Bhadra Effect on Raksah Bandhan: अशुभ घड़ी में राखी बांधने से खत्म हो गया था Ravan का पूरा परिवार, जानें क्या है पौराणिक कथा

Raksha Bandhan 2024: इस साल भी रक्षाबंधन पर भद्राकाल का साया है. धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक इस समय राखी बांधन की मनाही है. भद्राकाल को लेकर कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं. इसमें एक कथा रावण और उसकी बहन को शूर्पणखा को लेकर भी है. मान्यता है कि एक बार भद्राकाल में सूर्पणखा ने रावण को राखी बांधी थी. जिसकी वजह से भगवान राम के हाथों रावण का पूरा परिवार खत्म हो गया था.

Raksha Bandhan (Photo/Bing AI)
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 19 अगस्त 2024,
  • अपडेटेड 10:53 AM IST

भाई-बहन का त्योहार रक्षाबंधन शुभ मुहूर्त में मनाया जाता है. हालांकि हर बार की इस बार भी भद्रा का साया इस त्योहार पर पड़ा है. किसी भी कीमत पर भद्राकाल में बहन को भाई को राखी नहीं बांधना चाहिए. इससे भाई का नुकसान हो सकता है. भद्राकाल में राखी बांधने की एक पौराणिक कथा है. जिससे माना जाता है कि रावण को भद्राकाल में राखी बांधने की वजह से उसका पूरा परिवार खत्म हो गया था. चलिए आपको इस पौराणिक कथा के साथ ये भी बताते हैं कि इस साल रक्षाबंधन पर भद्राकाल कब से कब तक है.

भद्राकाल में रावण को राखी बांधने की कथा-
भद्राकाल में राखी बांधना अशुभ माना जाता है. इस काल में शुभ काम नहीं किया जाता है. धार्मिक मान्यता है कि भद्रा का जन्म राक्षसों का विनाश करने के लिए हुआ था. एक पौराणिक कथा है कि शूर्पणखा ने भद्राकाल में अपने भाई रावन को राखी बांधी थी. जिसकी कीमत रावण के परिवार को चुकानी पड़ी थी. मान्यता है कि भद्राकाल में राखी बांधने की वजह से एक साल के भीतर रावण के पूरे परिवार का विनाश हो गया था. इसलिए हिंदू धर्म के मुताबिक भद्राकाल में राखी बांधन पर रोक है.

इस साल भद्रा का समय-
इस साल रक्षाबंधन के दिन पूर्णिमा की तारीख 19 अगस्त 2024 को सुबह 3 बजकर 4 मिनट पर शुरू हो रही है और अगले दिन रात 11 बजकर 55 मिनट तक है. इस दौरान भद्रा की बात करें तो 19 अगस्त को सुबह 2 बजकर 21 मिनट से दोपहर एक बजकर 30 मिनट तक रहेगा. सुबह 9 बजकर 51 मिनट से 10 बजकर 53 मिनट तक भद्रा पुंछ रहेगा. सुबह 10 बजकर 53 मिनट से 12 बजकर 37 मिनट तक भद्रा मुख रहेगा. हालांकि भद्राकाल का रक्षाबंधन पर कोई असर नहीं पड़ेगा. क्योंकि चंद्रमा के मकर राशि में होने के कारण भद्रा का निवास पाताल लोक में रहेगा. इसलिए धरती पर कोई भी शुभ काम प्रभावित नहीं होगा.
 
कौन हैं भद्रा-
हिंदू धर्म की मान्यताओं के मुताबिक भद्रा सूर्य देव की पुत्री और शनि की बहन हैं. भद्रा का स्वभाव भी भगवान शनि की तरह क्रूर है. माना जाता है कि भद्रा राशि के मुताबिक तीनों लोकों में भ्रमण करती हैं. जब भी भद्राकाल होता है तो धरती पर शुभ कार्य नहीं होता है. शुभ कार्य में समस्याएं आती हैं. मान्यता है कि पृथ्वी लोक की भद्रा सभी कामों का विनाश करने वाली होती है. इसलिए भद्राकाल में राखी भी नहीं बांधी जाती है.

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