Ratna Bhandar Jagannath temple: सोना-चांदी से लेकर हीरे जवाहरात और राजाओं के मुकुट तक… पुरी का जगन्नाथ मंदिर है रत्नों का भंडार, 46 साल बाद अब फिर से खोला जा रहा है खजाना

आखिरी लिस्ट 1978 में बनाई गई थी. तत्कालीन ओडिशा के राज्यपाल भागवत दयाल शर्मा की अध्यक्षता में एक पैनल की देखरेख में ये लिस्ट तैयार की गई थी. रत्न भंडार में सोने के आभूषणों और दूसरे कीमती सामानों की एक लिस्ट तैयार की गई थी. उस समय इस पूरे प्रोसेस में  लगभग 70 दिन लगे थे. 

Lord Jagannath, Baldev and Subhadra (Photo: Getty Images)
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 14 जुलाई 2024,
  • अपडेटेड 4:42 PM IST

पुरी के प्रसिद्ध जगन्नाथ मंदिर का रत्न भंडार (खजाना भंडार) लगभग 46 साल में पहली बार खोला जाएगा. 14 जुलाई को इसे खोला जाना है. हाल ही में उड़ीसा हाई कोर्ट ने इसके लिए मंजूरी दी है. बता दें, रत्न भंडार आखिरी बार 1985 में खोला गया था, जबकि इसमें मौजूद आभूषणों और दूसरे कीमती सामान की लिस्ट 1978 में बनाई गई थी, तब से, लिस्ट का स्टॉक नहीं किया गया है.

रत्न भंडार क्या है?
रत्न भंडार एक खजाना है जो जगन्नाथ मंदिर के उत्तर की ओर जगमोहन (प्रार्थना कक्ष) के बगल में स्थित है. इसमें सदियों से भक्तों और राजाओं द्वारा हिंदू देवताओं जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा को चढ़ाया गया सोना और आभूषण शामिल हैं.

रत्न भंडार में कीमती आभूषणों को तीन श्रेणियों में बांटा गया है

1.भीतर भंडार (आंतरिक कक्ष): इन वस्तुओं का कभी भी उपयोग नहीं किया जाता है.
2. बाहर भंडार (बाहरी कक्ष): इन वस्तुओं का हर दिन उपयोग किया जाता है.
3. प्रमुख त्योहारों और विशेष अवसरों के लिए वस्तुएं: इनका उपयोग रथ यात्रा जैसे आयोजनों के लिए किया जाता है.

1978 की लिस्ट के अनुसार, बहार भंडार में 87 सोने के आभूषण, कुछ में कीमती पत्थर और 62 चांदी के आभूषण हैं.

रत्न भंडार का मैनेजमेंट कौन करता है?

मंदिर की प्रबंध समिति, जिसका नेतृत्व पुरी के राजा दिव्य सिंघा देब, चीफ एडमिनिस्ट्रेटर (एक आईएएस लेवल का अधिकारी) और ओडिशा सरकार के चुने गए दूसरे सदस्य करते हैं, रत्न भंडार की सुरक्षा करते हैं. भीतर भंडार में कीमती वस्तुओं को प्रबंधन समिति के सील किए गए डबल लॉक से संरक्षित किया जाता है. मंदिर प्रशासन आमतौर पर चाबियां सरकारी खजाने में जमा कराता है. नियमों के मुताबिक, ताला तभी खोला जा सकता है, जब राज्य सरकार अनुमति दे.

रत्न भंडार कब खोला गया है?
12वीं सदी के इस मंदिर के रत्न भंडार को पहली बार 1905 में ब्रिटिश प्रशासन ने निरीक्षण के लिए खोला था. आखिरी लिस्ट 1978 में बनाई गई थी. तत्कालीन ओडिशा के राज्यपाल भागवत दयाल शर्मा की अध्यक्षता में एक पैनल की देखरेख में ये लिस्ट तैयार की गई थी. रत्न भंडार में सोने के आभूषणों और दूसरे कीमती सामानों की एक लिस्ट तैयार की गई थी. उस समय इस पूरे प्रोसेस में लगभग 70 दिन लगे थे.

कई किलोग्राम सोना-चांदी है खजाने में 
इन्वेंट्री के अनुसार, भीतर भंडार में 4,364 भारी 50 किलोग्राम वजन की सोने की चीजें और 14,878 भारी 173 किलोग्राम चांदी का भंडार है. इसमें 367 सोने की वस्तुएं जैसे कीमती पत्थरों से जड़े आभूषण और सोने, मोती, हीरे, मूंगा और दूसरे पत्थरों की प्लेटें और 231 चांदी की वस्तुएं शामिल हैं.

सोने की मरम्मत के काम के लिए 1985 में एक बार फिर भीतर भंडार खोला गया था. हालांकि, इस बार कोई लिस्ट नहीं बनाई गई थी.

पूर्व मंदिर प्रशासक रवीन्द्र नारायण मिश्रा ने इसके बारे में फर्स्टपोस्ट को बताया. उन्होंने बताया कि उन्होंने कम से कम 15 लकड़ी के बक्से देखे जिनमें सोने, चांदी, हीरे, नीलमणि, मोती, रूबी और दूसरे दुर्लभ रत्न शामिल थे. इसमें उन राजाओं के मुकुट भी हैं जिन्होंने पुरी के राजा के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था और युद्ध में लुटे जाने वाला सामान भी है. 

चाबियों को लेकर हो चुका विवाद 
चाबियों को लेकर भी काफी विवाद हो चुका है. आंतरिक कक्ष की चाबियों के प्रभारी पुरी जिला कलेक्टर ने जून 2018 में मंदिर प्रबंधन समिति को बताया कि चाबियों की उपलब्धता के बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं हैं. इससे काफी बड़ा विवाद खड़ा हो गया था. इतना ही नहीं विपक्षी बीजेपी और कांग्रेस ने इस मुद्दे पर नवीन पटनायक सरकार पर हमला बोल दिया था. जिसके बाद तत्कालीन ओडिशा के मुख्यमंत्री ने न्यायिक जांच का आदेश दिया था. 

ओडिशा में एक साथ होने वाले लोकसभा और विधानसभा चुनावों के लिए चुनाव प्रचार के दौरान, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पटनायक सरकार पर निशाना साधते हुए गायब हुई चाबियों का मुद्दा उठाया. उन्होंने दावा किया था कि इस शासन के तहत जगन्नाथ मंदिर सुरक्षित नहीं है. हालांकि अब इसे खोला जा रहा है. 

 

Read more!

RECOMMENDED