जैन समाज का कहना है कि भारत सरकार ने नोटिफिकेशन जारी कर हमारे पवित्र तीर्थ स्थान सम्मेद शिखरजी को पर्यटन स्थल घोषित किया है. अब पर्यटन स्थल घोषित करने की वजह से वहाँ अधार्मिक गतिविधियां बढ़ जाएंगी. यहां तक कि पर्यटन स्थल होने के कारण वहां मांस मदिरा का सेवन भी हो सकता है.
जैन समाज सिरोही के अध्यक्ष रमेश सिंघी कहते हैं, 'अगर सम्मेद शिखरजी को पर्यटन स्थल घोषित किया गया तो वहां पर अधार्मिक कार्य होंगे. इससे जैन समाज को गहरा आघात पहुंचा है. हम भारत सरकर से इस नोटिफिकेशन को वापस लेने की मांग कर रहे हैं.'
सम्मेद शिखरजी को पर्यटन स्थल घोषित किए जाने का राजस्थान में कई जगहों पर विरोध हुआ है. जैन समाज के लोगों का कहना है कि गुजरात में भी पालीताना तीर्थ, गिरनार तीर्थ पर आए दिन अधार्मिक गतिविधियां बढ़ रही है. यहाँ तक कि मूर्तियों को भी तोड़े जाने की घटना सामने आई है.
सम्मेद शिखरजी का इतिहास और महत्व
झारखंड के गिरिडीह जिले में पारसनाथ की पहाड़ियों पर स्थित सम्मेद शिखरजी जैन समुदाय का बेहद पवित्र स्थान है. यहां बीस-बीस तीर्थंकरों की निर्वाण स्थली है. मान्यता है कि जिस तरह गंगा में डुबकी लगाने से सारे पाप धुल जाते हैं, उसी तरह सम्मेद शिखरजी की वंदना करने से सभी पापों का नाश हो जाता है.
जैन समाज में ये मान्यता है कि सम्मेद शिखरजी के इस क्षेत्र का कण-कण बेहद ही पवित्र है, पूजनीय है. लाखों जैन मुनियों ने इस क्षेत्र से मोक्ष प्राप्त किया है. जैन समाज के लोग सम्मेद शिखरजी पहुंचकर 27 किलोमीटर के दायरे में फैले मंदिर-मंदिर जाते हैं और वंदना करते हैं. जैन धर्म के लोग वंदना के बाद ही कुछ खाते-पीते हैं. इस पुण्य क्षेत्र में जैन धर्म के 24 में से 20 तीर्थंकरों ने मोक्ष की प्राप्ति की.
(सिरोही से राहुल त्रिपाठी की रिपोर्ट)