अयोध्या राम मंदिर में अब पुजारियों का ड्रेस कोड बदल दिया गया है. मंदिर के गर्भगृह में सेवा करने वाले पुजारियों की पोशाक में बदलाव किए गए हैं. अब उनकी ड्रेस को पारंपरिक केसरिया से चमकीले पीले रंग में बदल दिया गया है. इसके अलावा, एक नए नियम के तहत मंदिर परिसर के भीतर पुजारियों के मोबाइल फोन के इस्तेमाल पर भी बैन लगा दिया गया है.
भगवा से पीली हुई पोशाक
दशकों से मंदिरों में भगवाधारी पुजारी ही दिखते हैं. पुजारियों को पारंपरिक रूप से भगवा पगड़ी, कुर्ता और धोती पहने देखा जाता है. लेकिन अब ऐसा नहीं होगा. अब आपको पुजारी पीले रंग के कुर्ते में दिखाई देंगे.
हिंदू धर्म में रंगों का गहरा आध्यात्मिक महत्व है. भगवा त्याग और प्रकाश और मोक्ष की खोज का प्रतिनिधित्व करता है. यह आग का रंग है और पवित्रता और बलिदान का प्रतीक है. दूसरी ओर, पीले रंग को अक्सर भगवान विष्णु से जोड़ा जाता है, जिनके भगवान राम अवतार हैं. पीला रंग ज्ञान, शिक्षा और खुशी का प्रतीक है. इसे शुभ भी माना जाता है और अक्सर अनुष्ठानों और समारोहों में इसका उपयोग किया जाता है.
पीली पोशाक में इस बदलाव को मंदिर में मौजूद भगवान राम की पूजा से जोड़कर देखा जा रहा है.
प्रशिक्षुओं को भी सिखाया जा रहा है पगड़ी बांधना
पुजारियों के लिए नई पोशाक में पीली धोती, कुर्ता और पगड़ी शामिल है. पोशाक का एक महत्वपूर्ण हिस्सा पगड़ी को भी बदलकर पीला कर दिया गया है और नए पुजारियों को इसे बांधने की कला में ट्रेनिंग दी जा रही है.
न्यूज एजेंसी पीटीआई के अनुसार, मंदिर ट्रस्ट ने यह सुनिश्चित किया कि नया ड्रेस कोड न केवल प्रतीकात्मक हो, बल्कि पुजारियों द्वारा किए जाने वाले दैनिक अनुष्ठानों और कर्तव्यों के लिए व्यावहारिक भी हो.
चार सहायक पुजारियों में से प्रत्येक के साथ अब पांच ट्रेनी पुजारी हैं. इन प्रशिक्षुओं को न केवल धार्मिक रीति-रिवाज सिखाए जा रहे हैं, बल्कि नई ड्रेस कोड की बारीकियां भी सिखाई जा रही हैं, जिसमें पीली पगड़ी को सही तरीके से बांधना भी शामिल है.
सुबह से देर रात तक पूजा करते हैं पुजारी
इसका अलावा, सुबह से देर रात तक निरंतर पूजा सुनिश्चित करने के लिए पुजारियों को पाली में बांट दिया गया है. पुजारियों की प्रत्येक टीम पांच घंटे तक सेवा करती है, जो सुबह 3:30 बजे शुरू होती है और रात 11 बजे खत्म होती है. इससे यह सुनिश्चित किया जाता है कि मंदिर के अनुष्ठान और प्रसाद बिना किसी रुकावट के किए जाएं.
मोबाइल फोन पर लगाया गया बैन
पोशाक में बदलाव के साथ-साथ मंदिर ट्रस्ट ने मंदिर के भीतर पुजारियों द्वारा मोबाइल फोन के इस्तेमाल पर भी बैन लगा दिया है. मोबाइल फोन पर बैन को पूजा के दौरान पवित्रता और फोकस बनाए रखने की दिशा में एक सकारात्मक कदम के रूप में भी देखा जा रहा है.