अयोध्या स्थित राम मंदिर में 22 जनवरी 2024 को रामलला विराजमान हो गए. पूरे विधि-विधान के साथ भगवान के बाल रूप की प्राण प्रतिष्ठा हुई. इस समारोह में हिस्सा लेने के लिए साधु-संतों के साथ विभिन्न क्षेत्रों के प्रतिष्ठित लोगों को बुलाया गया था. आम लोगों से घर पर ही पूजा-अर्चना करने की अपील की गई थी. राम मंदिर में देश-दुनिया के राम भक्त कब से दर्शन कर पाएंगे, क्या इसके लिए शुल्क देना पड़ेगा, रामलला की मूर्ति की क्या विशेषताएं है. इन सवालों के सवाब आइए जानते हैं.
इतने घंटों तक श्रद्धालुओं के लिए खुला रहेगा मंदिर
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के मुताबिक 23 जनवरी से आम श्रद्धालु रामलला के दर्शन कर सकेंगे. राम मंदिर सुबह 7:00 बजे से दोपहर 11:30 बजे तक और इसके बाद दोपहर 2:00 से शाम को 7:00 बजे तक रामभक्तों के दर्शन के लिए खुला रहेगा. दोपहर में करीब ढाई घंटे भोग व विश्राम के लिए मंदिर बंद रहेगा. रामलला के दर्शन के लिए किसी भी तरह का कोई शुल्क नहीं देना होगा. राम मंदिर में चारों कोनों पर चार और देवताओं भगवान शिव, भगवान सूर्य, मां भगवती और भगवान गणेश के मंदिर हैं. इसके अलावा अन्नपूर्णा माता और हनुमान जी का भी मंदिर है.
कैसे आरती में हो सकते हैं शामिल
श्रद्धालुओं को राम मंदिर में होने वाली आरती में शामिल होने के लिए श्रीराम मंदिर तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट से पास लेना होगा. एक बार में सिर्फ 30 लोग ही आरती में शामिल हो सकेंगे. राम मंदिर में दिन में तीन बार आरती होती है. पहली सुबह 6:30 बजे, जिसे जागरण या शृंगार आरती कहते हैं. दूसरी दोपहर 12:00 बजे, जिसे भोग आरती कहते हैं और तीसरी शाम को 7:30 बजे जिसे संध्या आरती कहते हैं. घर बैठे ऑनलाइन राम मंदिर आरती में शामिल होने के लिए आप पास बनवा सकते हैं.
कैसे मिलेगा प्रसाद
राम मंदिर में आप प्रसाद नहीं चढ़ा सकते. सुरक्षा के लिहाज से आप अपने साथ मंदिर के भीतर कुछ भी नहीं ले जा सकते. दर्शन करने के बाद आपको प्रभु राम का प्रसाद इलायची दाना के रूप में मिलेगा और यह इलायची दाना भी बाकायदा रामजन्म भूमि के नाम से पैकेट में पैक रहता है. राम मंदिर में ऑनलाइन प्रसाद मंगाने की अभी फिलहाल कोई व्यवस्था नहीं की गई है. आगामी दिनों में ऑनलाइन प्रसाद की भी व्यवस्था ट्रस्ट करेगा, लेकिन अभी इस पर कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है.
रामलला की मूर्ति की क्या हैं विशेषताएं
भगवान राम के बाल रूप की मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा की गई है. यह मूर्ति बड़ी ही मनमोहक लग रही है. रामलला के चेहरे पर मुस्कान दिखाई दे रही है. रामलला कानों में कुंडल और पैरों में कड़े पहने हुए हैं. मूर्ति के ऊपर स्वास्तिक, ॐ, चक्र, गदा, सूर्य भगवान विराजमान हैं. श्रीराम की भुजाएं घुटनों तक लंबी हैं. मस्तक सुंदर, आंखें बड़ी और ललाट भव्य है. भगवान राम का दाहिना हाथ आशीर्वाद की मुद्रा में है. मूर्ति में भगवान विष्णु के 10 अवतार दिखाई दे रहे हैं. मूर्ति नीचे एक ओर भगवान राम के अनन्य भक्त हनुमान जी तो दूसरी ओर गरुड़ जी को उकेरा गया है.
मूर्ति का इतना है वजन
रामलला की छाती पर बाघ के नख की बहुत ही निराली छटा है. छाती पर रत्नों से युक्त मणियों के हार की शोभा है. इस मूर्ति को मूर्तिकार अरुण योगीराज ने बनाया है. मूर्ति का वजन करीब 200 किलोग्राम है. इसकी कुल ऊंचाई 4.24 फीट, जबकि चौड़ाई तीन फीट है. कमल दल पर खड़ी मुद्रा में मूर्ति, हाथ में तीर और धनुष है. कृष्ण शैली में मूर्ति बनाई गई है. राम मंदिर का प्रबंधन श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट कर रहा है. इस ट्रस्ट की स्थापना सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद केंद्र सरकार ने की थी. ट्रस्ट ही मंदिर निर्माण की निगरानी भी कर रहा है.
रामलला की मूर्ति क्यों है काली
रामलला की मूर्ति का निर्माण श्याम शिला से हुआ है, जिसका रंग काला होता है. इस वजह से रामलला की मूर्ति श्यामल है. इस काले पत्थर को कृष्ण शिला कहा जाता है. शास्त्रों में जिस कृष्ण शिला से रामलला की मूर्ति का निर्माण हुआ है उसे बेहद खास माना जाता है. जिस श्याम शिला से भगवान राम की मूर्ति बनाई गई है, उसकी आयु हजारों साल होती है. मूर्ति को जल से कोई नुकसान नहीं होगा. चंदन, रोली आदि लगाने से भी मूर्ति पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. नागर शैली में बन रहे तीन मंजिला राम मंदिर का निर्माण कार्य इस साल दिसंबर तक पूरा हो जाएगा. मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष और पूर्व नौकरशाह नृपेंद्र मिश्र के मुताबिक मंदिर निर्माण लगभग आखिरी चरण में पहुंच चुका है. मिशन मोड में काम चल रहा है.