाचार्य का कहना है कि ऐसा दर्लभ योग 200 साल बन रहा है. वहीं 24 साल बाद रक्षाबंधन पर रवि योग के साथ बुधादित्य योग और शतभिषा नक्षत्र का संयोग बन रहा है. यह दुर्लभ संयोग समृद्धिदायक और राजयोग का लाभ देने वाला है.

ऐसे बांधें भाई की कलाई पर राखी
वास्तु के अनुसार घर का मुख्य द्वार वह प्रमुख स्थान है, जहां से सकारात्मक ऊर्जा आपके घर के भीतर प्रवेश करती है, जो आपकी और भाई की समृद्धि के लिए मददगार हो सकती है. रक्षाबंधन के दिन मुख्य द्वार पर ताजे फूलों और पत्तियों से बनी बंधनवार लगाएं और रंगोली से घर को सजाएं. पूजा के लिए एक थाली में स्वास्तिक बनाकर उसमें चंदन, रोली, अक्षत, राखी, मिठाई, और कुछ ताजे फूलों के बीच में एक घी का दीया रखें. 

दीपक प्रज्ज्वलित कर सर्वप्रथम अपने ईष्टदेव को तिलक लगाकर राखी बांधें और आरती उतारकर मिठाई का भोग लगाएं. फिर भाई को पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठाएं. इसके बाद उनके सिर पर रुमाल या कोई वस्त्र रखें. अब भाई के माथे पर रोली-चंदन और अक्षत का तिलक लगाकर उसके हाथ में नारियल दें. 

इसके बाद  'येन बद्धो बलि राजा, दानवेन्द्रो महाबल: तेन त्वाम् प्रतिबद्धनामि रक्षे माचल माचल:' इस मंत्र को बोलते हुए भाई की दाहिनी कलाई पर राखी बांधें. भाई की आरती उतारकर मिठाई खिलाएं और उनके उत्तम स्वास्थ्य और उज्ज्वल भविष्य के लिए भगवान से प्रार्थना करें. इसी दिन देवताओं, ऋषियों और पितरों का तर्पण करने से परिवार में सुख-शांति और समृद्धि बढ़ती है. 

भद्रा में क्यों नहीं बांधनी चाहिए राखी 
हिन्दू शास्त्रों के अनुसार कहा जाता है कि शूर्पणखा ने अपने भाई रावण को भद्रा काल में ही राखी बांधी थी, जिस वजह से रावण के पूरे कुल का सर्वनाश हो गया था. इसलिए ऐसा माना जाता है कि बहनों को भद्राकाल में राखी नहीं बांधनी चाहिए. यह भी कहा जाता है कि भद्रा काल में राखी बांधने से भाई की उम्र कम हो जाती है.

 

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