हिंदू वैदिक रीति रिवाजों में हर दिन का ईश्वर से जुड़ाव और उसका महत्व माना गया है. माना जाता है कि हर दिन कुछ नया और ईश्वरीय आशीर्वाद लेकर आता है. 12 जून दिन रविवार को रवि प्रदोष व्रत है. मान्यता है कि इस दिन महादेव और सूर्य देव की संयुक्त कृपा मिल जाती है. प्रदोष के बारे में कहते हैं कि ये जिस दिन भी पड़ता है, चाहे वो सोमवार हो या फिर रविवार. हर दिन कुछ अलग वरदान दे जाता है.
कहते हैं सच्चे मन से की गई आराधाना हर मनोकामना को पूरा कर देती है. ईश्वर में सच्ची आस्था रखने वालों पर भगवान हमेशा अपनी कृपा बरसाते हैं. लेकिन क्या आपको पता है कि पूजा उपासना के ज्ञान के अलावा कुछ खास दिनों के बारे में भी प्राचीन ग्रंथों में बताया है. उन खास दिनो में से ही एक है प्रदोष. प्रदोष जिस भी दिन पड़ता है. उस दिन का महत्व बढ़ जाता है. प्रदोष व्रत के बारे में कहा जाता है इस दिन भगवान शिव अपने भक्तों पर कृपा बरसाते हैं. ये व्रत हिंदू धर्म के सबसे शुभ और महत्वपूर्ण व्रतों में से एक है.
रवि प्रदोष व्रत की महिमा-
पहले आपको जान लेना चाहिए कि रवि प्रदोष व्रत की महिमा क्या है. शास्त्रों में प्रदोष व्रत भगवान शिव की महाकृपा पाने का दिन है. जब प्रदोष व्रत रविवार को पड़ता है उसे रवि प्रदोष कहते हैं. रवि प्रदोष व्रत से मनोकामना पूरी की जा सकती है. दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत किया जाता है. प्रदोष व्रत में भगवान शिव की पूजा सूर्यास्त से 45 मिनट पूर्व और सूर्यास्त के 45 मिनट बाद तक की जाती है.
रवि प्रदोष व्रत की तिथि-
इस बार का रवि प्रदोष व्रत 12 जून रविवार को मनाया जाएगा. ज्येष्ठा मास की शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर रवि प्रदोष व्रत है. रविवार सुबह 03.23 बजे से त्रयोदशी तिथि आरंभ होगी. तिथि का समापन देर रात 12 बजकर 26 मिनट पर होगा. ऐसे में शाम को प्रदोष पूजा का मुहूर्त 12 जून को प्राप्त हो रहा है, इसलिए रवि प्रदोष व्रत 12 जून को ही रखा जाएगा.
रवि प्रदोष व्रत 2022 पूजा मुहूर्त-
शास्त्रीय विधान है कि रवि प्रदोष के व्रत में शाम के समय भगवान शिव की आराधना की जाती है. ऐसे में आज ही जान लीजिए आपको अपनी मन की कामना का वर पाने के लिए किस समय भगवान भोलेनाथ की पूजा करनी है.
रवि प्रदोष व्रत की पूजन विधि-
प्रदोष रविवार को पड़ने पर आयु वृद्धि,अच्छी सेहत का फल मिलता है. रवि प्रदोष एक ऐसा ही व्रत है. जिसे करने से व्यक्ति लंबा और निरोगी जीवन प्राप्त कर सकता है. रवि प्रदोष का व्रत करके सूर्य से संबंधित सभी रोग को बहुत आसानी से दूर किया जा सकता है. लेकिन किसी भी व्रत या पूजा का फल तभी मिलता है. जब विधि विधान पूजन और ईश्वर का भजन किया जाए. तो धर्म और ज्योतिष के जानकारों के अनुसार रवि प्रदोष पर भगवान शिव और सूर्य की पूजा कैसे करें.
माना जाता है कि रवि प्रदोष के दिन भगवान शिव की पूजा करने से सभी पाप धूल जाते हैं और मोक्ष प्राप्त होता है. अपने उद्देश्यों को ध्यान में रखते हुए जब प्रदोष व्रत किया जाता है. तो व्रत करने वाले को मनचाहा वरदान मिलता है.
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