Ramayana Trail In Sri Lanka: रामायण ट्रेल प्रोजेक्ट के तहत 32 जगहों को विकसित और प्रमोट कर रहा है श्रीलंका, मंदोदरी महल से लेकर अशोक वाटिका तक है शामिल

Ramayana Tourism In Sri Lanka: भारत में रामायण सर्किट की तर्ज पर श्रीलंका की सरकार भी रामायण पथ बनाने की तैयारी कर रही है. श्रीलंका में 80 ऐसी जगहें हैं, जिसका रामायण में जिक्र है. इसमें से 56 जगहों की पहचान की जा चुकी है. इसमें से 32 जगहों को श्रीलंका सरकार और टूरिज्म बोर्ड विकसित और प्रमोट कर रहा है. श्रीलंका की सरकार रामसेतु को भी प्रमोट कर रही है, जो उत्तरी श्रीलंका में 30 किलोमीटर लंबा है.

श्रीलंका सरकार रामायण ट्रेल प्रोजेक्ट पर काम कर रही है
आशुतोष मिश्रा
  • नई दिल्ली,
  • 04 अप्रैल 2023,
  • अपडेटेड 4:32 PM IST

भारत में रामायण सर्किट पर सरकार काम कर रही है. वहीं पड़ोसी देश श्रीलंका भी भारतीय पर्यटकों को लुभाने के लिए अपने देश में रामायण पथ बनाने की तैयारी कर रहा है. हाल ही में जानकारी भारत में श्रीलंका के राजदूत मिलिंद मोरागोड़ ने महाराष्ट्र के राज्यपाल रमेश बैंस से मुलाकात के दौरान दी थी. 
श्रीलंका ने रामायण ट्रेल प्रोजेक्ट की शुरुआत की है और इसके लिए बाकायदा एक अधिकारी भी नियुक्त किया है. श्रीलंका टूरिज्म बोर्ड के अधिकारी और रामायण रेल प्रोजेक्ट के इंचार्ज जीवन फर्नांडो ने जीएनटी से बातचीत में इस पूरी परियोजना के बारे में विस्तृत जानकारी दी.

रामायण ट्रेल प्रोजेक्ट पर काम कर रहा श्रीलंका-
जीवन फर्नांडो ने बताया कि श्रीलंका में लगभग ऐसी ऐसी 80 जगहें हैं, जिनका जिक्र रामायण की कथाओं में मिलता है. इनमें से 56 जगहों की मान्यताओं के बारे में आधिकारिक पुष्टि कर ली गई है. इन 56 में से 32 ऐसी जगहें हैं, जिनको रामायण ट्रेल के तौर पर श्रीलंका की सरकार और टूरिज्म बोर्ड ना सिर्फ विकसित कर रहा है, बल्कि उन्हें प्रमोट भी कर रहा है.‌ इसके अलावा बाकी की जगह या तो फॉरेस्ट रिजर्व में है या फिर उनकी मान्यताओं के बारे में कोई कंफर्मेशन नहीं मिल पाया है.

श्रीलंका में 5 बड़े शिव मंदिर-
श्रीलंका में करीब 5 बड़े शिव मंदिर हैं, जिसमें एक मंदिर त्रिंकोमाली में स्थित है और पौराणिक कथाओं के मुताबिक जिसे खुद रावण ने बनवाया था. ‌श्रीलंका में वो मंदिर भी मौजूद हैं, जहां विभीषण की पूजा की जाती है. पौराणिक कथाओं में लिखित श्रीलंका में मौजूद ऐसी तमाम जगहों को अब श्रीलंका टूरिज्म बोर्ड रामायण ट्रेल के नाम से विकसित करने जा रहा है. इस छोटे से देश में चारों दिशाओं में ऐतिहासिक धरोहर मौजूद हैं. सबसे ज्यादा जिक्र उस अशोक वाटिका का होता है, जहां माता सीता को रावण ने अपहरण के बाद रखा था.

पहाड़ पर है मंदोदरी का महल-
जीवन फर्नांडो ने बताया है कि श्रीलंका सरकार दुनियाभर में हिंदू तीर्थयात्रियों को आकर्षित करने के लिए इस धार्मिक सर्किट को प्रमोट कर‌ रही है. धार्मिक जगह में एक जगह है सीता कोटवा, जिसके बारे में मान्यता है कि यह रानी मंदोदरी का महल है. जिसे उस समय अनंतपुरम के नाम से जाना जाता था. श्रीलंका टूरिज्म बोर्ड कहता है कि माता सीता को जब लंका बुलाया गया था, तब उन्हें सबसे पहले इसी महल में रहने का प्रस्ताव दिया गया था, जिसे उन्होंने खारिज कर दिया था. सीता कोटवा तक पहुंचने के लिए लगभग 2 किलोमीटर का ट्रैक चढ़कर जाना होता है.‌

रामसेतु को प्रमोट कर रहा श्रीलंका-
श्रीलंका की सरकार रामसेतु को भी प्रमोट कर रहा है, जो उत्तरी श्रीलंका में मौजूद है और लगभग 30 किलोमीटर लंबा है. इसी तरह वेरेंगनटोटा का भी जिक्र इस रामायण सर्किट में है, जहां मान्यताओं के मुताबिक रावण के हवाई अड्डे थे. जिनपर उसके विमान उतरते थे.

रामबोड़ा में है हनुमान टेंपल-
इन जगहों में हनुमान टेंपल भी है, जो रामबोड़ा इलाके में है. श्रीलंका के दस्तावेजों के मुताबिक मान्यता है कि भगवान हनुमान ने इसी जगह उतरकर अशोक वाटिका का पता लगाया था और दूसरी मान्यता यह भी है कि जब राम और रावण में युद्ध हुआ, तब इसी जगह पर राम की सेना रुकी थी.

अशोक वाटिका का भी जिक्र-
रामायण सीरियल में सीता मंदिर का भी जिक्र है, जो सीता एलिया इलाके में मौजूद है. नुवारा एलिया इलाके के जंगलों के बीच इस इलाके को ही अशोक वाटिका के नाम से जाना जाता है. श्रीलंका की मान्यताओं में इसे अशोक वनम कहा गया है और मान्यता है कि माता सीता के अपहरण के बाद रावण ने इसी जगह पर रखा था.  इस सर्किट में गायत्री पीडम का भी जिक्र है, जहां मान्यताओं के मुताबिक रावण के बेटे मेघनाथ ने प्रार्थना पूजा करके अद्भुत दैवीय शक्तियां हासिल की थी. रामायण की कथाओं के मुताबिक इसी जगह पर मेघनाथ के हवन को लक्ष्मण और हनुमान ने भंग कर दिया था.
इसी में एक जगह है का जिक्र आता है उसानगोडा जो कि मान्यताओं के मुताबिक वो जगह है, जहां रावण की सभा में हनुमान ने शक्ति प्रदर्शन किया था और इसी जगह पर उनकी पूंछ में आग लगा दी गई थी. यह इलाका दक्षिणी श्रीलंका के हंबनटोटा के आसपास पड़ता है.

पाताल लोक का भी जिक्र-
पथलालोका का भी जिक्र इस रामायण सर्किट में है, जहां मान्यताओं के मुताबिक पाताल लोक है और रावण ने भगवान राम और लक्ष्मण को कुछ समय के लिए वही छुपा दिया था, जिसे हनुमान ने बचाया था और अपने कंधों पर वहां से वापस निकाला था.
प्रोजेक्ट रामायण ट्रेल श्रीलंका के लिए बेहद महत्वपूर्ण परियोजना है. जिसका फायदा दुनियाभर के हिंदू तीर्थ यात्रियों को तो मिलेगा ही, साथ-साथ आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका को पर्यटन के कारोबार को बढ़ावा देने में भी मददगार होगा.

ये भी पढ़ें:

Read more!

RECOMMENDED