Ramayana in Persian Language: इस लाइब्ररी में मौजूद है फारसी भाषा में लिखी गई रामायण, देश की साहित्यिक धरोहर

रज़ा लाइब्रेरी में फारसी भाषा में लिखी गई रामायण मौजूद है. सुनहरे अक्षरों में इस रामायण को लेखक सुमेर चंद्र ने लिखा है. रामपुर रज़ा लाइब्रेरी व म्यूजियम की शोभा बढ़ा रही यह कलाकृति एक साहित्यिक धरोहर है.

Raza Library, Rampur
gnttv.com
  • रामपुर ,
  • 10 जनवरी 2024,
  • अपडेटेड 1:15 PM IST
  • शुरू में लिखा गया है बिस्मिल्लाह अर्रह्मान अर्रहीम
  • दूसरे देशों में भेंट की गई है रामायण की कॉपी 

उत्तर प्रदेश के रामपुर में मौजूद रजा लाइब्रेरी भारतीय-इस्लामी सांस्कृतिक विरासत का एक भंडार है. हालांकि, फिलहाल इस लाइब्रेरी में मौजूद एक रामायण आकर्षण का विषय बनी हुई है. यह पर्शियन यानी फारसी भाषा में लिखी गयी रामायण है. यह रामायण रज़ा लाइब्रेरी की धरोहर है. यह मनुस्क्रिप्ट तकरीबन 1715 में लिखी गई है और इसको लिखने वाले सुमेर चंद्र हैं. 

देखने में यह रामायण एक रॉयल कॉपी लगती है क्योंकि इसके पहले पन्ने को सोने-चांदी और कीमती पत्थरों से सजाया गया है. इसमें तकरीबन 258 तस्वीरें हैं. इसमें किसी भी अन्य रामायण से ज्यादा तस्वीरें हैं. आप इसकी तस्वीर की मदद से भी कहानी को पूरी तरह समझ सकते हैं. 

लिखा गया है बिस्मिल्लाह अर्रह्मान अर्रहीम
इसमें खास बात यह भी है कि इसकी शुरुआत में "बिस्मिल्लाह अर्रह्मान अर्रहीम" लिखा गया है. आमतौर पर हिंदू धर्म की किताबों में यह देखा गया है कि श्री गणेशाय नम: से किताब की शुरुआत की जाती है. लेकिन रामायण जोकि एक धार्मिक किताब है लेकिन फिर भी इसको "बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम" से शुरू किया गया है जिसका मतलब होता है, 'मैं अल्लाह के नाम से शुरू करता हूं जो बेहद रहम करने वाला है.' 

सुमेर चंद्र ने इसमें यह भी लिखा है की तीन रामायण दुनिया में पाई जाती हैं लेकिन सबसे ज्यादा वाल्मीकि रामायण पसंद की जाती है. वह लिखते हैं कि उनके समय मे समाज में बहुत नफरत हो गई है, समाज बिगड़ गया है और इसलिए वह रामायण लिख कर समाज में सुधार लाना चाहते हैं. इस तरह से आप देखेंगे कि यह बहुत ही अमूल्य रामायण है. अब जो लोग फारसी नहीं जानते हैं उनकी मदद के लिए रज़ा लाइब्रेरी ने इस रामायण को हिंदी में ट्रांसलेट भी करवा दिया है. यहां पर लोग इसको खरीदते भी हैं और खरीद कर पढ़ते भी हैं.

भेंट की गई है रामायण की कॉपी 
इस रामायण की खास बात यह भी कि इसकी कॉपी बाहर देशों में भेंट स्वरूप दी गई हैं. जब हमारे प्राधानमंत्री कहीं जाते हैं तो दूसरे देशों में इस बतौर तोहफा देते हैं. जैसा कि लोगों को जानकारी है कि इस रामायण की कॉपी ईरान और मंगोलिया में भेंट की गई है. औरंगजेब के जमाने में लिखी गई यह रामायण गंगा-जमुना तहजीब की मिसाल है. यह रामायण उदाहरण है कि किसी की धार्मिक आस्था पर किसी का कोई जोर नहीं चल सकता है. हर कोई अपने मन मुताबिक आस्था रखने के लिए आजाद है. 

(आमिर खान की रिपोर्ट)

 

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