Rang Panchami 2023: कब है रंग पंचमी और क्यों मनाई जाती है ? जानें शुभ मुहूर्त, उपाय और महत्व

रंगपंचमी के दिन रंगों से नहीं बल्कि गुलाल से होली खेली जाती है. ऐस माना जाता है कि रंग पंचमी के दिन वातावरण में गुलाल उड़ाना शुभ होता है. धर्म शास्त्रों में बताया गया है कि रंगपंचमी के  दिन देवी-देवता भी पृथ्वी पर आते हैं. 

रंग पंचमी मनाते लोग (फाइल फोटो)
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 25 फरवरी 2023,
  • अपडेटेड 7:27 PM IST
  • 7 मार्च 2023 को होलिका दहन 
  • 8 मार्च को धूमधाम से मनाई जाएगी होगी

हिंदू धर्म में रंग पंचमी का विशेष महत्व है. वैदिक पंचांग के अनुसार रंग पंचमी का त्योहार चैत्र कृष्ण पक्ष पंचमी के दिन मनाया जाता है. यह पर्व होली के पांच दिन बाद मनाया जाता है. इस साल होलिका दहन 7 मार्च को होगी. 8 मार्च को होली खेली जाएगी. 12 मार्च 2023 को रंगपंचमी का त्योहार मनाया जाएगा. आइए जानते हैं रंगपंचमी का शुभ मुहूर्त, महत्व और उपाय.

रंगपंचमी 2023 तिथि 
1. चैत्र मास की रंगपंचमी तिथि का आरंभ 11 मार्च को रात 10 बजकर 06  मिनट पर. 
2. चैत्र मास की रंगपंचमी तिथि समाप्त 12 मार्च की रात्रि10:02 मिनट पर. 
3. उदयातिथि के अनुसार रंग पंचमी का त्योहार 12 मार्च को मनाया जाएगा.

जानिए पूजा के उपाय
1. रंग पंचमी के दिन मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करनी चाहिए. पूजा में देवी लक्ष्मी को लाल गुलाब, कमलगट्टा और कमल का फूल चढ़ाएं. साथ ही कनकधरा स्रोत का पाठ करें. ऐसा करने से जीवन में सुख-समृद्धि रहती है.
2. अगर वैवाहिक जीवन में परेशानियां आ रही हों तो रंग पंचमी के दिन भगवान श्रीकृष्ण और राधारानी की पूजा करें, उनको गुलाल चढ़ाएं. ऐसा करने से वैवाहिक जीवन में मधुरता आने की मान्यता है.
3. इस दिन एक पीले कपड़े में एक सिक्का और हल्दी की 5 गांठें बांधकर पूजा स्थान पर रख दें. इसके बाद मां लक्ष्मी के चरणों में एक घी का दीपक जलाएं. साथ ही इसके बाद पोटली को बांधकर उस जगह रख दें, जहां आप अपना धन रखते हैं. ऐसा करने से आर्थिक स्थिति मजबूत होती है.

रंगपंचमी से जुड़ी पौराणिक कथा 
रंगपंचमी के दिन भगवान श्रीकृष्ण ने राधारानी के साथ होली खेली थी. इसी कारण इस दिन विधि-विधान से राधा-कृष्ण का पूजा करने के बाद गुलाल आदि अर्पित करके खेला जाता है. दूसरी पौराणिक कथा के अनुसार, होलाष्टक के दिन भगवान शिव ने कामदेव को भस्म कर दिया था जिसके कारण देवलोक में सब दुखी थे. लेकिन देवी रति और देवताओं की प्रार्थना पर कामदेव को दोबारा जीवित कर देने का आश्वासन भगवान शिव ने दिया तो सभी देवी-देवता प्रसन्न हो गए और रंगोत्सव मनाने लगे. इसके बाद से ही पंचमी तिथि को रंगपंचमी का त्योहार मनाया जाने लगा.

गुलाल से खेली जाती है होली 
रंगपंचमी के दिन रंगों से नहीं बल्कि गुलाल से होली खेली जाती है. ऐस माना जाता है कि रंग पंचमी के दिन वातावरण में गुलाल उड़ाना शुभ होता है. धर्म शास्त्रों में बताया गया है कि रंगपंचमी के  दिन देवी-देवता भी पृथ्वी पर आते हैं. ये भी कहा जाता है कि हवा में उड़ने वाली अबीर-गुलाल के संपर्क में जो व्यक्ति आ जाता है उसको हर पापों से छुटकारा मिल जाता है.

रंग पंचमी देवी-देवताओं की होली
रंग पंचमी के दिन भगवान कृष्ण और भगवान विष्णु को पीला रंग अर्पित कर सकते हैं. ऐसे में उन्हें पीले रंग के वस्त्र पहनाएं और उनके चरणों में पीले रंग का अबीर अर्पित करें. मां लक्ष्मी, बजरंगबली और भैरव महाराज को लाल रंग अर्पित करें. मां बगलामुखी को पीले रंग का अबीर अर्पित करें. मां लक्ष्मी, बजरंगबली और भैरव महाराज को लाल रंग अर्पित करें. मां बगलामुखी को पीले रंग का अबीर अर्पित करें. सूर्यदेव को लाल रंग चढ़ाएं या या सिंदूर अर्पित करें. शनि देव को नीला रंग बेहद प्रिय होता है.  


 

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